सलेमपुर बधाई में विशाल हिन्दू सम्मेलन संपन्न, संतों के विचारों से एकता का संदेश

Report By: आसिफ अंसारी

सलेमपुर बधाई स्थित आनंद भवन, डॉ. संतोष कुमार यादव के निजी आवास पर आज एक भव्य हिन्दू सम्मेलन का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। शीत लहर के बावजूद कार्यक्रम में भारी संख्या में श्रद्धालु, समाजसेवी एवं क्षेत्रीय नागरिक उपस्थित रहे। पूरे आयोजन का वातावरण भक्ति, विचार और सांस्कृतिक चेतना से ओतप्रोत रहा।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, काशी प्रांत के माननीय प्रांत प्रचारक श्रीमान रमेश जी उपस्थित रहे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि हिन्दू संस्कृति अत्यंत प्राचीन, शाश्वत और सनातन है। हमारे मनीषियों और महापुरुषों ने सदैव “वसुधैव कुटुम्बकम” और “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की भावना के साथ मानवता को जोड़ने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में हिन्दू समाज एकजुट और सशक्त था, लेकिन कालांतर में जाति, भाषा और रूढ़ियों में बंटने के कारण समाज कमजोर हुआ, जिसके दुष्परिणामस्वरूप देश को लंबे समय तक गुलामी का सामना करना पड़ा।

श्री रमेश जी ने कहा कि उस दौर में हमारा धन, राज्य, भूमि, धर्म और स्वाभिमान तक छिन गया, लेकिन संतों, महापुरुषों और देशभक्तों के त्याग व बलिदान से हमें पुनः स्वतंत्र जीवन जीने का अवसर मिला। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज फिर समाज जाति, पंथ, भाषा और ऊँच-नीच में बंटता जा रहा है, जिससे हमारी सामूहिक शक्ति कमजोर हो रही है। उन्होंने आह्वान किया कि समय की आवश्यकता है कि हम संतों और महापुरुषों के आध्यात्मिक विचारों को आत्मसात करें, आपसी भाईचारा स्थापित करें और हिन्दू संस्कृति को पुनः उसके गौरवशाली शिखर पर पहुंचाएं।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रख्यात धर्मगुरु परम पूज्य श्री सतपाल जी महाराज के आत्म-अनुभवी शिष्य महात्मा श्री सारथानंद जी ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि समाज की एकता तभी संभव है जब हम सभी अपने भीतर छुपे उस एक आत्म तत्व को पहचानें। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यही ज्ञान प्रभु श्रीराम ने हनुमान जी को दिया, भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया और सभी सच्चे गुरुओं ने अपने शिष्यों को उनके हृदय के भीतर इस सत्य का बोध कराया। जब हम उस एक तत्व को जान लेते हैं, तब सभी में एक ही प्रभु का दर्शन होता है और सभी प्रकार के भेदभाव स्वतः समाप्त हो जाते हैं। तभी हम एकजुट होकर देश, धर्म और समाज की सच्ची सेवा कर सकते हैं।

विशिष्ट अतिथि के रूप में साध्वी महात्मा श्री दयावती बाई ने कहा कि मानव धर्म के प्रणेता सद्गुरुदेव श्री सतपाल जी महाराज सनातन धर्म और संस्कृति का ध्वज केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के कोने-कोने में फहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि संतों द्वारा बताए गए मार्ग पर चलकर ही जीवन सार्थक बनता है और तभी हम अपने धर्म, समाज और संस्कृति की सच्ची सेवा कर सकते हैं। उनका संबोधन श्रद्धा और प्रेरणा से परिपूर्ण रहा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. संतोष कुमार मिश्र ने की, जबकि सफल संचालन कार्यक्रम के आयोजक डॉ. संतोष कुमार यादव द्वारा किया गया। आयोजन के दौरान भजन-कीर्तन, सत्संग और प्रसाद वितरण हुआ, जिसमें उपस्थित श्रद्धालुओं ने पूरे उत्साह और भक्ति भाव से सहभागिता की।

सम्मेलन के समापन अवसर पर उपस्थित जनसमूह ने आपसी एकता, भाईचारे और सनातन संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन का संकल्प लिया। शीत लहर के बावजूद लोगों की बड़ी उपस्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया कि समाज में आध्यात्मिक विचारों और सांस्कृतिक एकता के प्रति गहरी आस्था और जागरूकता बनी हुई है।

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