लखनऊ के आशियाना थाना क्षेत्र में पुलिस पिटाई से युवक की मौत का आरोप, इलाज के अभाव में बलरामपुर अस्पताल में तोड़ा दम

Report By : कर्मक्षेत्र टीवी डेस्क टीम

लखनऊ : राजधानी लखनऊ के आशियाना थाना क्षेत्र (Ashiyana Police Station Area) से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां पुलिस हिरासत (Police Custody) में कथित पिटाई के बाद एक 28 वर्षीय युवक की मौत का आरोप लगा है। मृतक की पहचान आशियाना निवासी मिथुन (Mithun) के रूप में हुई है। परिजनों का आरोप है कि चोरी के एक मामले में चौकी ले जाकर युवक के साथ बेरहमी से मारपीट (Brutal Beating) की गई, जिसके बाद बिना किसी चिकित्सकीय उपचार (Medical Treatment) के उसे सीधे जेल भेज दिया गया। हालत बिगड़ने पर अस्पताल रेफर किया गया, जहां इलाज के अभाव में उसकी मौत हो गई।

परिजनों के अनुसार, 29 नवंबर को मिथुन को काम के दौरान चोरी के आरोप में पुलिस ने हिरासत में लिया था। मिथुन रतनखंड क्षेत्र में अनिल सिंह के घर पर लाइटिंग का काम (Lighting Work) करता था। इसी दौरान उस पर चोरी का आरोप लगाया गया और पुलिस उसे चौकी ले गई। आरोप है कि चौकी में पुलिसकर्मियों ने सीने पर लातें मारीं और बेल्ट व डंडों से जमकर पिटाई (Assault) की, जिससे उसकी तबीयत गंभीर रूप से बिगड़ गई। इसके बावजूद न तो उसे किसी सरकारी अस्पताल ले जाया गया और न ही प्राथमिक उपचार (First Aid) दिया गया।

घटना के बाद पत्नी का रो रो कर बुरा हाल

परिजनों का कहना है कि पिटाई के बाद मिथुन को बिना किसी सूचना के सीधे जेल भेज दिया गया। परिवार को इस पूरी कार्रवाई की जानकारी तक नहीं दी गई। बाद में डायल-112 (Dial-112) पर फोन करने के बाद परिजनों को पता चला कि मिथुन जेल में बंद है। जब उसकी हालत लगातार खराब होती चली गई, तब उसे अस्पताल रेफर (Hospital Referral) किया गया। उसे बलरामपुर अस्पताल (Balrampur Hospital) में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के अभाव में उसकी मौत हो गई।

मृतक के भाई मनोज और प्रमोद ने बताया कि वे 21 दिसंबर को जेल में मिथुन से मिलने पहुंचे थे। उस समय मिथुन बेहद कमजोर और दर्द में था। उसने अपने भाइयों को पूरी आपबीती बताते हुए कहा था कि पुलिस ने उसे बुरी तरह मारा है और बिना इलाज के जेल भेज दिया गया। मिथुन ने कथित तौर पर कहा था, “बिना इलाज के मार देंगे,” यह शब्द उसने मौत से पहले अपने भाई से कहे थे, जिसने परिवार को अंदर तक झकझोर कर रख दिया।

मिथुन की मौत की खबर जैसे ही इलाके में फैली, क्षेत्र में हड़कंप (Panic) मच गया। मृतक अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य था और रश्मिखंड बंगला बाजार (Rashmikhand Bangla Bazar) में पत्नी और दो छोटे बच्चों के साथ रहता था। परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए निष्पक्ष जांच (Fair Investigation) और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मामला पुलिस की कार्यप्रणाली (Police Working System) पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यदि युवक की हालत हिरासत में ही खराब हो गई थी, तो समय पर उसे अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया। मानवाधिकार (Human Rights) से जुड़े संगठनों ने भी इस घटना को गंभीर बताते हुए न्यायिक जांच (Judicial Inquiry) की मांग उठाई है।

फिलहाल पुलिस की ओर से मामले की जांच की बात कही जा रही है, लेकिन परिजनों का कहना है कि जब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, उन्हें न्याय नहीं मिलेगा। यह घटना एक बार फिर पुलिस हिरासत में मौत (Custodial Death) जैसे संवेदनशील मुद्दे को सामने लाती है, जिस पर प्रशासन और सरकार को गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।

Mukesh Kumar

मुकेश कुमार पिछले 3 वर्ष से पत्रकारिता कर रहे है, इन्होंने सर्वप्रथम हिन्दी दैनिक समाचार पत्र सशक्त प्रदेश, साधना एमपी/सीजी टीवी मीडिया में संवाददाता के पद पर कार्य किया है, वर्तमान में कर्मक्षेत्र टीवी वेबसाईट में न्यूज इनपुट डेस्क पर कार्य कर रहे है !

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