मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने की शिक्षा विभाग के साथ वर्चुअल समीक्षा बैठक

Report By: उत्तराखंड डेस्क
देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ वर्चुअल माध्यम से समीक्षा बैठक की। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना, बालिकाओं के ड्रॉपआउट को रोकना और नवाचार के माध्यम से स्कूलों को आधुनिक बनाना था। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा प्रदेश के विकास की नींव है, और इसमें कोई भी कमी स्वीकार्य नहीं है।
प्रवेशोत्सव पर विशेष ध्यान, पहली, छठी और नवीं कक्षा में बढ़े नामांकन
मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग को निर्देशित किया कि पहली, छठी और नवीं कक्षा में विद्यार्थियों के अधिकाधिक नामांकन को सुनिश्चित करने के लिए “प्रवेशोत्सव” को प्रभावी रूप से चलाया जाए। उन्होंने कहा कि यह अभियान केवल औपचारिकता न रहे, बल्कि इसे जनआंदोलन का स्वरूप दिया जाए, जिससे कोई भी बच्चा स्कूल से बाहर न रह जाए।
बालिकाओं के ड्रॉपआउट को रोकने के लिए ठोस प्रयास हों
मुख्यमंत्री धामी ने बालिकाओं के शिक्षा से ड्रॉपआउट पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि इस दिशा में ठोस और व्यावहारिक कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि जो बालिकाएं किसी कारणवश स्कूल छोड़ चुकी हैं, उन्हें दोबारा शिक्षा की मुख्यधारा में लाने के लिए योजनाबद्ध प्रयास हों और समुदाय स्तर पर जागरूकता फैलाई जाए।
कौशल विकास और व्यावसायिक शिक्षा को मिले प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय की मांग के अनुरूप विद्यार्थियों के लिए सिर्फ किताबी ज्ञान पर्याप्त नहीं है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि विद्यार्थियों के कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया जाए और व्यावसायिक शिक्षा को स्कूली स्तर से ही बढ़ावा दिया जाए, ताकि वे भविष्य में आत्मनिर्भर बन सकें।
छात्रों को समय पर मिलें पुस्तकें, यूनिफॉर्म और अन्य सुविधाएं
बैठक में मुख्यमंत्री ने यह भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि छात्र-छात्राओं को किताबें, नोटबुक और स्कूल ड्रेस समय पर उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा कि इन सुविधाओं की देरी बच्चों की पढ़ाई को प्रभावित करती है, इसलिए समयबद्ध वितरण की निगरानी की जाए।
अनुपयोगी परिसंपत्तियों का हो सदुपयोग, बालिकाओं के लिए सुविधाएं हों दुरुस्त
मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग की अनुपयोगी परिसंपत्तियों के सदुपयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जो भवन या संसाधन वर्षों से बेकार पड़े हैं, उन्हें शिक्षा के किसी सकारात्मक कार्य में लगाया जाए। साथ ही, विद्यालयों में बालिकाओं के लिए अलग शौचालय और सेनेटरी पैड की पर्याप्त उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाए।
स्कूलों में हो समग्र विकास, केवल किताबी ज्ञान नहीं
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि स्कूलों में केवल किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि कला, रंगमंच, संगीत और खेल जैसी गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने कहा कि “फिट इंडिया” अभियान के तहत बच्चों को स्वास्थ्य और फिटनेस के महत्व के प्रति जागरूक किया जाए।
परीक्षा प्रणाली में सुधार और शिक्षकों की नियुक्ति को मिले प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि परीक्षा प्रणाली में सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं, जिससे छात्रों का मूल्यांकन अधिक प्रभावी हो सके। साथ ही, विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को शीघ्र भरने की कार्यवाही शुरू की जाए, ताकि शैक्षिक गुणवत्ता प्रभावित न हो।
भारत दर्शन योजना और स्मार्ट स्कूल की पहल
बैठक में अधिकारियों ने जानकारी दी कि भारत दर्शन योजना के तहत इस वर्ष 1,082 टॉपर्स को देश के प्रमुख संस्थानों का भ्रमण कराया जाएगा। अब तक 156 मेधावी छात्र-छात्राओं को दिल्ली, हिमाचल, पंजाब और हरियाणा भ्रमण पर भेजा जा चुका है। इसके अतिरिक्त, राज्य के 559 क्लस्टर स्कूलों को स्मार्ट स्कूल के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिनमें 4,019 स्मार्ट क्लास संचालित की जाएंगी।
इस महत्वपूर्ण बैठक में शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव श्री आर. के. सुधांशु, श्री आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शिक्षा श्री रविनाथ रामन, शिक्षा महानिदेशक सुश्री दीप्ति सिंह, स्थानिक आयुक्त श्री अजय मिश्रा सहित शिक्षा विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।