चित्रकूट आठ साल से अपडेट नहीं कर्वी ब्लॉक की दीवार, मृतक व ट्रांसफर सचिवों के नाम-नंबर अब भी दर्ज, ग्रामीणों को हो रही भारी परेशानी

Report By : कर्मक्षेत्र टीवी डेस्क टीम
चित्रकूट : पूरे देश में (Digital India) और गांव-गांव तक (Development) पहुंचाने की बातें भले ही जोर-शोर से की जा रही हों, लेकिन जमीनी हकीकत कई बार इन दावों पर सवाल खड़े कर देती है। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले से ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां मुख्यालय से सटे कर्वी विकास खंड (Block Curvi) की फ्रंट दीवार पर पिछले आठ सालों से अधिकारियों के नाम और मोबाइल नंबर अपडेट नहीं किए गए हैं। सरकार बदली, जिलाधिकारी (DM) बदले, मुख्य विकास अधिकारी (CDO) बदले, खंड विकास अधिकारी (BDO) तक बदलते रहे, लेकिन दीवार पर दर्ज जानकारी जस की तस बनी रही।
यह पूरा मामला चित्रकूट मुख्यालय से चंद दूरी पर स्थित कर्वी ब्लॉक से जुड़ा है, जहां (Gram Panchayat Officer) और (Village Development Officer) के नाम और नंबर वर्ष 2017 से दीवार पर अंकित हैं। हैरानी की बात यह है कि इस सूची में शामिल दो अधिकारियों—सुरेंद्र सिंह और संदीप सिंह—का निधन हो चुका है, जबकि रामशरण राही एक साल पहले सेवानिवृत्त (Retired) हो चुके हैं। इसके बावजूद इनके नाम आज भी दीवार पर प्रमुखता से लिखे हुए हैं। वहीं, बाकी बचे करीब पंद्रह अधिकारी ऐसे हैं जिनका वर्षों पहले अन्य ब्लॉकों जैसे मानिकपुर, पहाड़ी, रामनगर और मऊ में (Transfer) हो चुका है।
ग्रामीण जब अपने गांव से संबंधित कार्यों के लिए ब्लॉक पहुंचते हैं और दीवार पर लिखे अधिकारियों के नंबर मिलाते हैं, तो कॉल कहीं और लग जाता है। कई बार फोन मऊ, मानिकपुर या पहाड़ी ब्लॉक में तैनात अधिकारियों के पास पहुंच जाता है, जिससे ग्रामीण भ्रमित होते हैं और उन्हें बार-बार ब्लॉक के चक्कर काटने पड़ते हैं। यह स्थिति उस समय और भी गंभीर हो जाती है जब आम आदमी को अपनी समस्या के समाधान के लिए सही अधिकारी की पहचान ही नहीं हो पाती।
दीवार पर अंकित नामों में श्याम सिंह जो पिछले डेढ़ साल से पहाड़ी ब्लॉक में तैनात हैं, विपिन कश्यप जिन्हें बीते तीन साल से कोई तैनाती नहीं मिली, संतोष कुमार जो मऊ ब्लॉक में कार्यरत हैं, लीलाधर शुक्ला जो तीन साल पहले प्रयागराज (Prayagraj) ट्रांसफर हो चुके हैं, और संगीता देवी जो मानिकपुर ब्लॉक पहुंच चुकी हैं, जैसे कई उदाहरण शामिल हैं। इसके अलावा शिवम सिंह मानिकपुर में, शिवनरेश पटेल पांच साल पहले एडीओ रहते हुए ट्रांसफर हो चुके हैं। इसी सूची में दिवंगत संदीप सिंह और सुरेन्द्र सिंह के नाम आज भी दर्ज हैं।
इतना ही नहीं, रामशरण राही जिन्होंने कर्वी ब्लॉक से ही एक साल पहले रिटायरमेंट लिया, और अम्बरीष त्रिपाठी जो दो साल पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं, उनके नाम भी अब तक हटाए नहीं गए। अनिल सिंह, कमल सिंह, राजेश कुमार, लोकेश कुमार जैसे अधिकारी भी अब कर्वी ब्लॉक में तैनात नहीं हैं, फिर भी उनका विवरण दीवार पर मौजूद है। खास बात यह है कि मानिकपुर ब्लॉक में पिछले दो साल से एडीओ पंचायत का पद संभाल रहे मोहन लाल का नाम भी कर्वी ब्लॉक की सूची में अब तक दर्ज है।
इसके उलट, कर्वी ब्लॉक में वर्तमान में कार्यरत अधिकारियों की सूची अलग है। मौजूदा समय में आलोक सिंह सहायक विकास अधिकारी, देवेंद्र सिंह ग्राम पंचायत अधिकारी, मानसिंह सिंह और श्रीकांत ग्राम विकास अधिकारी, मनीष यादव, मुदित प्रताप, मानसिंह मौर्य, ज्ञान सिंह, विकास कुमार, रोशन सिंह, उर्मिला सिंह, संजय सिंह, राहुल सिंह, नरेंद्र मणि और रावेंद्र सिंह जैसे कई अधिकारी सक्रिय रूप से ब्लॉक में काम कर रहे हैं। बावजूद इसके, इनका नाम और संपर्क विवरण दीवार पर कहीं नजर नहीं आता।
इस पूरे मामले पर खंड विकास अधिकारी (BDO) महिमा विद्यार्थी ने बताया कि उन्होंने हाल ही में कार्यभार संभाला है। उनका कहना है कि वर्तमान पंचायत और विकास अधिकारियों की नई सूची लगवा दी गई है और बहुत जल्द दीवार पर भी नए नाम और नंबर लिखवा दिए जाएंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि ब्लॉक में आने वाले किसी भी ग्रामीण को परेशानी नहीं होने दी जाएगी और प्रशासन की प्राथमिकता यही है कि गांव से आने वाला व्यक्ति बिना समाधान के वापस न लौटे।
यह मामला न सिर्फ प्रशासनिक उदासीनता की ओर इशारा करता है, बल्कि सरकारी दफ्तरों में बेसिक सूचना अपडेट न होने की समस्या को भी उजागर करता है। जब मुख्यालय के समीप स्थित ब्लॉक का यह हाल है, तो दूरदराज के विकास खंडों की स्थिति का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। सवाल यह है कि जब सरकार पारदर्शिता, डिजिटल व्यवस्था और (Good Governance) की बात कर रही है, तब आठ साल तक अधिकारियों के नाम और नंबर जैसे जरूरी विवरण अपडेट न होना किन स्तरों पर जिम्मेदारी तय करता है।





