सरदार पटेल की अदम्य राष्ट्रभक्ति: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया लौहपुरुष का योगदान आधुनिक भारत की सबसे बड़ी प्रेरणा

Report By : कर्मक्षेत्र टीवी डेस्क टीम
आजादी के अमृतकाल (Azadi Ka Amritkal) में जब देश अपने नायकों के अप्रतिम योगदान को स्मरण कर रहा है, तब लौहपुरुष (Iron Man) सरदार वल्लभभाई पटेल का नाम राष्ट्रीय एकता (National Integration) और अखंडता (Integrity) की नींव के रूप में अग्रणी रूप से सामने आता है। 15 दिसंबर (15 December) को उनकी पुण्यतिथि पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने लखनऊ में आयोजित श्रद्धांजलि सभा (Shradhanjali Sabha) में शामिल होकर उन्हें नमन किया।
मुख्यमंत्री ने सरदार पटेल की प्रतिमा पर पुष्पांजलि (Floral Tribute) अर्पित की और उनके जीवन, कार्यों तथा आधुनिक भारत के निर्माण में दिए योगदान को चिरस्मरणीय बताया।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरदार पटेल का व्यक्तित्व केवल एक राजनीतिक नेता (Political Leader) का नहीं था, बल्कि वह स्वतंत्र भारत के प्रशासक, संगठनकर्ता और एक राष्ट्रीय एकीकरण (National Unifier) के प्रतीक थे। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के तुरंत बाद जिस समय देश विभाजन (Partition) की पीड़ा झेल रहा था, उस कठिन दौर में सरदार पटेल ने 567 रियासतों (Princely States) को भारत गणराज्य (Republic of India) में शामिल कर एक भारत के निर्माण की मजबूत नींव रखी।
योगी ने कहा — “यदि लौहपुरुष का नेतृत्व हमें और वर्षों तक प्राप्त होता, तो भारत और भी अधिक सशक्त, आत्मनिर्भर और संगठित होता।”सरदार पटेल के नेतृत्व को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 (31 October 1875) को गुजरात के करमसद गांव में एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था। कठिन परिस्थितियों में शिक्षा ग्रहण कर उन्होंने इंग्लैंड से बैरिस्टर (Barrister) की डिग्री हासिल की। लेकिन उन्होंने अपने ज्ञान और क्षमता का उपयोग व्यक्तिगत सफलता के लिए नहीं, बल्कि भारत माता के चरणों में समर्पित किया। उनके लिए पेशा नहीं, देश सेवा सर्वोपरि थी।सीएम योगी ने कहा कि सरदार पटेल के सार्वजनिक कार्यों में कठोर अनुशासन (Discipline), अडिग राष्ट्रवाद (Nationalism) और अटूट समर्पण की झलक दिखाई देती थी। उन्होंने किसानों, मजदूरों और आम जनता (Common People) के बीच रहकर उन्हें अंग्रेजी शासन के खिलाफ संगठित किया। खेड़ा सत्याग्रह और बारडोली आंदोलन (Kheda & Bardoli Movements) उनके नेतृत्व के ऐतिहासिक उदाहरण हैं, जहां उन्होंने जनशक्ति के बल पर ब्रिटिश हुकूमत को झुकने पर विवश किया। यही उनकी संगठन क्षमता थी जिसने बाद में उन्हें स्वतंत्र भारत का पहला गृह मंत्री (Home Minister) बनाया।योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब देश आजाद हुआ, उस वक्त भारत के सामने 567 रियासतों का प्रश्न था। अंग्रेजों की टू नेशन थ्योरी (Two-Nation Theory) के तहत प्रत्येक रियासत को यह अधिकार दिया गया था कि वह चाहे तो भारत या पाकिस्तान में शामिल हो या स्वतंत्र रहे। इन रियासतों को भारत में मिलाने का कठिन कार्य सरदार पटेल के कंधों पर था। उन्होंने अपनी सूझबूझ (Statesmanship) और दृढ़ इच्छा शक्ति (Determination) के बल पर अधिकांश रियासतों को भारत का हिस्सा बनाया।जूनागढ़ और हैदराबाद (Junagadh & Hyderabad) रियासतों के मामलों को याद करते हुए सीएम योगी ने कहा कि उस समय दोनों शासकों ने भारत में विलय से इनकार कर दिया था। जूनागढ़ का नवाब पाकिस्तान में शामिल होना चाहता था जबकि हैदराबाद का निजाम स्वतंत्र रहना चाहता था। लेकिन सरदार पटेल ने “रक्तहीन क्रांति” (Bloodless Revolution) के माध्यम से इन रियासतों को बिना बड़े युद्ध के भारत का हिस्सा बनाया। उनकी रणनीति (Strategy) और नीतियाँ भारत के एकीकरण (Unification) का आज भी सर्वोत्तम उदाहरण मानी जाती हैं।योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस के तत्कालीन नेताओं की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ सरदार पटेल ने राष्ट्र को जोड़ने का कार्य किया, वहीं उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) ने कश्मीर मामले को संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में ले जाकर विषय को जटिल बना दिया। योगी ने कहा कि “कश्मीर को विवादित करने का कार्य किया गया, जिसका दंश देश ने दशकों तक झेला। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद (Terrorism) और अलगाववाद (Separatism) की जड़ें उसी गलत नीति से उपजीं।”सीएम योगी ने स्पष्ट कहा कि आज देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व में उसी ऐतिहासिक भूल को सुधारने में सफल रहा है। मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 (Article 370) को समाप्त कर जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग घोषित करना सरदार पटेल और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (Dr. Shyama Prasad Mukherjee) के सपनों को साकार करता है। उन्होंने कहा कि अब भारत वास्तव में एक देश, एक प्रधान, एक विधान और एक निशान (One Nation, One Symbol, One Constitution) के सिद्धांत पर खरा उतर रहा है।मुख्यमंत्री ने कहा कि गृहमंत्री के रूप में सरदार पटेल ने देश की प्रशासनिक नींव (Administrative Foundation) को मजबूत किया। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (Indian Administrative Service – IAS) और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) का गठन किया, ताकि नए भारत के प्रशासनिक तंत्र को कुशल और जवाबदेह बनाया जा सके।
योगी ने कहा कि आज यदि भारत विश्व राजनीति में सशक्त राष्ट्र के रूप में उभर रहा है तो उस व्यवस्था की जड़ें सरदार पटेल की दूरदर्शिता (Vision) में निहित हैं।सोमनाथ मंदिर (Somnath Temple) के पुनरुद्धार पर बात करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब स्वतंत्रता के बाद मंदिर के पुनर्निर्माण का प्रश्न उठा, तो काफी विरोध हुआ। लेकिन सरदार पटेल ने अपनी आस्था और राष्ट्रभावना (National Spirit) के बल पर इस ऐतिहासिक कार्य का श्रीगणेश किया। उन्होंने दिखाया कि भारत केवल एक राजनीतिक पहचान नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना (Cultural Identity) का भी प्रतीक है।सीएम योगी ने भावुक शब्दों में कहा, “देश का दुर्भाग्य रहा कि 15 दिसंबर 1950 को लौहपुरुष का नश्वर शरीर इस दुनिया से विदा हो गया। लेकिन उनके विचार, उनकी दृष्टि और देश के प्रति सेवाएं (Services to the Nation) सदा जीवित रहेंगी।” मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की वर्तमान अखंडता, शासन व्यवस्था और राष्ट्रीय भावना में सरदार पटेल के योगदान की झलक स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।उन्होंने कहा कि भारत आज यदि एक मज़बूत राष्ट्र (Strong Nation) के रूप में खड़ा है, तो इसके पीछे लौहपुरुष की नींव, अनुशासन एवं उनकी कठोर नीतियों का ही परिणाम है। उन्होंने भारत को न केवल राजनीतिक रूप से एकीकृत किया, बल्कि प्रशासनिक और भावनात्मक दृष्टि से भी जोड़ने का कार्य किया। योगी ने कहा, “आज का भारत उनके सपनों का नया भारत (New India) बनने के मार्ग पर अग्रसर है, जहाँ अनुशासन, राष्ट्रभावना और सेवा सर्वोपरि हैं।”
इस अवसर पर श्रद्धांजलि सभा में उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक (Brajesh Pathak), कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह (Swatantra Dev Singh), महापौर सुषमा खर्कवाल, विधान परिषद सदस्य महेंद्र सिंह, अवनीश सिंह, पवन सिंह चौहान, लालजी प्रसाद निर्मल, उमेश द्विवेदी, विधायक ओपी श्रीवास्तव, आशीष सिंह ‘आशु’, महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। श्रद्धांजलि सभा का आयोजन सरदार पटेल स्मृति समारोह समिति (Sardar Patel Memorial Committee) द्वारा किया गया, जिसके अध्यक्ष राजेश्वरी देवी पटेल एवं महासचिव शशांक वर्मा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी लोगों से आह्वान किया कि सरदार पटेल की विचारधारा (Ideology) और देशप्रेम को केवल स्मरण ही नहीं, बल्कि आचरण में भी उतारें। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को यह बताना आवश्यक है कि भारत को एक मजबूत राष्ट्र के रूप में देखने का सपना किसी एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि 130 करोड़ देशवासियों की साझा जिम्मेदारी (Collective Responsibility) है, जिसकी शुरुआत लौहपुरुष ने की थी।
लखनऊ की इस श्रद्धांजलि सभा में सरदार पटेल की प्रतिमा के समक्ष मुख्यमंत्री का संदेश आत्मीय और प्रेरणादायी था। उन्होंने कहा — “हम सबको गर्व होना चाहिए कि हम उस राष्ट्र के नागरिक हैं, जिसे वल्लभभाई पटेल जैसे सपूत ने अपने रक्त और तपस्या से जोड़ा।”सरदार पटेल की यह विरासत (Legacy) आज भी देश को दिशा दिखा रही है — एकजुटता, नैतिक शक्ति और राष्ट्रोन्नति के संकल्प के रूप में। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह संदेश भारत के हर नागरिक के लिए प्रेरणा बनकर गूंजता है कि भारत तभी प्रगति करेगा, जब नागरिक सरदार पटेल की सादगी, ईमानदारी और राष्ट्रीय समर्पण को अपने जीवन में उतारेंगे।





