6-6-6 Walking Routine: सोशल मीडिया पर छाया ये नया हेल्थ ट्रेंड, क्या वाकई है फायदेमंद?

Report By : हेल्थ डेस्क
इन दिनों सोशल मीडिया पर एक नया हेल्थ ट्रेंड ज़बरदस्त सुर्खियों में है, जिसे ‘6-6-6 वॉकिंग रूटीन’ कहा जा रहा है। TikTok, Instagram, YouTube और Facebook जैसे प्लेटफॉर्म पर इस रूटीन के वीडियो तेज़ी से वायरल हो रहे हैं, और लाखों लोग इसे अपनाकर अपने जीवन में बदलाव लाने का दावा कर रहे हैं। कुछ इसे लाइफस्टाइल चेंज कह रहे हैं, तो कुछ के लिए यह फिटनेस चैलेंज बन गया है। लेकिन आखिर यह 6-6-6 वॉकिंग रूटीन है क्या, और क्या यह वाकई उतना असरदार है, जितना बताया जा रहा है?
6-6-6 वॉकिंग रूटीन नाम से भले ही थोड़ा रहस्यमयी या तकनीकी लगे, लेकिन इसका कॉन्सेप्ट बेहद आसान है। इसमें तीन बहुत ही बेसिक लेकिन अनुशासित नियम शामिल हैं: पहला – सुबह 6 बजे उठना, दूसरा – हफ्ते में 6 दिन वॉक करना, और तीसरा – हर दिन 6 किलोमीटर पैदल चलना। इस नियम को अपनाने वालों का दावा है कि यह न केवल उनके फिजिकल हेल्थ बल्कि मेंटल हेल्थ के लिए भी क्रांतिकारी साबित हो रहा है। खास बात ये है कि इसमें किसी तरह के जटिल वर्कआउट, एक्सरसाइज़ या महंगे सप्लीमेंट्स की जरूरत नहीं है। ये एक ऐसा ट्रेंड है, जिसे आप सिर्फ समय देकर और अपने पैरों पर भरोसा कर के फॉलो कर सकते हैं।
इस रूटीन के सबसे बड़े फायदों में से एक है हृदय स्वास्थ्य यानी हार्ट हेल्थ में सुधार। कई स्टडीज़ यह दिखा चुकी हैं कि रोजाना कम से कम 30–60 मिनट तक चलना दिल की बीमारियों को दूर रखने में मदद करता है। जब आप हर दिन 6 किलोमीटर चलते हैं, तो यह लगभग 7,000–8,000 कदमों के बराबर होता है, जो कि एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए आदर्श माना जाता है। इससे न केवल ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में रहता है, बल्कि शरीर की धमनियों में रक्त प्रवाह भी बेहतर होता है।
दूसरा बड़ा फायदा मेंटल हेल्थ से जुड़ा है। आज की तनावपूर्ण और डिजिटल दुनिया में मानसिक स्वास्थ्य एक बड़ी चिंता बन चुका है। ऐसे में सुबह की ताजगी भरी वॉक न केवल दिमाग को शांत करती है, बल्कि मूड बेहतर करती है और डिप्रेशन व एंग्जायटी के लक्षणों को भी कम करती है। जो लोग वॉकिंग को रेगुलर करते हैं, उनका कहना है कि उन्हें दिनभर मानसिक स्पष्टता, ऊर्जा और बेहतर नींद मिलती है।
इस रूटीन को फॉलो करने वालों में अधिकतर लोग वे हैं, जो पहले फिटनेस के लिए समय नहीं निकाल पाते थे या जिन्हें जिम जाना जटिल और थकाऊ लगता था। 6-6-6 रूटीन उनके लिए एक सरल लेकिन प्रभावी विकल्प बनकर सामने आया है। इस चलन की एक और खास बात है—इसमें कोई आर्थिक बोझ नहीं है। आपको सिर्फ एक जोड़ी आरामदायक वॉकिंग शूज़ चाहिए, और थोड़ा अनुशासन। न महंगे जिम पास, न पर्सनल ट्रेनर, न ही प्रोटीन पाउडर।
सोशल मीडिया पर इस ट्रेंड को बढ़ावा देने में फिटनेस इन्फ्लुएंसर्स का बड़ा योगदान रहा है। कई वायरल वीडियो में लोगों ने बताया कि उन्होंने 30 दिनों तक यह रूटीन फॉलो किया और खुद को पहले से कहीं ज़्यादा फिट, फ्रेश और फोकस्ड महसूस किया। कुछ लोगों ने इस वॉकिंग रूटीन की मदद से 4 से 5 किलो तक वजन घटाने का भी दावा किया है।
लेकिन हर हेल्थ ट्रेंड की तरह यह भी सभी के लिए एक जैसा नहीं हो सकता। विशेषज्ञों का कहना है कि जिन लोगों को हृदय संबंधी गंभीर समस्याएं हैं, जिन्हें घुटनों या रीढ़ की हड्डी में तकलीफ रहती है, या बुज़ुर्ग लोग, उन्हें इस रूटीन को फॉलो करने से पहले डॉक्टर से परामर्श ज़रूर लेना चाहिए। इसके अलावा, शुरुआत में 6 किलोमीटर चलना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, इसलिए जरूरी है कि पहले 2–3 किलोमीटर से शुरुआत करें और धीरे-धीरे दूरी बढ़ाएं।
इस रूटीन की सफलता का राज है इसकी सादगी और नियमितता। यह हमें एक बार फिर जीवन की मूल आदतों की ओर लौटने के लिए प्रेरित करता है—जल्दी उठना, शरीर को हर रोज़ एक्टिव रखना, और मोबाइल स्क्रीन से थोड़ी दूरी बनाकर प्राकृतिक वातावरण में समय बिताना। यही वजह है कि यह ट्रेंड सिर्फ एक हेल्थ टिप नहीं बल्कि एक नया लाइफस्टाइल मूवमेंट बनता जा रहा है।
आखिर में सवाल यह नहीं है कि यह ट्रेंड कितना वायरल हो रहा है, बल्कि सवाल यह है कि क्या आप अपनी जीवनशैली में थोड़ा अनुशासन और सक्रियता लाकर अपने शरीर और मन की सेहत को बेहतर बनाना चाहते हैं? अगर हां, तो 6-6-6 वॉकिंग रूटीन आपके लिए एक अच्छा पहला कदम हो सकता है। यह ट्रेंड भले ही वायरल हो, लेकिन अगर इसे समझदारी से अपनाया जाए तो यह आपकी ज़िंदगी की दिशा बदल सकता है।