जेल अधीक्षक से उत्तर प्रदेश अपराध निरोधक समिति के सदस्यों की मुलाक़ात

Report By: आसिफ़ अंसारी
गाज़ीपुर : उत्तर प्रदेश शासन द्वारा संरक्षित और जेल मैनुअल के अंतर्गत कार्यरत संस्था उत्तर प्रदेश अपराध निरोधक समिति के जिला सचिव एवं जेल पर्यवेक्षक अभिषेक कुमार सिंह ने मंगलवार को समिति के सदस्यों के साथ जिला जेल अधीक्षक जगदम्बा प्रसाद दुबे से मुलाक़ात की। इस मौके पर समिति की ओर से “सेवा पथ” पुस्तिका जेल अधीक्षक को भेंट की गई। मुलाक़ात के दौरान समिति के सदस्यों और जेल अधीक्षक के बीच अपराध निरोधक समिति की कार्यप्रणाली, कार्यक्रमों की रूपरेखा, बंदियों के सुधार और पुनर्वास की योजनाओं सहित कई महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई।
जेल अधीक्षक ने समिति को जिला जेल में बंदियों की मौजूदा स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि मंगलवार को जिला जेल में कुल 654 बंदी थे, जिनमें 40 महिला बंदी और 5 छोटे बच्चे शामिल थे। विशेष रूप से यह उल्लेखनीय है कि इनमें से 2 बच्चों को जेल से बाहर स्कूल भेजा जा रहा है, ताकि वे शिक्षा से वंचित न रहें। यह पहल जिला स्तर पर व्यापक सराहना का विषय बनी हुई है और इसे बंदियों के परिवारों के साथ-साथ समाज में भी सकारात्मक दृष्टि से देखा जा रहा है।
जेल अधीक्षक ने आगे बताया कि जिला जेल प्रशासन बंदियों के खानपान, स्वास्थ्य, खेलकूद और शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। समय-समय पर स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाते हैं, खेल प्रतियोगिताओं के माध्यम से बंदियों को मानसिक और शारीरिक रूप से सक्रिय रखा जाता है, और शिक्षा के जरिए उनके व्यक्तित्व विकास पर काम किया जाता है। उन्होंने कहा कि अपराध निरोधक समिति का सहयोग इन सुधारात्मक प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाता है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश अपराध निरोधक समिति वर्ष 1938 में स्थापित की गई थी और यह संस्था राज्य के सभी जिलों में जेल मैनुअल के तहत कार्य करती है। इसका मुख्य उद्देश्य अपराध की रोकथाम, बंदियों का सुधार, पुनर्वास और उन्हें समाज में सम्मानजनक जीवन जीने के लिए तैयार करना है। समिति समय-समय पर जेलों का निरीक्षण करती है, समस्याओं की पहचान करती है और उनके समाधान के लिए प्रशासन को सुझाव देती है।
इस मुलाक़ात में समिति के जिला सचिव अभिषेक कुमार सिंह के साथ वसीम रज़ा, सुजीत कुमार और वेद प्रकाश श्रीवास्तव भी मौजूद रहे। सभी सदस्यों ने जेल अधीक्षक जगदम्बा प्रसाद दुबे के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह की पहल न केवल बंदियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाती है बल्कि समाज में अपराध की पुनरावृत्ति को भी रोकने में सहायक होती है।