मिलेट्स पुनरोद्धार को मिला नया आयाम योगी सरकार की पहल से बुंदेलखंड के 6 कृषि विज्ञान केंद्रों में बने श्री अन्न प्रोसेसिंग प्लांट

Report By : कर्मक्षेत्र टीवी डेस्क टीम
उत्तर प्रदेश : (Millets Revival Programme) को मजबूती देने की दिशा में योगी सरकार ने एक और अहम कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने बुंदेलखंड क्षेत्र के छह जिलों में कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से अन्न आधारित मिलेट्स प्रसंस्करण, पैकेजिंग एवं विपणन केंद्रों की स्थापना का कार्य लगभग पूरा कर लिया है। इस पहल का उद्देश्य न केवल मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देना है, बल्कि किसानों की उपज को प्रसंस्करण (Processing), पैकेजिंग (Packaging) और बाजार से जोड़कर उनकी आय में स्थायी वृद्धि सुनिश्चित करना भी है। यह परियोजना बुंदेलखंड जैसे जल संकट से जूझ रहे क्षेत्र के लिए कृषि के क्षेत्र में एक नई उम्मीद के रूप में देखी जा रही है।
राज्य सरकार द्वारा संचालित (UP Millets Mission) के अंतर्गत झांसी, ललितपुर, बांदा, महोबा, जालौन और हमीरपुर जिलों के कृषि विज्ञान केंद्रों में मिलेट्स प्रोसेसिंग प्लांट के भवनों का निर्माण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। इन सभी केंद्रों को अन्न आधारित प्रोसेसिंग, पैकेजिंग सह विपणन केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। कृषि विभाग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, अब इन प्लांट्स के लिए अत्याधुनिक मशीनों की खरीद और उनका इंस्टालेशन (Installation) जल्द शुरू किया जाएगा। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि मशीनों की खरीद की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है और नए वर्ष में सभी प्रोसेसिंग प्लांट पूर्ण रूप से कार्य करना शुरू कर देंगे।
योगी सरकार ने इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत हर एक मिलेट्स प्रसंस्करण, पैकेजिंग सह विपणन केंद्र की स्थापना के लिए लगभग 95 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की है। यह निवेश कृषि अधोसंरचना (Agriculture Infrastructure) को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। सरकार का स्पष्ट मानना है कि केवल उत्पादन बढ़ाना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए मूल्यवर्धन (Value Addition) और बाज़ार से सीधा जुड़ाव भी जरूरी है। इसी सोच के तहत मिलेट्स प्रोसेसिंग प्लांट को एक समग्र मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है।
इन केंद्रों के माध्यम से किसानों द्वारा उत्पादित मोटे अनाज जैसे बाजरा, ज्वार, कोदो, कुटकी और रागी की प्रोसेसिंग की जाएगी। प्रोसेसिंग के बाद इन उत्पादों को गुणवत्तापूर्ण पैकेजिंग के जरिए बाजार में उतारा जाएगा, जिससे श्री अन्न (Shri Anna) की पहचान को और मजबूती मिल सके। विशेषज्ञों का मानना है कि मिलेट्स न केवल पोषण की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी हैं, बल्कि बुंदेलखंड की शुष्क और कम वर्षा वाली जलवायु के लिए भी अत्यंत उपयुक्त फसलें हैं। ऐसे में यह योजना क्षेत्र की कृषि प्रणाली को अधिक टिकाऊ (Sustainable) बनाने में भी मददगार साबित होगी।
सरकार की योजना के अनुसार, बुंदेलखंड के किसानों को इन केंद्रों से उच्च गुणवत्ता वाले बीज (Quality Seeds) उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि मिलेट्स की खेती को प्रोत्साहन मिल सके। जब फसल तैयार होगी, तो किसान अपनी उपज सीधे कृषि विज्ञान केंद्रों में लाकर प्रोसेस करा सकेंगे। इससे बिचौलियों पर निर्भरता कम होगी और किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा। साथ ही, स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार डॉ. एन. के. बाजपेयी ने बताया कि झांसी, ललितपुर, जालौन, महोबा, बांदा और हमीरपुर के कृषि विज्ञान केंद्रों में अन्न आधारित प्रोसेसिंग प्लांट के लिए भवन निर्माण का कार्य पूरा हो चुका है। अब अगला चरण मशीनों की खरीद और उनके इंस्टालेशन का है, जो शीघ्र ही पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले वर्ष में इन केंद्रों के माध्यम से किसानों को मिलेट्स के बीज उपलब्ध कराने और उनकी उपज को प्रोसेस करने का कार्य नियमित रूप से शुरू हो जाएगा।
कृषि विभाग के अधिकारियों का मानना है कि यह परियोजना बुंदेलखंड के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में मील का पत्थर साबित होगी। मिलेट्स की बढ़ती मांग को देखते हुए इन प्रोसेसिंग प्लांट्स के माध्यम से स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं। इससे न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि उत्तर प्रदेश को अन्न उत्पादन और प्रसंस्करण के क्षेत्र में एक नई पहचान भी मिलेगी।
कुल मिलाकर, योगी सरकार की यह पहल (Millets Processing Plant Bundelkhand) के जरिए बुंदेलखंड के कृषि परिदृश्य को बदलने की दिशा में एक ठोस और दूरगामी कदम मानी जा रही है। आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम किसानों की आय, पोषण सुरक्षा और क्षेत्रीय विकास में स्पष्ट रूप से देखने को मिलेंगे।





