पट्टीकला के मजरा घोसीपुरा के ग्रामीणों का बड़ा प्रदर्शन, ग्राम प्रधान पद को SC के लिए आरक्षित करने की उठी मांग

Report By : राहुल मौर्य

पट्टीकला के मजरा घोसीपुरा में बुधवार को अनुसूचित जाति (Scheduled Caste) समुदाय के ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान पद को तत्काल प्रभाव से आरक्षित (Reserved) करने की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने यह प्रदर्शन न केवल स्थानीय प्रशासन के ध्यान आकर्षित करने हेतु किया बल्कि उन्होंने अपनी मांगों को औपचारिक रूप से मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner), मुख्यमंत्री (Chief Minister) और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भेजे गए पत्र के माध्यम से भी दर्ज कराया। ग्रामीणों का कहना है कि आज़ादी के बाद पंचायती राज (Panchayati Raj System) लागू होने से लेकर अब तक पट्टीकला के ग्राम प्रधान पद को कभी भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नहीं किया गया, जबकि यहां अनुसूचित जाति वर्ग की आबादी पर्याप्त संख्या में मौजूद है।

प्रदर्शन करने वाले ग्रामीणों ने बताया कि मजरा घोसीपुरा और आसपास के मजरों में मिलाकर लगभग सात सौ (700) अनुसूचित जाति के मतदाता (Voters) हैं, लेकिन इसके बावजूद ग्राम प्रधान पद को गैर-आरक्षित (Unreserved) रखा गया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह स्थिति न केवल सामाजिक संतुलन (Social Balance) के ख़िलाफ़ है बल्कि यह वर्षों से चल रहे सामाजिक उपेक्षा (Social Neglect) और शोषण (Exploitation) की ओर भी इशारा करती है। उनका आरोप है कि अनुसूचित जाति समुदाय को ग्राम स्तर पर मिलने वाली सरकारी योजनाओं (Government Schemes), सार्वजनिक सुविधाओं (Public Facilities) और निर्णय लेने की भागीदारी (Decision-Making Participation) में लगातार उपेक्षित किया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि ग्राम प्रधान पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया जाए तो इससे न केवल सामाजिक प्रतिनिधित्व (Social Representation) बढ़ेगा बल्कि समुदाय में जागरूकता (Awareness) और विकास (Development) की प्रक्रिया भी तेज़ होगी।

ग्रामीणों द्वारा भेजे गए पत्र में स्पष्ट लिखा गया है कि वर्षों से लगातार शिकायतें (Complaints) उच्चाधिकारियों (Senior Officials) को भेजी जा रही हैं, लेकिन समस्या अब तक हल नहीं हुई है। उनका कहना है कि गैर-आरक्षित प्रधान पद के चलते अनुसूचित जाति के ग्रामीणों के साथ कई बार भेदभाव (Discrimination) की स्थितियाँ पैदा हुईं, जिसकी वजह से वे अपनी मूलभूत जरूरतों (Basic Necessities) और अधिकारों (Rights) से वंचित लोगों की श्रेणी में आ गए हैं। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि विकास कार्यों (Development Works) में उनकी हिस्सेदारी या सुझावों को कभी गंभीर रूप से नहीं लिया गया, जिसके कारण इलाके में कई सार्वजनिक सुविधाएँ आज भी अधूरी हैं। उनका यह भी आरोप है कि शिक्षा (Education), स्वास्थ्य (Health Facilities), सफाई (Sanitation) और आवास (Housing Schemes) जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें बराबरी से नहीं मिल पा रहा है।

ग्रामीणों ने अपने पत्र में लिखा है कि ग्राम प्रधान पद के गैर-आरक्षण से अनुसूचित जाति समुदाय को नेतृत्व (Leadership) का अवसर नहीं मिलता, जिसकी वजह से समुदाय की आवाज़ प्रशासन तक नहीं पहुँच पाती। ग्रामीणों ने इसे सामाजिक और राजनीतिक अन्याय (Social & Political Injustice) करार देते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि चुनाव आयोग (Election Commission) और राज्य सरकार (State Government) इस विषय पर संज्ञान लेते हुए त्वरित कार्रवाई (Immediate Action) सुनिश्चित करे। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि यदि ग्राम प्रधान पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया जाए, तो इससे गांव में सामाजिक न्याय (Social Justice) की स्थापना होगी तथा विकास की गति (Development Pace) भी तेज होगी।

प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों ने कहा कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांग प्रशासन तक पहुँचा रहे हैं, ताकि उन्हें संवैधानिक अधिकारों (Constitutional Rights) के तहत वह प्रतिनिधित्व हासिल हो सके, जिसका वे दशकों से इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि आने वाले समय में उनकी मांगों पर उचित निर्णय नहीं लिया गया तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन (Mass Protest) करने के लिए मजबूर होंगे। पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में डालचंद, भूकन लाल, राम सिंह, राजपाल, भूरा, विमला, बृजेश कुमार, कुलदीप कुमार, प्रवेश रानी, जितेंद्र कुमार, रामेश्वर लाल, सोहनलाल, कामनता देवी सहित अन्य ग्रामीणों के नाम शामिल हैं, जिन्होंने एक स्वर में ग्राम प्रधान पद के आरक्षण की मांग दोहराई।

गांव के लोगों का कहना है कि यह मांग केवल एक पद का आरक्षण नहीं, बल्कि समुदाय की स्थिति सुधारने और उन्हें समान अधिकार दिलाने की लड़ाई है। ग्रामीणों ने प्रशासन से अपेक्षा जताई है कि उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाए और आगामी पंचायत चुनाव (Panchayat Elections) से पहले ग्राम प्रधान पद को अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित घोषित किया जाए।

Mukesh Kumar

मुकेश कुमार पिछले 3 वर्ष से पत्रकारिता कर रहे है, इन्होंने सर्वप्रथम हिन्दी दैनिक समाचार पत्र सशक्त प्रदेश, साधना एमपी/सीजी टीवी मीडिया में संवाददाता के पद पर कार्य किया है, वर्तमान में कर्मक्षेत्र टीवी वेबसाईट में न्यूज इनपुट डेस्क पर कार्य कर रहे है !

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