हरिशंकरी श्रीरामलीला में मुनि आगमन

Report By: आसिफ अंसारी

अति प्राचीन श्रीरामलीला कमेटी हरिशंकरी की ओर से चल रहे वार्षिक श्रीरामलीला महोत्सव में दूसरे दिन की प्रस्तुति ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। गुरुवार की शाम 7 बजे से वंदे वाणी विनायकौ आदर्श श्रीरामलीला मंडल के कलाकारों ने हरिशंकरी स्थित श्रीराम चबूतरा पर मुनि आगमन, ताड़का वध, अहिल्या उद्धार और सीता-राम मिलन की अद्भुत लीला का मंचन किया।

लीला की शुरुआत महामुनि विश्वामित्र के आश्रम से हुई, जहां वे अपने शिष्यों के साथ धार्मिक अनुष्ठान (यज्ञ) कर रहे होते हैं। अचानक राक्षसों का समूह यज्ञ को विध्वंसित करने लगता है। चिंतित विश्वामित्र को स्मरण होता है कि धरती पर असुरों के नाश हेतु भगवान नारायण ने अयोध्या के महाराज दशरथ के घर श्रीराम के रूप में अवतार लिया है। यही विचार कर वे अयोध्या पहुंचते हैं।

राजा दशरथ महामुनि का आदर-सत्कार करते हैं। जब विश्वामित्र अपने यज्ञ की रक्षा हेतु राम और लक्ष्मण को मांगते हैं, तो दशरथ पहले संकोच करते हैं। किंतु कुलगुरु वशिष्ठ की समझाइश पर अंततः वे अपने दोनों पुत्रों को विश्वामित्र को सौंप देते हैं।

आगे लीला में दिखाया गया कि वन में प्रवेश करते समय राम और लक्ष्मण को ताड़का के पदचिह्न मिलते हैं। विश्वामित्र उन्हें ताड़का के आतंक के बारे में बताते हैं। आदेश पाकर श्रीराम अपने धनुष की टंकार से ताड़का को युद्ध के लिए ललकारते हैं और अंततः उसका वध कर देते हैं।

इसके बाद कथा का अगला प्रसंग अहिल्या उद्धार का रहा। श्रीराम ने अपने चरण-स्पर्श से गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या को पत्थर रूपी श्राप से मुक्ति दिलाई। यह दृश्य देख श्रद्धालु भावविह्वल हो उठे।

लीला के समापन में जनकपुर नगर भ्रमण और सीता-राम मिलन का सुंदर मंचन हुआ। फूलों की बगिया में जब सीता और राम का प्रथम मिलन हुआ तो पूरा पंडाल तालियों और जयघोष से गूंज उठा।

इस भव्य आयोजन में कमेटी के उपाध्यक्ष डा. गोपाल जी पांडेय (पूर्व प्रवक्ता), मंत्री ओमप्रकाश तिवारी उर्फ बच्चा, उपमंत्री पंडित लवकुमार त्रिवेदी उर्फ बड़े महाराज, प्रबंधक मनोज कुमार तिवारी, उपप्रबंधक मयंक तिवारी, कोषाध्यक्ष रोहित अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, सुधीर अग्रवाल, पंडित कृष्ण बिहारी त्रिवेदी, रामसिंह यादव, प्रमोद कुमार गुप्ता सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

हरिशंकरी की यह रामलीला अपने ऐतिहासिक स्वरूप और धार्मिक आस्था के कारण दूर-दराज के श्रद्धालुओं को भी आकर्षित करती है। प्रतिदिन हो रही प्रस्तुतियों में बड़ी संख्या में लोग सम्मिलित होकर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की लीलाओं का रसास्वादन कर रहे हैं।




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