लोकतंत्र सेनानी व पूर्व प्रधान पारस सिंह का निधन, क्षेत्र में शोक की लहर, राष्ट्रीय सम्मान के साथ दी गई अंतिम विदाई

Report By : आसिफ अंसारी
मनिहारी (गाजीपुर) : जनपद गाजीपुर के मनिहारी ब्लॉक अंतर्गत ग्रामसभा सुजनीपुर के पूर्व प्रधान, लोकतंत्र सेनानी (Loktantra Senani) एवं क्षेत्र के वरिष्ठ समाजसेवी स्वर्गीय पारस सिंह का बुधवार को बीएचयू हॉस्पिटल (BHU Hospital, Varanasi) में निधन हो गया। उनके निधन की खबर जैसे ही क्षेत्र में फैली, पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों में शोक व्याप्त हो गया और लोग उन्हें एक कर्मठ जननेता व सच्चे जनसेवक के रूप में याद करने लगे।
स्व. पारस सिंह लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे और उनका उपचार वाराणसी स्थित बीएचयू अस्पताल में चल रहा था। बुधवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की सूचना मिलते ही ग्रामसभा सुजनीपुर सहित आसपास के गांवों में सन्नाटा पसर गया। बड़ी संख्या में लोग उनके आवास पर पहुंचकर परिजनों को सांत्वना देने लगे। क्षेत्र के वरिष्ठ नागरिकों का कहना है कि स्व. पारस सिंह का जाना गांव और क्षेत्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
स्वर्गीय पारस सिंह ग्रामसभा सुजनीपुर से कई बार निर्वाचित ग्राम प्रधान (Former Gram Pradhan) रहे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने गांव के समग्र विकास के लिए अनेक महत्वपूर्ण कार्य कराए। सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा और सामाजिक समरसता जैसे मुद्दों पर वे हमेशा सक्रिय रहे। ग्राम पंचायत स्तर पर उन्होंने पारदर्शिता और ईमानदारी की मिसाल पेश की, जिसके कारण उन्हें गांव ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था।
लोकतंत्र सेनानी (Freedom Fighter of Democracy) के रूप में भी स्व. पारस सिंह की पहचान रही। लोकतांत्रिक मूल्यों और संविधान (Constitution of India) के प्रति उनकी गहरी आस्था थी। उन्होंने जीवन भर लोकतंत्र की मजबूती, सामाजिक न्याय और जनहित के मुद्दों को प्राथमिकता दी। आपातकाल (Emergency Period) के दौरान उनके योगदान और संघर्ष को आज भी क्षेत्र के लोग याद करते हैं। वे हमेशा युवाओं को लोकतांत्रिक अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने का संदेश देते रहे।
व्यक्तिगत जीवन में स्व. पारस सिंह सरल, सहज और मिलनसार स्वभाव के व्यक्ति थे। वे बिना किसी भेदभाव के सभी वर्गों के लोगों से संवाद रखते थे। उनकी यही विशेषता उन्हें एक जननेता (Public Leader) के रूप में स्थापित करती थी। ग्रामीणों का कहना है कि किसी भी समस्या के समाधान के लिए वे हमेशा उपलब्ध रहते थे और अंतिम व्यक्ति तक मदद पहुंचाने का प्रयास करते थे।
आज गुरुवार को उनके पैतृक गांव सुजनीपुर में पूरे राजकीय एवं सामाजिक सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम यात्रा (Last Journey) में बड़ी संख्या में ग्रामीण, जनप्रतिनिधि और समाजसेवी शामिल हुए। उनके पार्थिव शरीर को राष्ट्रीय ध्वज (National Flag) से आच्छादित किया गया, जो उनके लोकतांत्रिक संघर्ष और सामाजिक योगदान का प्रतीक रहा। श्मशान घाट पर नम आंखों से लोगों ने उन्हें अंतिम विदाई दी।
स्व. पारस सिंह के परिवार की बात करें तो वर्तमान में उनकी पुत्रवधू श्रीमती प्रतिभा सिंह, पत्नी श्री विकास प्रताप सिंह, ग्रामसभा सुजनीपुर की वर्तमान प्रधान (Current Gram Pradhan) हैं। उन्होंने भी स्व. पारस सिंह के बताए मार्ग पर चलते हुए गांव के विकास और जनसेवा को प्राथमिकता देने की बात कही। परिवारजनों ने कहा कि वे उनके अधूरे सपनों को पूरा करने का हर संभव प्रयास करेंगे।
स्वर्गीय पारस सिंह का जीवन गांव, समाज और लोकतंत्र के प्रति समर्पण की एक मिसाल रहा है। उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा। क्षेत्रवासियों का मानना है कि भले ही वे आज हमारे बीच शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्य और उनके विचार हमेशा जीवित रहेंगे। उनके निधन से उत्पन्न रिक्तता को भर पाना आसान नहीं होगा।





