पंचायत सचिव पर रिश्वत का आरोप लगाने वाली महिला ने कोर्ट में लगाई गुहार

Report By: तारकेश्वर प्रसाद

बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महिला की हिम्मत और जुझारूपन इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। पंचायत सचिव पर घूस लेने का गंभीर आरोप लगाने वाली महिला पिंकी देवी अब न्याय की आस में अदालत की शरण में पहुंच गई हैं। मामला पटना जिले के दानापुर अनुमंडल से जुड़ा है, जहां पिंकी देवी ने दानापुर कोर्ट में याचिका दायर कर अपने पति का मृत्यु प्रमाण पत्र (डेथ सर्टिफिकेट) जारी कराने की गुहार लगाई है।

पिंकी देवी ने अदालत से फरियाद करते हुए कहा कि उनके पति का हाल ही में निधन हो गया है और अब बच्चों का स्कूल में नामांकन (एडमिशन) कराने के लिए डेथ सर्टिफिकेट जरूरी है। लेकिन पंचायत सचिव की मनमानी और रिश्वतखोरी के कारण उन्हें यह जरूरी दस्तावेज नहीं मिल पा रहा है।

पिंकी देवी ने मीडिया से बात करते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने पंचायत कार्यालय में मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन दिया था, लेकिन पंचायत सचिव ने उससे इसके बदले 1500 रुपये रिश्वत की मांग की।

“मैंने पहली बार 1500 रुपये दिए, लेकिन मुझे सर्टिफिकेट नहीं मिला। दूसरी बार जब मैं गई, तो मुझसे फिर से पैसे मांगे गए। मैंने जब अपनी मजबूरी बताई कि मेरे पास और पैसे नहीं हैं, तो पंचायत सचिव ने मुझे धक्का दे दिया और कहा – ‘जहां जाना है जाओ’,” पिंकी देवी ने बताया।

उन्होंने आगे कहा कि सचिव ने यह भी कहा कि “ऊपर तक पैसे देने पड़ते हैं”, इसलिए उन्हें और पैसे देने होंगे।

पिंकी देवी ने कहा कि उन्होंने पहले स्थानीय विधायक भाई वीरेंद्र से भी इस मामले में मदद मांगी थी, लेकिन जब वहां से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो आखिरकार उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया।

“मेरे पति के निधन को कुछ ही दिन हुए हैं। मैं अभी भी सदमे में हूं। ऐसे समय में कोई भी विवाद नहीं चाहती थी। लेकिन जब बच्चों का भविष्य दांव पर लगा हो और हर सरकारी काम के लिए एक सर्टिफिकेट न मिले, तो मजबूरी में अदालत आना पड़ा,” – पिंकी देवी ने कहा।

इस मामले के कोर्ट में पहुंचने के बाद पंचायत सचिव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अदालत द्वारा यदि मामले की जांच के आदेश दिए जाते हैं, तो भ्रष्टाचार के आरोपों की परतें खुल सकती हैं।

पंचायत सचिव की ओर से अब तक इस पूरे मामले में कोई सफाई नहीं दी गई है।
इस पूरे घटनाक्रम में स्थानीय प्रशासन की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। आमजन से जुड़े सबसे बुनियादी प्रमाण पत्र के लिए रिश्वतखोरी की शिकायत कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब बात कोर्ट तक पहुंच जाती है, तब प्रशासन को हरकत में आना ही चाहिए।

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