सरकार की महत्वपूर्ण मनरेगा योजना चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट, जिम्मेदार बने संरक्षक

Report By: शिवराज यादव
उत्तर प्रदेश सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना “मनरेगा” (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) का उद्देश्य ग्रामीण भारत में बेरोजगारी को कम कर लोगों को 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराना है। लेकिन सीतापुर जनपद में यह योजना अब भ्रष्टाचार और लूटखसोट का अड्डा बनती जा रही है।
जनपद के कई विकास खंडों में मनरेगा कार्यों में भारी गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। ग्राम पंचायतों में कार्य करने के नाम पर जिम्मेदार अधिकारी, तकनीकी सहायक, रोजगार सेवक, ग्राम प्रधान और सचिव मिलकर फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहे हैं। इनकी मिलीभगत से मनरेगा के नाम पर सरकारी धन को जमकर लूटा जा रहा है। जिन कार्यों के लिए मजदूरों को रोजगार देना था, वे कार्य या तो शुरू ही नहीं हुए या फिर केवल कागजों पर पूरे कर दिए गए।
विकास खंड पर्सेडी के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत फत्तेपुर माफी में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार, यहां कागजों पर दो मनरेगा कार्य दर्शाए जा रहे हैं, लेकिन मौके पर कोई भी कार्य नहीं चल रहा है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि दिनांक 22 जुलाई को 131 मजदूरों की और 23 जुलाई को 122 मजदूरों की फर्जी हाजिरी दर्शा दी गई। जबकि मौके पर न तो कोई काम हुआ और न ही मजदूरों की उपस्थिति दर्ज की गई।
तकनीकी सहायक और ग्राम प्रधान की मिलीभगत से इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया है। बताया जा रहा है कि एमबी (मास्टर रोल बुक) के नाम पर तकनीकी सहायक द्वारा हेराफेरी की जा रही है, वहीं ग्राम प्रधान और रोजगार सेवक द्वारा पुरानी फोटो अपलोड कर काम पूरा दिखाया जा रहा है। यह स्पष्ट रूप से सरकार को धोखा देने और सरकारी धन का दुरुपयोग करने का मामला है।
ऐसे ही भ्रष्टाचार का एक और मामला विकास खंड हरगांव की ग्राम पंचायत बनिहार में सामने आया है। यहां चमरहिया तालाब के जिर्णोद्धार कार्य के तहत मनरेगा योजना के अंतर्गत 39 श्रमिकों की हाजिरी दर्शाई गई है, लेकिन कार्य स्थल पर पुरानी तस्वीरों का उपयोग कर काम पूर्ण दिखाया जा रहा है।
इस पूरे फर्जीवाड़े में ग्राम प्रधान, रोजगार सेवक और तकनीकी सहायक की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। फोटो अपलोडिंग, हाजिरी और मास्टर रोल में की गई गड़बड़ियों से यह स्पष्ट हो गया है कि मनरेगा की राशि को ठिकाने लगाने का सुनियोजित षड्यंत्र रचा गया है।
जहां एक ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का दावा कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ग्राम पंचायत स्तर पर ही उनके आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। सवाल यह उठता है कि जब ग्राम स्तर पर ही इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है तो जिले और राज्य स्तर तक इसकी जवाबदेही कौन तय करेगा?
मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना, जो ग्रामीण जनता के लिए रोजगार का बड़ा साधन है, उसमें हो रहे इस प्रकार के भ्रष्टाचार से न केवल सरकारी धन का नुकसान हो रहा है, बल्कि गरीब मजदूरों का हक भी छीना जा रहा है।
स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। साथ ही दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों और ग्राम प्रधानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है ताकि मनरेगा जैसी जनकल्याणकारी योजना का उद्देश्य सफल हो सके और यह योजना वास्तव में जरूरतमंदों तक पहुंचे, न कि भ्रष्ट तंत्र के हवाले हो।