आयर थाना के एएसआई पर 10 वर्षीय बालक से यौन शोषण का गंभीर आरोप

Report By: तारकेश्वर प्रसाद

आरा: बिहार के भोजपुर जिले के आयर थाना क्षेत्र से एक बेहद ही शर्मनाक और गंभीर मामला सामने आया है, जिसने न केवल स्थानीय समुदाय को स्तब्ध कर दिया है, बल्कि पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। आयर थाना में तैनात सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) प्रभु नाथ सिंह पर एक 10 वर्षीय बालक के साथ यौन शोषण का संगीन आरोप लगा है। पीड़ित बच्चे का नाम गोपनीयता बनाए रखने के लिए बदला गया है और उसे सूरज (बदला हुआ नाम) के रूप में संबोधित किया जा रहा है। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में आक्रोश और अविश्वास का माहौल पैदा कर दिया है।

आयर थाना प्रभारी सुधीर कुमार ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए जानकारी दी कि पीड़ित बालक के परिजनों की लिखित शिकायत के आधार पर तत्काल प्रभाव से प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज कर ली गई है। शिकायत मिलते ही पुलिस ने बिना किसी देरी के आरोपी एएसआई प्रभु नाथ सिंह को हिरासत में ले लिया। थाना प्रभारी ने बताया कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पीड़ित बालक का मेडिकल परीक्षण कराया जा रहा है, और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर मामले की पूरी स्थिति स्पष्ट होगी।

थाना प्रभारी सुधीर कुमार ने आगे कहा, “हमने पीड़ित के परिजनों की शिकायत के आधार पर तुरंत कार्रवाई की है। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसे जल्द ही न्यायिक हिरासत में भेजा जाएगा। हम इस मामले में पूरी पारदर्शिता के साथ जांच कर रहे हैं, और दोषी को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।”

इस घटना ने आयर थाना क्षेत्र के ग्रामीणों और स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। लोग इस बात से स्तब्ध हैं कि जिस पुलिसकर्मी पर कानून और व्यवस्था की रक्षा करने की जिम्मेदारी थी, वही इस तरह के घृणित अपराध में लिप्त पाया गया। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं न केवल समाज के लिए कलंक हैं, बल्कि पुलिस प्रशासन के प्रति आम जनता का भरोसा भी तोड़ती हैं।

एक स्थानीय निवासी रामप्रसाद सिंह ने गुस्से में कहा, “पुलिस का काम है हमारी और हमारे बच्चों की सुरक्षा करना, लेकिन जब वही पुलिसकर्मी इस तरह के अपराध में शामिल हो जाए, तो हम किस पर भरोसा करें? हम मांग करते हैं कि आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए ताकि भविष्य में कोई दूसरा ऐसा करने की हिम्मत न करे।”

पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं और पॉक्सो एक्ट (Protection of Children from Sexual Offences Act) के तहत मामला दर्ज किया गया है। पीड़ित बालक का मेडिकल परीक्षण स्थानीय अस्पताल में किया जा रहा है, और मेडिकल रिपोर्ट के आने के बाद जांच को और गति दी जाएगी। पुलिस ने यह भी आश्वासन दिया है कि इस मामले में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरती जाएगी।

यह घटना भोजपुर जिले में पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठा रही है। लोगों का कहना है कि पुलिसकर्मियों की भर्ती और उनकी कार्यशैली की निगरानी में और सख्ती की जरूरत है। इस घटना ने पुलिस प्रशासन के चयन और प्रशिक्षण प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े किए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता अनीता देवी ने कहा, “यह बेहद दुखद है कि एक पुलिसकर्मी, जो समाज की रक्षा के लिए नियुक्त किया गया है, वह स्वयं इस तरह के जघन्य अपराध में शामिल हो। पुलिस प्रशासन को अपने कर्मचारियों की पृष्ठभूमि और व्यवहार की गहन जांच करनी चाहिए।”

बाल संरक्षण और मानवाधिकारों पर काम करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती हैं। सामाजिक कार्यकर्ता और बाल अधिकार कार्यकर्ता रमेश कुमार ने बताया, “ऐसे मामलों में पीड़ित बच्चे को तुरंत मनोवैज्ञानिक सहायता और काउंसलिंग प्रदान की जानी चाहिए। साथ ही, इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन को अपने कर्मचारियों के लिए नियमित प्रशिक्षण और नैतिक शिक्षा पर जोर देना होगा।”

पुलिस ने बताया कि आरोपी एएसआई प्रभु नाथ सिंह को जल्द ही कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेजा जाएगा। इस मामले में पुलिस ने स्थानीय लोगों से भी अपील की है कि वे किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें और जांच में सहयोग करें। साथ ही, पुलिस ने यह भी आश्वासन दिया है कि इस मामले की जांच पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ की जाएगी।

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