पुरानी पेंशन बहाली और निजीकरण के विरोध में अटेवा का उग्र प्रदर्शन

Report By : हरिमोहन याज्ञिक
उरई, जालौन: जिले के पेंशनविहीन शिक्षकों और कर्मचारियों ने शुक्रवार को पुरानी पेंशन बहाली और सरकारी विभागों के निजीकरण के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया। अटेवा/एनएमओपीएस (राष्ट्रीय मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु के आह्वान पर यह रोष मार्च आयोजित किया गया, जिसमें जिलेभर से सैकड़ों शिक्षक और कर्मचारी शामिल हुए।
मार्च बीएसए कार्यालय से कलेक्ट्रेट तक निकाला गया, जहां प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। यह आंदोलन पुरानी पेंशन बहाली की लंबे समय से चली आ रही मांग और एनपीएस (न्यू पेंशन स्कीम) की खामियों को उजागर करने के लिए किया गया था।
जिलाध्यक्ष अजय कुमार निरंजन ने कहा कि वर्ष 2004-05 के बाद नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारियों को एनपीएस (नई पेंशन योजना) के तहत रखा गया है, जिसमें न तो गारंटी है और न ही सेवानिवृत्ति के बाद सुरक्षित भविष्य। उन्होंने बताया कि हाल ही में सेवानिवृत्त हुए कई कर्मचारियों को मात्र 1000 से 2000 रुपये की मासिक पेंशन मिल रही है, जो कि अपमानजनक है और जीवनयापन के लिए बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से विधायक और सांसद मात्र एक दिन के कार्यकाल पर आजीवन पेंशन के हकदार होते हैं, वहीं एक शिक्षक या कर्मचारी जो 30 से 35 साल सेवा देता है, उसे पेंशन से वंचित कर दिया जाता है। यह दोहरा मापदंड नहीं चलेगा।
महामंत्री हरवेंद्र यादव ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार ने पेंशन बहाली की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार नहीं किया, तो देशभर के शिक्षक और कर्मचारी 25 नवंबर को दिल्ली में “संवैधानिक अधिकार रैली” निकालेंगे, जिसमें लाखों की संख्या में कर्मचारी हिस्सा लेंगे। यह रैली सरकार को चेताने का काम करेगी कि अगर पुरानी पेंशन बहाली की मांग नहीं मानी गई, तो आंदोलन और भी व्यापक किया जाएगा।
जिला सह-संयोजक अरविंद कुमार निरंजन ने निजीकरण के खिलाफ ज़ोरदार आवाज उठाते हुए कहा कि यह देशहित के लिए एक अभिशाप बनता जा रहा है। उन्होंने सरकारी संस्थानों के राष्ट्रीयकरण की मांग की और कहा कि यदि शिक्षा, स्वास्थ्य और सार्वजनिक सेवाएं निजी हाथों में चली गईं तो आम जनता को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
इस रोष मार्च को यूटा, यूपीपीएसएस (ठाकुरदास गुट), राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, महिला शिक्षक संघ, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ, एससी/एसटी टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन, आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति, लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर कर्मचारी संघ, लेखपाल संघ, रेलवे यूनियन, सिंचाई एवं नलकूप विभाग, पंचायती राज ग्रामीण सफाई कर्मचारी संघ, पीडब्ल्यूडी कर्मचारी संघ जैसे अनेक संगठनों का भरपूर समर्थन मिला।