ग्राम पंचायत मिहौना की बदहाली उजागर कीचड़ से सनी सड़कें

Report By: रामजी

विकासखंड कुठौंद के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत मिहौना में आज भी बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी देखी जा रही है। ग्राम पंचायत का कार्यकाल लगभग समाप्ति की ओर है, लेकिन गांव की स्थिति जस की तस बनी हुई है। गांव की सड़कें कीचड़ से पट चुकी हैं, नालियां बजबजा रही हैं, और हर तरफ गंदगी का आलम है। यह हाल तब है जब ग्राम प्रधान देवेंद्र सिंह यादव खुद एक पूर्व सैनिक रह चुके हैं, जिनसे ग्रामवासियों को उम्मीद थी कि वह अनुशासन, सेवा भाव और ईमानदारी के साथ गांव का विकास करेंगे। लेकिन धरातल पर तस्वीर बिल्कुल उलट है।

ग्रामवासियों का कहना है कि उन्होंने एक पूर्व सैनिक पर भरोसा करते हुए उसे अपना जनप्रतिनिधि चुना, लेकिन पूरे कार्यकाल में ग्राम प्रधान द्वारा किसी भी समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया। गांव के विकास, साफ-सफाई, जल निकासी या सड़क निर्माण जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है।

गांव की गलियों और मुख्य रास्तों पर गंदगी और कीचड़ इस कदर फैली हुई है कि बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को चलना दूभर हो गया है। बारिश के दिनों में स्थिति और भी भयावह हो जाती है, जब यह कीचड़ दलदल में तब्दील हो जाता है। कई बार लोग रास्तों में गिरकर चोटिल हो चुके हैं, लेकिन पंचायत और प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।

गांव में सफाईकर्मियों की नियुक्ति शासन द्वारा की गई है, लेकिन उन पर ग्राम प्रधान या पंचायत सचिव का कोई नियंत्रण नहीं है। ये सफाईकर्मी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की बजाय नेतागिरी और आरामतलबी में लगे रहते हैं। न समय पर सफाई होती है, न कूड़ा उठाया जाता है। पूरे गांव में गंदगी का साम्राज्य स्थापित हो चुका है।

सरकार द्वारा ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के अंतर्गत गांवों में साफ-सफाई के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। लेकिन मिहौना पंचायत की स्थिति देखकर यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि यह योजना कागजों पर ही सिमटकर रह गई है। न शौचालयों की स्थिति बेहतर है, न गलियों की। नालियों की सफाई महीनों से नहीं हुई है, जिससे बीमारियों का खतरा बना हुआ है।

गांव की बदहाली केवल ग्राम प्रधान की लापरवाही का ही परिणाम नहीं है, बल्कि संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों की निष्क्रियता भी इसके लिए बराबर जिम्मेदार है। खंड विकास अधिकारी (बीडीओ), सहायक खंड विकास अधिकारी (एबीडीओ), और ग्राम विकास अधिकारी (वीडीओ) की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। अगर समय-समय पर निगरानी और कार्यों की समीक्षा की गई होती, तो शायद मिहौना की हालत इतनी बदतर न होती।

ग्राम मिहौना के जागरूक नागरिकों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि ग्राम पंचायत की स्थिति का तत्काल निरीक्षण कराया जाए, लापरवाह सफाई कर्मियों और पंचायत प्रतिनिधियों के खिलाफ जांच बैठाकर सख्त कार्रवाई की जाए। ग्रामीणों ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि जल्द व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ, तो वे सामूहिक रूप से विरोध प्रदर्शन करेंगे।

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