जमुई में रेलवे का कहर: पुल पर थर्राया सिस्टम, मालगाड़ी के 10 डिब्बे नदी में गिरे, देश की रेल सुरक्षा पर फिर सवाल

झाझा-जसीडीह रेलखंड पर अचानक डिरेल हुई सीमेंट लदी मालगाड़ी, पुल से नीचे गिरे डिब्बों ने बढ़ाया खौफ

Report By : कर्मक्षेत्र टीवी डेस्क टीम

बिहार के जमुई जिले से शनिवार को एक ऐसा खौफनाक रेल हादसा सामने आया, जिसने रेलवे सुरक्षा (Railway Safety) और ट्रैक मेंटेनेंस (Track Maintenance) की पोल खोलकर रख दी। झाझा–जसीडीह रेलखंड पर सीमेंट से लदी एक मालगाड़ी (Freight Train) अचानक पटरी से उतर गई, जिससे पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। हादसे की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मालगाड़ी के कुल 19 डिब्बे डिरेल (Derailment) हो गए, जिनमें से 10 डिब्बे सीधे पुल से नीचे जा गिरे।

यह दर्दनाक हादसा टेलवा हॉल्ट के पास बरुआ नदी पुल (Barua River Bridge) पर हुआ। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, जैसे ही मालगाड़ी पुल पर पहुंची, तेज धमाके जैसी आवाज आई और एक-एक कर डिब्बे पटरी से उतरते चले गए। कुछ ही सेकेंड में डिब्बे पुल से नीचे गिर गए, जिससे आसपास का इलाका दहल उठा और धूल का गुबार कई मीटर तक फैल गया।

घटना के बाद अप और डाउन दोनों रेल लाइनें (Up & Down Lines) पूरी तरह बंद हो गईं। इस रूट से गुजरने वाली कई यात्री ट्रेनें (Passenger Trains) अलग-अलग स्टेशनों पर रोक दी गईं, जबकि कुछ ट्रेनों को वैकल्पिक मार्ग (Diversion Route) से भेजा गया। अचानक हुए इस रेल हादसे से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

रेलवे अधिकारियों (Railway Officials) ने बताया कि हादसे में किसी के हताहत होने की तत्काल सूचना नहीं है, लेकिन रेलवे संपत्ति को भारी नुकसान हुआ है। सीमेंट से भरे डिब्बे (Cement Loaded Wagons) पुल के नीचे बिखर गए हैं और रेल पटरियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, जिससे इस सेक्शन पर फिलहाल रेल संचालन संभव नहीं है।

हादसे की सूचना मिलते ही रेलवे का राहत एवं बचाव दल (Rescue and Restoration Team), इंजीनियरिंग विभाग (Engineering Department) और स्थानीय प्रशासन मौके पर पहुंचा। सुरक्षा कारणों से पूरे सेक्शन की बिजली आपूर्ति (Overhead Power Supply) बंद कर दी गई। भारी क्रेन (Heavy Cranes) की मदद से गिरे हुए डिब्बों को हटाने का कार्य शुरू किया गया है, लेकिन पुल को हुए नुकसान के कारण इसमें लंबा समय लग सकता है।

रेलवे सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक जांच में तकनीकी खराबी (Technical Fault) या ट्रैक में कमजोरी (Track Defect) को हादसे की संभावित वजह माना जा रहा है। हालांकि, वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए उच्चस्तरीय जांच (High Level Inquiry) के आदेश दे दिए गए हैं। रेलवे सेफ्टी कमिश्नर (Commissioner of Railway Safety) की टीम भी मामले की जांच कर सकती है।

स्थानीय लोगों और यात्रियों में इस हादसे को लेकर भारी आक्रोश देखा जा रहा है। लोगों का कहना है कि बीते कुछ महीनों से देश के अलग-अलग हिस्सों में लगातार रेल हादसे (Rail Accidents) सामने आ रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद ट्रैक निरीक्षण और रख-रखाव में सुधार नहीं किया जा रहा।

विशेषज्ञों का मानना है कि मालगाड़ियों पर बढ़ता लोड (Heavy Freight Load), पुराना रेल इंफ्रास्ट्रक्चर (Rail Infrastructure) और समय पर ट्रैक की जांच न होना ऐसे हादसों की बड़ी वजह बन रहा है। यदि ट्रैक मॉनिटरिंग सिस्टम (Track Monitoring System) को आधुनिक तकनीक से लैस नहीं किया गया, तो भविष्य में ऐसे हादसे और भी गंभीर रूप ले सकते हैं।

हादसे के कारण झाझा–जसीडीह रेलखंड पर माल ढुलाई (Freight Movement) और यात्री सेवाएं दोनों प्रभावित हुई हैं। रेलवे प्रशासन का कहना है कि प्राथमिकता के आधार पर ट्रैक बहाली (Track Restoration) का कार्य किया जा रहा है और मरम्मत पूरी होने के बाद ही ट्रेनों का संचालन दोबारा शुरू किया जाएगा

इस हादसे ने एक बार फिर भारतीय रेलवे (Indian Railways) की सुरक्षा तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यात्रियों और आम जनता की मांग है कि रेलवे केवल हादसों के बाद जांच और बयानबाजी तक सीमित न रहे, बल्कि स्थायी सुरक्षा सुधार (Permanent Safety Reforms) की दिशा में ठोस कदम उठाए।

जमुई का यह रेल हादसा न केवल एक तकनीकी विफलता की कहानी है, बल्कि यह चेतावनी भी है कि अगर समय रहते रेल सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू नहीं किया गया, तो ऐसे हादसे आम लोगों की जान और भरोसे दोनों पर भारी पड़ सकते हैं।

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