टीईटी आदेश से शिक्षकों की नौकरी पर संकट

Report By: श्रवण कुमार यादव

बाराबंकी:माननीय उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश के विरोध में सोमवार को यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) के नेतृत्व में सैकड़ों शिक्षकों ने जिला प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में मांग की गई कि पूर्व में नियुक्त शिक्षकों पर शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता समाप्त की जाए और भारत सरकार संसद या न्यायालय में प्रभावी पैरवी करे।

यूटा जिलाध्यक्ष आशुतोष कुमार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने 1 सितंबर 2025 को आदेश दिया है कि देशभर के वे शिक्षक, जिनकी सेवा अवधि 20–25 वर्ष तक हो चुकी है, उन्हें भी दो साल में टीईटी पास करना होगा। ऐसा न कर पाने पर उन्हें सेवा से विरत कर दिया जाएगा। इस आदेश से 10 लाख से अधिक शिक्षकों और उनके परिवारों का भविष्य संकट में आ गया है।

शिक्षकों का कहना है
आरटीई एक्ट 2009 की धारा 23(1) और 23(2) के अनुसार 23 अगस्त 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी अनिवार्य नहीं किया गया है।
एनसीटीई अधिसूचना 23 अगस्त 2010 की धारा 4 में भी साफ कहा गया है कि इस तिथि से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टीईटी की आवश्यकता नहीं है।
उत्तर प्रदेश में आरटीई एक्ट 29 जुलाई 2011 से लागू हुआ, इसलिए इस तिथि तक नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखा जाना चाहिए।

ज्ञापन में प्रधानमंत्री से मांग की गई कि सरकार संसद व सुप्रीम कोर्ट में प्रभावी पैरवी कर 23 अगस्त 2010 (उत्तर प्रदेश में 29 जुलाई 2011) से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को राहत दिलाए।

इस मौके पर जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री अरुणेंद्र वर्मा, जिलाध्यक्ष अशोक सिंह, राष्ट्रीय शिक्षक महासंघ के प्रांतीय मंत्री सुनील रावत, एससी-एसटी जिलाध्यक्ष रामकिशुन, पीएसपीए अध्यक्ष दिग्विजय पांडे, यूटा जिला महामंत्री सत्येंद्र भास्कर विजय प्रताप सिंह पर्यावरण प्रेमी समेत सैकड़ों शिक्षक मौजूद रहे।

Mukesh Kumar

मुकेश कुमार पिछले 3 वर्ष से पत्रकारिता कर रहे है, इन्होंने सर्वप्रथम हिन्दी दैनिक समाचार पत्र सशक्त प्रदेश, साधना एमपी/सीजी टीवी मीडिया में संवाददाता के पद पर कार्य किया है, वर्तमान में कर्मक्षेत्र टीवी वेबसाईट में न्यूज इनपुट डेस्क पर कार्य कर रहे है !

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