भोजपुर में लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के तहत द्वितीय अपीलों की सुनवाई, जिलाधिकारी ने 11 मामलों की की समीक्षा

Report By : तारकेश्वर प्रसाद
आरा : भोजपुर जिला प्रशासन द्वारा लोक शिकायतों के त्वरित एवं प्रभावी निवारण (Public Grievance Redressal) की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 (Bihar Public Grievance Redressal Act, 2015) के अंतर्गत द्वितीय अपील (Second Appeal) के मामलों की सुनवाई की गई। यह सुनवाई जिलाधिकारी भोजपुर श्री तनय सुल्तानिया (District Magistrate Tanay Sultania) की अध्यक्षता में आयोजित की गई, जिसमें कुल 11 अपीलीय मामलों पर विस्तार से विचार किया गया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इन अपीलीय मामलों में मुख्य रूप से राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग (Revenue and Land Reforms Department), गृह विभाग (Home Department), लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (Public Health Engineering Department) तथा ग्रामीण विकास विभाग (Rural Development Department) से संबंधित शिकायतें शामिल थीं। जिलाधिकारी ने प्रत्येक मामले को गंभीरता से सुनते हुए संबंधित विभागीय अधिकारियों से विस्तृत जानकारी प्राप्त की और शिकायतकर्ताओं द्वारा उठाए गए बिंदुओं की गहन समीक्षा की।
सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी तनय सुल्तानिया ने स्पष्ट निर्देश दिए कि लोक शिकायत निवारण अधिनियम का उद्देश्य आम नागरिकों को समयबद्ध और पारदर्शी (Transparent) तरीके से न्याय दिलाना है। उन्होंने कहा कि यदि किसी भी स्तर पर लापरवाही या अनावश्यक विलंब (Unnecessary Delay) पाया जाता है, तो संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही (Accountability) तय की जाएगी। इस अधिनियम के तहत प्रशासन का दायित्व है कि नागरिकों की समस्याओं का समाधान तय समय सीमा में किया जाए।
द्वितीय अपील की इस प्रक्रिया में कुल 11 मामलों में से 3 मामलों का निष्पादन (Disposed Cases) किया गया। इन मामलों में विभागों द्वारा की गई कार्रवाई को संतोषजनक मानते हुए उन्हें समाप्त किया गया, जबकि शेष मामलों में जिलाधिकारी ने संबंधित विभागों को आवश्यक दिशा-निर्देश (Guidelines) जारी किए। कुछ मामलों में अतिरिक्त जांच (Further Inquiry) और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश भी दिए गए, ताकि शिकायतकर्ताओं को न्याय मिल सके।
जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे शिकायतों के निवारण में संवेदनशीलता (Sensitivity) और गंभीरता दिखाएं। उन्होंने यह भी कहा कि भूमि विवाद, पेयजल आपूर्ति, विकास योजनाओं के क्रियान्वयन और गृह विभाग से जुड़े मामलों में आम नागरिकों को सबसे अधिक परेशानी होती है, इसलिए इन विषयों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। प्रशासन की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी योजनाओं और सेवाओं का लाभ सही पात्र व्यक्ति तक पहुंचे।
सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ताओं को भी अपनी बात रखने का पूरा अवसर दिया गया। जिलाधिकारी ने प्रत्येक पक्ष को ध्यानपूर्वक सुना और यह सुनिश्चित किया कि निर्णय निष्पक्ष (Fair Decision) और तथ्यों के आधार पर हो। इस प्रक्रिया से न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ती है, बल्कि आम जनता का शासन व्यवस्था (Governance System) पर विश्वास भी मजबूत होता है।
जिला प्रशासन के अनुसार, लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 नागरिकों को एक सशक्त मंच (Empowered Platform) प्रदान करता है, जहां वे अपनी समस्याओं को सीधे प्रशासन के समक्ष रख सकते हैं। द्वितीय अपील की व्यवस्था उन मामलों के लिए है, जहां प्रथम स्तर पर समाधान संतोषजनक नहीं हो पाता। ऐसे में जिलाधिकारी द्वारा की गई यह सुनवाई प्रशासनिक उत्तरदायित्व का एक महत्वपूर्ण उदाहरण मानी जा रही है।
कुल मिलाकर, भोजपुर जिले में आयोजित यह द्वितीय अपील सुनवाई आम नागरिकों की समस्याओं के समाधान की दिशा में एक सार्थक कदम साबित हुई है। जिला प्रशासन ने स्पष्ट संकेत दिया है कि जन शिकायतों के निवारण में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और सुशासन (Good Governance) को प्राथमिकता दी जाएगी।





