अखिलेश यादव का बड़ा बयान भाजपा-आरएसएस की विदेश नीति ने भारत को कमजोर किया, चीन पर बढ़ती निर्भरता चिंता का विषय

Report By : स्पेशल डेस्क
लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा-आरएसएस की विदेश नीति की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि वर्तमान सरकार की गलत नीतियों ने भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को कमजोर कर दिया है और देश को चीन पर अत्यधिक निर्भर बना दिया है। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई मित्र देशों ने भारत का साथ छोड़ दिया है और आपरेशन सिंदूर के समय पड़ोसी देश भी भारत के साथ खड़े नहीं हुए थे।
यादव ने बताया कि उस समय पाकिस्तान पर हमले के दौरान चीन हर तरह से पाकिस्तान का समर्थन कर रहा था, जबकि अमेरिका, जिसके साथ भारत का बड़ा व्यापारिक संबंध था, ने 50 प्रतिशत व्यापार टैरिफ लगाए और कड़े आर्थिक प्रतिबंधों की धमकी दी। उन्होंने आरोप लगाया कि घबड़ाई भाजपा सरकार अब चीन की शरण में जा रही है, जो भारत की सुरक्षा और आर्थिक हितों के लिए गंभीर खतरा है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने इतिहास के उदाहरण देते हुए कहा कि हिन्दी-चीनी भाई-भाई का नारा झूठा साबित हुआ। 1962 की लड़ाई में भारत के चार हजार सैनिक और अधिकारी चीन के कब्जे में आए और उन्हें गंभीर यातनाएं दी गईं। इसके पहले 1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। उन्होंने कहा कि चीन की नजरें हमेशा भारत भूमि पर रही हैं और उसने रिजंगला में भारत के वार मेमोरियल तोड़ दिया, फाइव फिंगर क्षेत्र पर कब्जा किया और पेंगान लेक को अपने अधीन कर लिया।
अखिलेश यादव ने कहा कि चीन-भारत के अरूणाचल प्रदेश के बड़े हिस्से पर भी अपना दावा करता है और गलवान घाटी समेत अन्य महत्वपूर्ण सैनिक क्षेत्रों में सैन्य गतिविधियों पर कोई रोक नहीं लगाता। ऐसे में भाजपा सरकार का कहना कि “कोई घुसा नहीं” वास्तविकता से मेल नहीं खाता। उन्होंने सवाल उठाया कि फिर दोनों देशों में चल रही वार्ताएं किस उद्देश्य से हो रही हैं।
व्यापारिक दृष्टि से उन्होंने चिंता जताई कि चीन के सामान के बढ़ते आयात के कारण भारतीय बाजार पहले ही भर चुका है। नई डील से चीन का प्रभाव और बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय उद्योग चीन पर निर्भर हैं, जिससे स्वदेशी उत्पादन और आर्थिक आत्मनिर्भरता खतरे में है। अमेरिका के आर्थिक दबावों के सामने चीन ने अपने लिए भारत के व्यापारिक क्षेत्र को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। उन्होंने बताया कि भारत अमेरिका से व्यापार में लाभ उठा रहा था, जबकि चीन के साथ व्यापार घाटे में था।
यादव ने कहा कि चीन एक विस्तारवादी देश है और उसकी महत्वाकांक्षा लगातार अपनी सीमाओं का विस्तार करना है। उसने कई पड़ोसी देशों को आर्थिक सहायता के नाम पर कर्ज में डुबो दिया है। उन्होंने कहा कि भारत से जो सहयोग और मित्रता की बातें चीन कर रहा है, उस पर भरोसा करना मुश्किल है क्योंकि उसने अब तक अपने कब्जे वाले भारतीय भू-भाग पर कोई स्पष्ट नीति नहीं अपनाई। तिब्बत के कब्जे के बाद चीन अरूणाचल प्रदेश, लेह और लद्दाख में भी अपने प्रभाव को मजबूत करना चाहता है।
अखिलेश यादव ने चेताया कि भाजपा-आरएसएस की वर्तमान विदेश नीति के चलते भारत न केवल सामरिक बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी कमजोर हो रहा है। चीन की सामरिक और आर्थिक गतिविधियों से निपटने के लिए भारत को सतर्क रहना होगा और स्वदेशी उद्योगों एवं व्यापारिक हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। उन्होंने कहा कि भारत को चीन पर निर्भरता कम करने और अपनी नीतियों में स्पष्टता लाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में कोई भी पड़ोसी देश या बाहरी ताकत भारत के खिलाफ फायदा न उठा सके।
उनका यह बयान वर्तमान सरकार की विदेश नीति और चीन पर बढ़ती निर्भरता को लेकर गहरी चिंता व्यक्त करता है। अखिलेश यादव ने कहा कि भारत को सामरिक, आर्थिक और भू-राजनीतिक दृष्टि से मजबूत बनाने के लिए चीन के विस्तारवाद और व्यापारिक प्रभुत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।