मातृ शक्ति का महामंगल उत्सव: गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने महानवमी पर किया कन्या पूजन, पांव पखारे और भोजन परोसा

Report By : कर्मक्षेत्र टीवी डेस्क

गोरखपुर : भारत की सनातन संस्कृति में नारी को शक्ति स्वरूपा मानने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। (Shardiya Navratri) के दौरान नौ दिनों तक देवी के नौ रूपों की आराधना की जाती है और (Mahanavami) पर विशेष महत्व के साथ कन्या पूजन (Kanya Pujan) आयोजित होता है। इसी परंपरा को हर वर्ष की तरह इस बार भी गोरखनाथ मंदिर (Gorakhnath Temple) में गोरक्षपीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ निभाया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को महानवमी पर नौ दुर्गा स्वरूपा कन्याओं के पांव पखार कर, उनका विधिविधान से पूजन कर, चुनरी ओढ़ाकर, तिलक लगाकर और उपहार व दक्षिणा देकर आशीर्वाद लिया। यही नहीं, उन्होंने स्वयं अपने हाथों से इन कन्याओं को भोजन भी परोसा और उनके साथ आत्मीय संवाद किया। इस दौरान उपस्थित हर व्यक्ति ने महसूस किया कि यह मात्र एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि मातृशक्ति के प्रति आदर, श्रद्धा और समर्पण का अद्भुत उदाहरण है।

गोरक्षपीठ (Gorakshpeeth) सदियों से भारतीय संस्कृति और धर्म का संरक्षण करने वाली संस्था रही है। यहां की परंपराओं में मातृशक्ति के प्रति विशेष सम्मान का स्थान है। योगी आदित्यनाथ ने गद्दी संभालने के बाद न केवल इस परंपरा को आगे बढ़ाया, बल्कि बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने नारी सुरक्षा, शिक्षा, स्वावलंबन और सम्मान के लिए अनेक (Government Schemes) लागू कर इसे व्यावहारिक रूप भी दिया।

(UP CM Yogi Adityanath) द्वारा Mission Shakti और Beti Bachao, Beti Padhao जैसी योजनाओं को बढ़ावा देना इस बात का प्रमाण है कि वे केवल धार्मिक मंचों पर ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक स्तर पर भी नारी सशक्तिकरण को लेकर गंभीर हैं।

गोरखनाथ मंदिर परिसर में स्थित भोजन कक्ष (Annakshtra Hall) में बुधवार को जब कन्या पूजन प्रारंभ हुआ तो वातावरण मंत्रोच्चार से गूंज उठा। दुर्गा सप्तशती के श्लोकों के बीच योगी आदित्यनाथ ने पीतल के परात में जल भरकर एक-एक कर नौ कन्याओं के पांव धोए। इस दृश्य ने उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।

मुख्यमंत्री ने प्रत्येक कन्या के माथे पर रोली, अक्षत, चंदन और दही का तिलक लगाया। फिर पुष्प और दुर्वा से उनका अभिषेक किया गया। इसके बाद कन्याओं को माला पहनाई गई, चुनरी ओढ़ाई गई और उपहार एवं दक्षिणा प्रदान की गई। विशेष बात यह रही कि एक मात्र छह माह की बच्ची को भी सीएम योगी ने श्रद्धापूर्वक पांव पखारकर पूजन किया। यह दृश्य मातृशक्ति की आराधना की उस भावना का प्रतीक था जिसमें आयु नहीं, बल्कि नारीत्व की पवित्रता और शक्ति को वंदन किया जाता है।

परंपरा के अनुसार सीएम योगी ने बटुक पूजन भी किया। हनुमानजी के वेश में आए एक नन्हें बालक को योगी आदित्यनाथ ने तिलक लगाया, माला पहनाई और अंगवस्त्र ओढ़ाकर आशीर्वाद दिया। यह आयोजन धार्मिकता के साथ-साथ बच्चों के मन में आध्यात्मिक संस्कार भरने का भी माध्यम बना।

कन्या पूजन के बाद वह क्षण आया जिसका हर कोई बेसब्री से इंतजार कर रहा था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं अपने हाथों से कन्याओं और बटुकों को भोजन परोसा। गोरखनाथ मंदिर की रसोई में तैयार ताजे प्रसाद को जब सीएम ने थालियों में परोसना शुरू किया तो नन्हीं बालिकाओं और बटुकों के चेहरे खिल उठे।

वे केवल भोजन परोस नहीं रहे थे, बल्कि हर एक थाली पर ध्यान भी दे रहे थे कि किसी भी बच्चे की थाली अधूरी न रह जाए। भोजन कराते समय वे बच्चों से संवाद भी करते रहे। इस आत्मीयता और सरलता ने वहां मौजूद हर व्यक्ति का मन मोह लिया।

बालिकाएं और बटुक जब दक्षिणा और उपहार प्राप्त कर रहे थे, तो उनके चेहरे पर प्रसन्नता स्पष्ट झलक रही थी। उनके लिए यह केवल पूजा नहीं, बल्कि “महाराज जी” यानी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर था।

यह दृश्य इस बात का प्रतीक है कि समाज में कन्याओं और मातृशक्ति का सम्मान केवल धार्मिक मान्यता नहीं, बल्कि हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक जिम्मेदारी भी है।

कन्या पूजन के इस विशेष अवसर पर गोरखनाथ मंदिर का वातावरण भक्तिमय रहा। मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, काशी से आए जगद्गुरु स्वामी संतोषाचार्य सतुआ बाबा सहित अनेक संत-महात्मा और श्रद्धालु इस पूजन में मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री योगी ने इससे पूर्व सुबह के पूजन सत्र में शक्तिपीठ में मां सिद्धिदात्री की विधिविधान से पूजा-अर्चना भी की थी। इस प्रकार महानवमी का पूरा दिन मातृशक्ति की आराधना में समर्पित रहा।

हिंदू धर्म में (Mahanavami) का विशेष महत्व है। इसे सिद्धिदात्री देवी की आराधना का दिन माना जाता है। इसी दिन कन्या पूजन और बटुक पूजन कर जीवंत देवियों और देवताओं के रूप में बालिकाओं और बालकों का पूजन किया जाता है।

योगी आदित्यनाथ ने गोरक्षपीठ की परंपरा को निभाते हुए इस दिन का महत्व और बढ़ा दिया। उनके इस कार्य ने न केवल धार्मिक श्रद्धा को बल दिया बल्कि सामाजिक संदेश भी दिया कि समाज में बेटियों का सम्मान और सशक्तिकरण सर्वोपरि है।

योगी आदित्यनाथ का यह आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि समाज को यह संदेश देने का माध्यम भी था कि बेटी बोझ नहीं, वरदान है। बेटियों के पांव पखारकर मुख्यमंत्री ने यह साबित किया कि “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” केवल नारा नहीं, बल्कि जीवन जीने का आदर्श है।

आज जब समाज के कुछ हिस्सों में कन्या भ्रूण हत्या और बेटियों के प्रति असमान व्यवहार की घटनाएं सामने आती हैं, तब ऐसे आयोजन समाज को सकारात्मक दिशा दिखाते हैं।

महानवमी के पावन अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में हुआ यह कन्या पूजन केवल धार्मिक परंपरा का निर्वहन नहीं था, बल्कि मातृशक्ति के प्रति सम्मान, श्रद्धा और समर्पण का जीवंत उदाहरण था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह दिखाया कि परंपरा और आधुनिकता का संगम कैसे हो सकता है।

उनकी यह पहल आने वाली पीढ़ियों को यह सीख देती है कि अगर हमें समाज को आगे बढ़ाना है तो मातृशक्ति का सम्मान करना ही होगा। यही हमारी संस्कृति की आत्मा है और यही गोरक्षपीठ की विरासत भी।

Akash Yadav

आकाश यादव पिछले 9 सालों से पत्रकारिता कर रहे है, इन्होंने हिन्दी दैनिक अखबार अमरेश दर्पण से पत्रकारिता की शुरुआत की, इसके उपरांत टीवी मीडिया के ओर रुख मोड लिया, सबसे पहले सुदर्शन न्यूज, नेशन लाइव, ओके इंडिया, साधना एमपी/सीजी और बतौर लखनऊ ब्यूरो खबरें अभी तक न्यूज चैनल में कार्य करने के साथ सद्मार्ग साक्षी दैनिक अखबार में सहायक संपादक और कर्मक्षेत्र टीवी में बतौर संपादक कार्य कर रहे है !

Related Articles

Back to top button