पाकिस्तान में मचा सियासी तूफान, राष्ट्रपति का कबूलनामा बना वजह

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान बंकरों में छिपी पाकिस्तानी सेना को लेकर राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के सार्वजनिक बयान से पाकिस्तान की सुरक्षा रणनीति पर उठे गंभीर सवाल, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई तीखी किरकिरी

Report By : कर्मक्षेत्र टीवी डेस्क टीम

इस्लामाबाद। पाकिस्तान एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर आलोचनाओं के घेरे में आ गया है। इस बार वजह बने हैं खुद पाकिस्तान के राष्ट्रपति Asif Ali Zardari, जिनके एक सार्वजनिक बयान ने देश की सैन्य तैयारी और सुरक्षा दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। राष्ट्रपति जरदारी ने मंच से स्वीकार किया कि भारत द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor)’ के दौरान हालात इतने तनावपूर्ण थे कि पाकिस्तानी सेना को बंकरों में छिपना पड़ा था, यहां तक कि उन्हें खुद भी सुरक्षा कारणों से बंकर में रहने की सलाह दी गई थी।

राष्ट्रपति का यह बयान सामने आते ही पाकिस्तान की राजनीति में हलचल मच गई। अब तक जो बात सेना और सरकार के भीतर तक सीमित मानी जा रही थी, वह पहली बार खुले मंच से स्वीकार की गई। जरदारी के इस कबूलनामे को विशेषज्ञ Strategic Failure और Psychological Pressure का संकेत मान रहे हैं। उनका कहना है कि यह बयान पाकिस्तान की उस छवि को गहरा झटका देता है, जिसमें वह खुद को हमेशा मजबूत सैन्य शक्ति (Strong Military Power) के रूप में पेश करता रहा है।

अपने भाषण के दौरान राष्ट्रपति जरदारी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के समय हालात इतने संवेदनशील हो गए थे कि सैन्य अधिकारियों ने उन्हें सुरक्षित स्थान यानी बंकर में जाने की सलाह दी थी। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उस वक्त युद्ध जैसी स्थिति (War-like Situation) बन गई थी और पूरे देश में डर का माहौल था। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्होंने खुद बंकर में जाने से इनकार कर दिया, लेकिन सेना का वहां छिपना हालात की गंभीरता को दर्शाता है।

इस बयान के सामने आते ही पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियों और सोशल मीडिया यूजर्स ने सरकार और सेना पर तीखे सवाल दागने शुरू कर दिए। कई राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह स्वीकारोक्ति पाकिस्तान की Defence Preparedness और Crisis Management की पोल खोलती है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इसे पाकिस्तान के लिए “Embarrassing Moment” करार दिया है।

बताया जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर भारत द्वारा आतंकवादी घटनाओं के जवाब में की गई एक सख्त सैन्य कार्रवाई थी, जिसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था। इस ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान लगातार यह दावा करता रहा कि उसने हालात पर पूरी तरह नियंत्रण बनाए रखा, लेकिन राष्ट्रपति के ताजा बयान ने उन दावों को कमजोर कर दिया है।

राष्ट्रपति जरदारी के इस बयान का असर केवल राजनीति तक सीमित नहीं है। रक्षा मामलों के जानकार मानते हैं कि इससे पाकिस्तान की सेना की Credibility और Deterrence Capability पर भी सवाल खड़े होते हैं। उनका कहना है कि जब किसी देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति ऐसी बातें स्वीकार करता है, तो वह देश की रणनीतिक स्थिति (Strategic Position) को कमजोर करता है।

पाकिस्तान में इस बयान के बाद सरकार को सफाई देनी पड़ रही है। सत्तारूढ़ दल के कुछ नेताओं का कहना है कि राष्ट्रपति के बयान को गलत संदर्भ में लिया जा रहा है, जबकि विपक्ष इसे सरकार की नाकामी (Government Failure) बता रहा है। सोशल मीडिया पर यह मुद्दा तेजी से ट्रेंड कर रहा है और आम लोग सेना की भूमिका पर खुलकर सवाल उठा रहे हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान आने वाले समय में भारत-पाक संबंधों (India-Pakistan Relations) को भी प्रभावित कर सकता है। भारत पहले ही आतंकवाद को लेकर सख्त नीति (Zero Tolerance Policy) अपनाने की बात कहता रहा है, और अब पाकिस्तान के राष्ट्रपति का यह कबूलनामा भारत के उस रुख को और मजबूत करता दिख रहा है।

कुल मिलाकर, राष्ट्रपति जरदारी का यह बयान पाकिस्तान के लिए एक नई मुश्किल खड़ी करता नजर आ रहा है। एक तरफ जहां देश आर्थिक संकट (Economic Crisis) से जूझ रहा है, वहीं दूसरी ओर सेना की छवि और सुरक्षा नीति पर सवाल उठना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि पाकिस्तान सरकार और सेना इस बयान से पैदा हुए विवाद को किस तरह संभालती है।

Akash Yadav

आकाश यादव पिछले 9 सालों से पत्रकारिता कर रहे है, इन्होंने हिन्दी दैनिक अखबार अमरेश दर्पण से पत्रकारिता की शुरुआत की, इसके उपरांत टीवी मीडिया के ओर रुख मोड लिया, सबसे पहले सुदर्शन न्यूज, नेशन लाइव, ओके इंडिया, साधना एमपी/सीजी और बतौर लखनऊ ब्यूरो खबरें अभी तक न्यूज चैनल में कार्य करने के साथ सद्मार्ग साक्षी दैनिक अखबार में सहायक संपादक और कर्मक्षेत्र टीवी में बतौर संपादक कार्य कर रहे है !

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