केंद्र सरकार कर्मचारियों के लिए नई Health Insurance योजना, 8th Pay Commission में CGHS की जगह बड़ा बदलाव

Report By : बिजनेस डेस्क

केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए एक बड़ी खबर सामने आ रही है। 8th Central Pay Commission (आठवां वेतन आयोग) की तैयारियों के बीच स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। अब तक सरकारी कर्मचारियों और उनके आश्रितों को स्वास्थ्य सुविधा CGHS (Central Government Health Scheme) के अंतर्गत मिलती रही है, लेकिन आने वाले समय में इस व्यवस्था को बदलकर नई Health Insurance Policy लागू करने की योजना बनाई जा रही है। यह परिवर्तन न सिर्फ कर्मचारियों की सुविधा को बढ़ाने वाला होगा, बल्कि स्वास्थ्य क्षेत्र में पारदर्शिता और आधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल सुनिश्चित करेगा।

सरकार का यह कदम इसलिए भी अहम है क्योंकि लंबे समय से CGHS को लेकर कर्मचारियों में असंतोष रहा है। कई बार शिकायतें आती रही हैं कि अस्पतालों में इलाज की सुविधा सीमित है, समय पर दवाइयां नहीं मिल पातीं और छोटे शहरों में CGHS डिस्पेंसरी तक उपलब्ध नहीं है। ऐसे में, Insurance Based Health Coverage से कर्मचारियों को देशभर में कहीं भी इलाज कराने की आज़ादी मिलेगी।

क्यों बदला जा रहा है CGHS सिस्टम?

CGHS स्कीम की शुरुआत 1954 में हुई थी और इसका उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को सस्ती और भरोसेमंद स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना था। हालांकि, पिछले कुछ दशकों में भारत का स्वास्थ्य क्षेत्र तेजी से बदला है। प्राइवेट अस्पतालों और मेडिकल इंश्योरेंस के प्रसार के बावजूद CGHS अब भी अपने पुराने ढर्रे पर चल रहा है।

कर्मचारियों को शिकायत रहती है कि—

बड़े शहरों के बाहर डिस्पेंसरी नहीं मिलती।

दवाओं और डायग्नोस्टिक टेस्ट की लंबी लिस्ट में कटौती।

आपातकालीन स्थिति में प्राइवेट अस्पतालों के साथ भुगतान संबंधी विवाद।

इलाज के लिए बार-बार फाइलिंग और डॉक्यूमेंटेशन।

यही वजह है कि सरकार अब Cashless Health Insurance Policy लाने की तैयारी कर रही है, जो कर्मचारियों और पेंशनर्स को आधुनिक सुविधा देगी।

नई Health Insurance Policy की संभावित विशेषताएं

सरकार की ओर से जो खाका तैयार किया जा रहा है, उसमें कई बड़े बदलाव शामिल होंगे। नई पॉलिसी के तहत—

1. Cashless Treatment की सुविधा – कर्मचारी किसी भी पैनल्ड अस्पताल में कैशलेस इलाज करा सकेंगे।

2. All India Coverage – सिर्फ दिल्ली या बड़े शहर ही नहीं, बल्कि देशभर के अस्पताल इसमें शामिल होंगे।

3. Digital Claim Settlement – पेपरवर्क और फाइलिंग की झंझट खत्म कर डिजिटल पेमेंट सिस्टम अपनाया जाएगा।

4. Family Coverage – पॉलिसी के तहत न सिर्फ कर्मचारी बल्कि उनके परिवार (पति/पत्नी, बच्चे, माता-पिता) को भी सुरक्षा मिलेगी।

5. Emergency Support – इमरजेंसी मेडिकल केस में तुरंत अस्पताल में भर्ती की सुविधा मिलेगी।

6. Wide Hospital Network – सरकार बड़े निजी अस्पतालों को भी इस नेटवर्क में जोड़ेगी।

8th Pay Commission और Health Insurance का कनेक्शन

8th Pay Commission 2026 से लागू होने की संभावना है। हालांकि, उसकी तैयारियां अभी से शुरू हो चुकी हैं। सरकार चाहती है कि वेतन वृद्धि के साथ कर्मचारियों को स्वास्थ्य सुरक्षा (Health Security) भी दी जाए।

कर्मचारियों की एक बड़ी मांग यह रही है कि—

वेतन आयोग के साथ मेडिकल सुविधाओं को भी नया रूप दिया जाए।

महंगाई और बढ़ते मेडिकल खर्च को देखते हुए Health Insurance का कवरेज बड़ा होना चाहिए।

इस बार सरकार की प्राथमिकता साफ है कि सिर्फ वेतन में बढ़ोतरी ही नहीं बल्कि कर्मचारियों की Quality of Life को भी बेहतर बनाया जाए।

कर्मचारियों और यूनियनों की प्रतिक्रिया

केंद्र सरकार कर्मचारी यूनियनों ने इस कदम का स्वागत किया है लेकिन कुछ आशंकाएं भी जाहिर की हैं। उनका कहना है कि—

नई Health Insurance Policy में प्रीमियम का कितना हिस्सा सरकार देगी और कितना कर्मचारी को देना होगा, यह साफ होना चाहिए।

इंश्योरेंस कंपनी का चयन पारदर्शिता के साथ होना चाहिए ताकि प्राइवेट कंपनियां सिर्फ मुनाफा न कमाएं।

छोटे शहरों के कर्मचारियों के लिए अस्पताल नेटवर्क मजबूत किया जाए।

यूनियनों का यह भी कहना है कि अगर यह योजना सही तरीके से लागू हुई तो यह कर्मचारी हितैषी कदम साबित होगा।

CGHS और Insurance Model में फर्क

CGHS: सरकारी डिस्पेंसरी और अस्पतालों पर आधारित, सीमित कवरेज।

Insurance Model: देशभर के प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में इलाज की सुविधा।

CGHS: दवाओं और टेस्ट में देरी की शिकायतें आम।

Insurance Model: कैशलेस और तेज़ सेवा।

CGHS: पुराने ढांचे और सीमित संसाधन।

Insurance Model: आधुनिक तकनीक और डिजिटल क्लेम सेटलमेंट।

Health Insurance से कर्मचारियों को लाभ

1. इलाज में देरी नहीं होगी।

2. छोटे शहरों के कर्मचारियों को भी बड़े अस्पतालों में आसानी से इलाज मिलेगा।

3. मेडिकल इमरजेंसी में पैसों की चिंता खत्म होगी।

4. कर्मचारियों और पेंशनर्स को भरोसेमंद और समान स्वास्थ्य सुविधा मिलेगी।

5. इलाज से जुड़ी पारदर्शिता बढ़ेगी।

सरकार की मंशा और भविष्य की योजना

सरकार का कहना है कि वह इस Health Insurance Policy को एक मॉडल प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू करेगी। पहले इसे चुनिंदा मंत्रालयों या राज्यों में लागू किया जा सकता है। सफल होने पर इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।

इसके लिए सरकार IRDAI (Insurance Regulatory and Development Authority of India) और बड़ी बीमा कंपनियों से बातचीत कर रही है। इसके अलावा, AIIMS और प्रमुख सरकारी अस्पतालों को भी इस नेटवर्क में जोड़े जाने की योजना है।

चुनौतियां और समाधान

इस नई पॉलिसी को लागू करने में कुछ चुनौतियां सामने आ सकती हैं—

अस्पतालों और बीमा कंपनियों के बीच भुगतान विवाद।

छोटे शहरों में अस्पताल नेटवर्क की कमी।

प्रीमियम की दरों पर सहमति बनाना।

यूनियनों की मांगों का समाधान।

सरकार का मानना है कि डिजिटल हेल्थ मिशन और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं से अनुभव लेकर इन चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है।

8th Pay Commission में केंद्र सरकार कर्मचारियों के लिए नई Health Insurance Policy की शुरुआत एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकती है। यह बदलाव न सिर्फ CGHS की कमियों को दूर करेगा, बल्कि सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवारों को आधुनिक स्वास्थ्य सुरक्षा भी देगा।

अगर यह योजना पूरी तरह लागू हो जाती है, तो यह न केवल कर्मचारी वर्ग की सबसे बड़ी मांग पूरी करेगी बल्कि भारत की स्वास्थ्य सेवाओं को भी एक नया आयाम देगी।


Akash Yadav

आकाश यादव पिछले 9 सालों से पत्रकारिता कर रहे है, इन्होंने हिन्दी दैनिक अखबार अमरेश दर्पण से पत्रकारिता की शुरुआत की, इसके उपरांत टीवी मीडिया के ओर रुख मोड लिया, सबसे पहले सुदर्शन न्यूज, नेशन लाइव, ओके इंडिया, साधना एमपी/सीजी और बतौर लखनऊ ब्यूरो खबरें अभी तक न्यूज चैनल में कार्य करने के साथ सद्मार्ग साक्षी दैनिक अखबार में सहायक संपादक और कर्मक्षेत्र टीवी में बतौर संपादक कार्य कर रहे है !

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