गाज़ीपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 का भव्य समापन, साहित्य, संस्कृति और संवाद के रंगों से सराबोर हुआ पूर्वांचल

Report By: आसिफ़ अंसारी
गाज़ीपुर में आयोजित लिटरेचर फेस्टिवल 2025 रविवार को संपन्न हुआ। तीन दिनों तक चले इस भव्य आयोजन की शुरुआत शुक्रवार को वाराणसी के होटल द क्लार्क्स में गरिमामय माहौल में हुई थी। शनिवार से गाज़ीपुर की ऐतिहासिक धरती साहित्य, संस्कृति और संवाद के रंगों से सराबोर हो उठी। यह आयोजन केवल साहित्य का उत्सव नहीं था बल्कि भारतीय चेतना, स्वतंत्रता और सामाजिक मूल्यों पर गहन विचार-विमर्श का एक जीवंत मंच बना।
भारत न्यूज़ नेटवर्क और भारत डायलॉग्स के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस महोत्सव में देश-विदेश से आए साहित्यकारों, राजनयिकों, पत्रकारों, शिक्षाविदों, रंगकर्मियों, इतिहासकारों, सिनेमा जगत के कलाकारों और लोक कलाकारों ने भाग लिया। कार्यक्रम का आयोजन गाज़ीपुर के होटल नंद रेजीडेंसी और लंका मैदान में किया गया, जहाँ दो दिनों तक अनेक सत्रों में विचार-विमर्श, संवाद और व्याख्यान आयोजित किए गए।
महोत्सव के दौरान “पूर्वांचल की स्त्री चेतना” विषय पर रति सक्सेना, कमिला यूनिक और प्रो. श्रद्धा सक्सेना ने अपने विचार रखे। वहीं “भोजपुरी सिनेमा व अन्य क्षेत्रीय फिल्में – चुनौतियां एवं संभावनाएं” पर अविनाश दास, संजय मासूम, सत्य व्यास, अमित बहल और मनोज भावुक ने वक्ता के रूप में चर्चा की। “काशी और लहुरी काशी का अनोखा संबंध” विषय पर व्योमकेश शुक्ला और विवेक सत्यमित्रम ने संवाद किया, जबकि “क्या पुस्तकों की प्रासंगिकता समाप्त होगी” विषय पर रति सक्सेना, सुशांत झा, सत्य व्यास, अणु शक्ति सिंह और आनंद सिंह ने अपने विचार साझा किए।

“भोजपुरी साहित्य: अतीत, वर्तमान और भविष्य” पर मृत्युंजय सिंह, प्रभाकर सिंह, राकेश श्रीवास्तव और डॉ. सुमन सिंह ने अपने विचार रखे। सांस्कृतिक सत्रों के दौरान अथर्व पांडेय, शिवानी पांडेय और अनुष्का कुमारी ने शास्त्रीय संगीत प्रस्तुत किया, वहीं चंदन कुमार और उनकी टीम ने भोजपुरी गीत-संगीत से सभी का मन मोह लिया। “काव्य गंगा” कार्यक्रम के तहत हिंदी, उर्दू, भोजपुरी और अंग्रेजी में कविताओं का पाठ हुआ, जिसमें अजहर इकबाल, डॉ. एम.डी. सिंह, विनय राय, नौमान शौक, मैट सिडिओ, रति सक्सेना, सुमन सिंह और हिमांशु उपाध्याय जैसे कवियों ने शिरकत की।
महोत्सव के दौरान कई विचार सत्रों में देश के प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों ने भाग लिया, जिनमें भारत न्यूज़ नेटवर्क के सीएमडी उपेंद्र राय, अनिल सूकलाल, डॉ. आनंद प्रधान, विवेक सत्यमित्रम, जे.बी. सिंह, डॉ. ओमकार राय, अरविंद सिंह, अच्युत पांडेय, एम.के. रैना और पूजा प्रियम्वदा शामिल रहे। इस अवसर पर कई पुस्तकों का विमोचन भी किया गया, जिनमें डॉ. देवेंद्र नाथ तिवारी की “ककहरा” और संजीव गुप्ता की “भोजपुरी कहावतों की दुनिया” प्रमुख रहीं।
फेस्टिवल में अन्य सत्रों में समाज, संस्कृति, राजनीति और मीडिया के विविध पहलुओं पर गहन चर्चा हुई। देश-विदेश की प्रतिष्ठित हस्तियों में मनोज राजन त्रिपाठी, जोलानी मकीवा, प्रतीक त्रिवेदी, अंजन श्रीवास्तव, राजमोहन, फौजिया दास्तानगो, रितेश यादव, अंशु गुप्ता, दिव्य प्रकाश दुबे, भगवानदीन, गिरिजा माधव, माधव कृष्णा, अभय मिश्रा और श्रुति कृष्णन जैसी हस्तियों की उपस्थिति ने आयोजन को विशेष बना दिया।
भारत एक्सप्रेस के सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में कहा कि अक्सर लोग गाज़ीपुर में जन्मे लोगों को बनारस से जोड़ते हैं, लेकिन उन्होंने गर्व से कहा कि उनकी पहचान हमेशा गाज़ीपुर और शेरपुर रही है। उन्होंने कहा कि आज का भारत एक “ग्लोबल विलेज” में तब्दील हो चुका है, जहाँ संवाद और चिंतन ही हमारी सच्ची स्वतंत्रता का परिचायक है।
गाज़ीपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 ने यह सिद्ध किया कि साहित्य केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज, संस्कृति और स्वतंत्रता के विचारों को जोड़ने वाला सेतु है। इस आयोजन ने भारतीय विचार परंपरा, आध्यात्मिकता और आधुनिक जीवन मूल्यों के समन्वय को नए रूप में प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का समापन उन प्रतिभाशाली व्यक्तियों के सम्मान के साथ हुआ, जिन्होंने साहित्य, संगीत, कला और संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। यह आयोजन गाज़ीपुर की सांस्कृतिक पहचान और भारतीय साहित्यिक चेतना को नई दिशा देने वाला एक यादगार अध्याय बन गया।





