बाराबंकी में जनहित की अनदेखी पर भाकियू अम्बावत गुट का बड़ा आंदोलनिक कदम

Report By: श्रवण कुमार यादव,
जनपद बाराबंकी में जनहित के मुद्दों की अनदेखी, भ्रष्टाचार और बदहाल प्रशासनिक व्यवस्था के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन (अम्बावत गुट) के जिला महामंत्री ने जिला प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है। मंगलवार को जिलाधिकारी को एक विस्तृत और तथ्यात्मक शिकायत पत्र सौंपते हुए जिला महामंत्री ने प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि आम जनता की बुनियादी सुविधाएं पूरी तरह चरमरा चुकी हैं और जिले के जिम्मेदार अधिकारी व विभाग मूकदर्शक बने बैठे हैं।
गंदगी और जलजमाव बना गंभीर संकट
ज्ञापन में सबसे पहले नगर पालिका की लचर कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए। नवाबगंज समेत विभिन्न नगर क्षेत्रों में जलजमाव और गंदगी के कारण लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। नालियों की समय पर सफाई नहीं हो रही, मच्छरों की भरमार है और मलेरिया व डेंगू जैसी बीमारियां फैलने का खतरा मंडरा रहा है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि नगर पालिका प्रशासन सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति कर रहा है।
हर घर जल योजना’ के नाम पर दिखावा, कई कॉलोनियों में पीने का पानी नहीं
जिले के लखपेड़ा बाग कॉलोनी और अन्य कई मोहल्लों में वर्षो पूर्व पाइपलाइन बिछाई गई लेकिन आज तक उसमें जलापूर्ति शुरू नहीं हो सकी। हर घर जल योजना को लेकर लोगों में केवल निराशा है। लोगों को गंदा पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
किसानों की बर्बादी की कहानी, नहरों की सफाई ठप, खाद-बीज का संकट
किसानों की समस्याओं को भी प्रमुखता से उठाया गया। ज्ञापन में बताया गया कि जिले की नहरें वर्षों से सफाई के अभाव में जमींदोज हो चुकी हैं, जिसके चलते खेतों में सिंचाई ठप है। वहीं सरकारी गोदामों में खाद और बीज की किल्लत चरम पर है। जर्जर सड़कों की वजह से किसान मंडियों तक अपनी उपज पहुंचाने में भी परेशान हैं।
बिजली बिल और स्मार्ट मीटर बना मुसीबत
ग्रामीण क्षेत्रों में बिना सहमति लोगों के घरों में स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं, जिसके बाद उपभोक्ताओं को भारी भरकम बिजली बिल थमाए जा रहे हैं। शिकायत में कहा गया कि यह सीधे-सीधे गरीब किसानों और मजदूरों की कमर तोड़ने की साजिश है।
जरूरी सरकारी दस्तावेजों के लिए महीनों तक चक्कर
राशन कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र और परिवार रजिस्टर की नकल जैसे जरूरी दस्तावेजों के लिए लोगों को महीनों चक्कर काटना पड़ रहा है। अधिकारियों की लापरवाही से गरीब व जरूरतमंदों को भारी परेशानी हो रही है।
थानों में न्याय का टोटा, गरीबों की फरियाद बेअसर
जिले के थानों में गरीबों की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। शिकायतकर्ता के मुताबिक गरीब पीड़ितों को थानों में न्याय नहीं मिलता, जिस कारण लोग एसपी कार्यालय में दौड़ने को मजबूर हैं।
कई विभागों में भ्रष्टाचार का आरोप, एजेंटों की चलती है दुकान
शिकायत में एआरटीओ कार्यालय, जिला अस्पताल, नगर पालिका और कृषि विभाग में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार की शिकायत की गई है। आरोप है कि विभागीय अधिकारी फर्जी किसान नेताओं और एजेंटों के माध्यम से वसूली कर रहे हैं।
वर्षों से जमे अफसरों पर सवाल, ट्रांसफर और जांच की मांग
जिला महामंत्री ने शिकायत में स्पष्ट कहा कि कई विभागों के अधिकारी 3 वर्षों से अधिक समय से एक ही स्थान पर तैनात हैं। उन्होंने ऐसे अफसरों के तत्काल ट्रांसफर और उनकी संपत्ति की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
सड़क हादसे की जांच में लापरवाही, 11 माह से इंसाफ अधूरा
ज्ञापन में एक सड़क हादसे का जिक्र करते हुए कहा गया कि 11 दिसंबर 2024 को हुई दुर्घटना में एफआईआर दर्ज होने के बावजूद अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है और सीसीटीवी फुटेज की जांच भी ठंडे बस्ते में है।
आयुष्मान कार्ड की त्रुटियां बनी गरीबों की मुसीबत
आयुष्मान कार्ड में नाम, जन्मतिथि और स्पेलिंग की त्रुटियों के कारण गरीब मरीज इलाज से वंचित हो रहे हैं। कई बार शिकायत के बावजूद सुधार नहीं किया गया, जिससे गरीबों के जीवन से खिलवाड़ हो रहा है।
अवैध खनन से किसानों की फसलें बर्बाद
हैदरगढ़, सिद्धौर और रामसनेहीघाट में जेसीबी और पोकलैंड मशीनों से भारी पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है। शिकायत में बताया गया कि इसकी वजह से खेतों को नुकसान हो रहा है और सरकारी राजस्व की भी चोरी हो रही है।
संगठन ने उठाई यह प्रमुख मांगे
भारतीय किसान यूनियन (अम्बावत गुट) ने ज्ञापन के माध्यम से कई मांगें रखी हैं –
नगर पालिका की सफाई व्यवस्था में तत्काल सुधार
जलापूर्ति की व्यवस्था दुरुस्त करना
भ्रष्टाचार की स्वतंत्र जांच
दलाली व अवैध वसूली पर रोक
लंबित सड़क दुर्घटना की निष्पक्ष जांच
हर हफ्ते जनसुनवाई शिविर लगाकर शिकायतों का निस्तारण
जनता त्रस्त है, प्रशासन मस्त, अब जवाबदेही जरूरी”
ज्ञापन में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि यदि जल्द जनहित की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो संगठन को आंदोलन की राह अपनानी पड़ेगी।