उत्तराखंड में भू उपयोग उल्लंघन पर सरकार की सख्ती: 3 हेक्टेयर से अधिक भूमि राज्य सरकार में निहित

Report By: उत्तराखंड डेस्क

देहरादून: मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के स्पष्ट निर्देशों के अनुरूप उत्तराखंड सरकार भू उपयोग के उल्लंघन पर बेहद सख्त रुख अपनाए हुए है। राज्य में भू अधिनियम की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत प्रदान की गई भूमि क्रय की अनुमति के बाद उसके दुरुपयोग और अवैध भू उपयोग के मामलों पर तेजी से कार्रवाई की जा रही है।

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश में अब एक सशक्त और प्रभावी भू कानून लागू हो चुका है, जो न केवल भूमि प्रबंधन और भू व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने में मददगार होगा, बल्कि कृषि और उद्यान भूमि की अनियंत्रित बिक्री पर भी पूरी तरह से रोक लगाएगा। उन्होंने कहा कि जनभावनाओं का सम्मान करते हुए सरकार ऐसे सभी मामलों में कठोर कार्रवाई कर रही है, जहाँ भूमि का उपयोग अनुमोदित प्रयोजन के विपरीत किया जा रहा है।

तीन मुख्य धाराओं के अंतर्गत कार्रवाई की स्थिति
राज्य में भू अधिनियम की धारा 154(4)(3) क के तहत अब तक कुल 532 प्रकरणों में भूमि क्रय की अनुमति प्रदान की गई, जिनमें से 88 मामलों में भू उपयोग का उल्लंघन पाया गया। इनमें से 42 मामलों में धारा 166-167 के अंतर्गत वाद दायर किए जा चुके हैं।

वहीं, धारा 154(4)(3) ख के तहत 963 भूमि क्रय अनुमति मामलों में से 172 में उल्लंघन पाया गया है, जिनमें 112 मामलों में वाद दाखिल किए गए हैं।

इसके अतिरिक्त, धारा 154(4)(1) क के अंतर्गत 147 भू उपयोग उल्लंघन मामलों पर कार्यवाही चल रही है। इनमें देहरादून जिले में सबसे अधिक 77 मामलों में से 50 पर कार्यवाही, हरिद्वार में 20, पौड़ी में 17, टिहरी में 29 और उत्तरकाशी में 1 मामला कार्यवाही के अधीन है। अल्मोड़ा में दर्ज 3 मामलों में से एक में तो भूमि को राज्य सरकार में निहित भी कर लिया गया है।

राज्य सरकार में निहित की गई भूमि का विवरण
अब तक कुल 3.006 हेक्टेयर भूमि को राज्य सरकार में निहित किया गया है। इसमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित मामले शामिल हैं:

कपकोट, बागेश्वर में मे. त्रिलोक ग्रामोद्योग सेवा समिति द्वारा मौन पालन के लिए क्रय की गई 0.040 हेक्टेयर भूमि।

रुद्रपुर, उधमसिंहनगर में एम.एस. स्टैण्डर्ड स्प्लिन्ट्स लिमिटेड द्वारा 1.653 हेक्टेयर भूमि क्रय की गई थी, जो कि अनुचित प्रयोजन हेतु प्रयोग की जा रही थी।

सिलटोना, श्री कैंची धाम, नैनीताल में श्रीमती भावनी सिंह, निवासी लखनऊ, को कृषि प्रयोजन हेतु क्रय की गई 0.555 हेक्टेयर भूमि।

दिगोटी द्वाराहाट, अल्मोड़ा में कृषि प्रयोजन के नाम पर 0.020 हेक्टेयर भूमि।

कटारमल चौखुटिया, अल्मोड़ा में रैनाबाड़ी हैल्थ रिज़ॉर्ट को रिसोर्ट निर्माण हेतु 0.713 हेक्टेयर भूमि।

कोट्यूड़ा, अल्मोड़ा में प्रणव सिंह, निवासी पश्चिम बंगाल, को आवासीय प्रयोजन हेतु 0.025 हेक्टेयर भूमि शामिल है।

मुख्यमंत्री धामी ने दोहराया कि राज्य सरकार भू अधिनियमों के उल्लंघन को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने संबंधित जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक प्रकरण की बारीकी से जाँच की जाए और यदि भूमि का उपयोग उसकी स्वीकृत शर्तों के विपरीत किया गया है, तो उस पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की जाए।

राज्य में इस दिशा में एक व्यापक अभियान चलाया जा रहा है ताकि इस तरह के भू उपयोग उल्लंघनों पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सके और जो भूमि अवैध रूप से प्रयोग हो रही है, उसे राज्य सरकार के अधीन लाया जा सके।

राज्य सरकार ने प्रदेशवासियों से भी अपील की है कि यदि उन्हें किसी भी प्रकार की भू उपयोग अनियमितता या कृषि भूमि के वाणिज्यिक प्रयोग की जानकारी हो, तो उसे संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों के संज्ञान में लाएं। सरकार पारदर्शिता और जनहित को सर्वोपरि रखते हुए प्रदेश को भू माफियाओं और अवैध भूमि व्यापार से मुक्त करने के लिए संकल्पबद्ध है।

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