चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खुले, जयकारों से गूंजा वातावरण, सैकड़ों श्रद्धालुओं ने लिया पुण्य लाभ

उत्तराखंड डेस्क


रुद्रनाथ: उत्तराखंड की देवभूमि एक बार फिर आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठी जब पंचकेदारों में से चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण और भक्ति भाव से ओतप्रोत वातावरण में विधिवत रूप से खोल दिए गए। कपाट खुलने के इस पावन क्षण के साक्षी बनने के लिए देशभर से आए सैकड़ों श्रद्धालु रुद्रनाथ धाम में उपस्थित रहे। मंदिर परिसर ‘हर हर महादेव’ और ‘जय रुद्रनाथ’ के जयकारों से गूंज उठा।

कपाट खुलने की प्रक्रिया

रुद्रनाथ मंदिर के कपाट हर वर्ष शीतकाल में बंद कर दिए जाते हैं और गर्मियों के आगमन के साथ ही खोले जाते हैं। अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर रुद्रनाथ की चल विग्रह डोली गोपेश्वर से रवाना हुई थी और कई गांवों में विश्राम करते हुए रुद्रनाथ धाम पहुंची। पुरोहितों द्वारा विशेष पूजा-अर्चना, हवन, और मंत्रोच्चारण के साथ मंदिर के कपाट आज प्रातः लगभग 6:30 बजे खोले गए।

प्राकृतिक सौंदर्य और आस्था का संगम

समुद्र तल से लगभग 3,600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रुद्रनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 18-20 किलोमीटर का पैदल सफर तय करना होता है। यह यात्रा कठिन जरूर है लेकिन भक्तों की श्रद्धा इतनी प्रबल होती है कि वे हर वर्ष इस पवित्र धाम की यात्रा पर निकल पड़ते हैं। इस बार भी बर्फीली हवाओं और ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं की संख्या में कोई कमी नहीं आई। मंदिर खुलने से पहले ही श्रद्धालु रात्रि से लाइन में लगे थे।

प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था

मंदिर समिति एवं स्थानीय प्रशासन की ओर से यात्रा को सफल और सुरक्षित बनाने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की गई हैं। गोपेश्वर-रुद्रनाथ मार्ग पर चिकित्सा, जलपान, और विश्राम की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। इसके साथ ही गढ़वाल मंडल विकास निगम (GMVN) की ओर से पर्यटकों के लिए टेंट कॉलोनी और भोजन की व्यवस्था की गई है।

धार्मिक महत्व

रुद्रनाथ मंदिर भगवान शिव के मुखरूप की पूजा का एकमात्र स्थल है। पंचकेदार यात्रा में यह चतुर्थ स्थान है और इसका विशेष धार्मिक महत्व है। कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हिमालय की कठिन गुफाओं में तप किया था और शिव ने यहीं पर मुखरूप में दर्शन दिए।

श्रद्धालुओं की प्रतिक्रियाएं

मंदिर पहुंचे कई श्रद्धालुओं ने इसे जीवन का अमूल्य क्षण बताया। हरियाणा से आए एक भक्त ने कहा, “यहां की ऊर्जा अविश्वसनीय है। ऐसा लगता है मानो स्वयं शिव हमें आशीर्वाद दे रहे हैं।” वहीं उत्तर प्रदेश की एक महिला श्रद्धालु ने कहा, “रुद्रनाथ की यात्रा कठिन जरूर है, लेकिन यहां पहुंचकर लगता है जैसे सारा जीवन सफल हो गया हो।”

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