गाजीपुर में राष्ट्रीय संगोष्ठी पूर्वजों और परम्पराओं की साझा विरासत में हिन्दू और मुसलमान एक – डॉ. राजीव गुरु जी

Report By: आसिफ अंसारी
गाजीपुर : गाजीपुर की धरती ने रविवार को सौहार्द और भाईचारे का एक अनोखा उदाहरण प्रस्तुत किया। विशाल भारत संस्थान के अशफाक उल्ला खाँ शिक्षा इकाई द्वारा “पूर्वजों और परम्पराओं की सांस्कृतिक विरासत” विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन आशीर्वाद लॉन में किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद, छात्र-छात्राएँ और विभिन्न वर्गों के लोग शामिल हुए।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. राजीव गुरु जी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, विशाल भारत संस्थान लमही वाराणसी एवं प्रोफेसर, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय रहे। उन्हें देशभर में सांस्कृतिक पुनर्जागरण और सामाजिक समरसता का अग्रदूत माना जाता है। डॉ. गुरु जी ने सभागार पहुँचकर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और अमर क्रांतिकारी अशफाक उल्ला खाँ के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। तत्पश्चात दीप प्रज्ज्वलित कर राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया।
अपने उद्बोधन में डॉ. राजीव गुरु जी ने कहा –
“टूटे हुए दिलों को फिर से जोड़ने आया हूँ। सब अपने ही हैं, यही बोलने आया हूँ। हिन्दू और मुसलमान पूर्वजों और परम्पराओं की साझा विरासत में एक ही हैं। जो रिश्ता समय के साथ कहीं बिछड़ गया है, उसे फिर से जोड़ना हमारी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय समाज की ताकत उसकी सांस्कृतिक विविधता और परम्पराओं में निहित है। हिन्दू और मुसलमान दोनों ने मिलकर भारत की गौरवशाली सभ्यता और इतिहास को गढ़ा है। अशफाक उल्ला खाँ और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जैसे महानायकों ने इस एकता और बलिदान की मिसाल कायम की।
डॉ. गुरु जी ने कहा कि विशाल भारत संस्थान विश्व स्तर पर भारतीय संस्कृति और साझा परम्पराओं को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहा है। संस्थान का उद्देश्य समाज में प्रेम, भाईचारा और सौहार्द को मजबूत करना है ताकि वर्तमान पीढ़ी अपने पूर्वजों की उस धरोहर से परिचित हो सके जो हमें एकजुट करती है।
संगोष्ठी में उपस्थित सभी लोगों ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय संस्कृति की असली पहचान आपसी एकता और भाईचारा है। कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों ने साझा विरासत को संरक्षित रखने और परस्पर रिश्तों को और अधिक मजबूत बनाने का संकल्प लिया।
यह संगोष्ठी गाजीपुर के सामाजिक जीवन में एक प्रेरक और ऐतिहासिक पहल के रूप में दर्ज हुई, जिसने यह साबित किया कि पूर्वजों और परम्पराओं की धरोहर हम सभी को जोड़ती है और समाज को एक नई दिशा देने की क्षमता रखती है।