बांग्लादेश में हिंदू परिवारों पर फिर हमला, घरों को बाहर से बंद कर लगाई आग, पिरोजपुर की घटना से दहशत
बांग्लादेश के पिरोजपुर जिले में हिंदू परिवारों को निशाना बनाते हुए उनके घरों को बाहर से बंद कर आग लगाने की सनसनीखेज घटना सामने आई है। बीते 6 महीनों में ईशनिंदा के नाम पर दर्ज 71 मामलों ने अल्पसंख्यक सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Report By : कर्मक्षेत्र टीवी डेस्क टीम
पिरोजपुर/ढाका: बांग्लादेश से एक बार फिर अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा को लेकर चिंताजनक खबर सामने आई है। पिरोजपुर जिले के दम्रिताला गांव में शनिवार, 27 दिसंबर को उपद्रवियों ने हिंदू परिवारों के पांच घरों को बाहर से बंद कर आग के हवाले कर दिया। इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद इलाके में भय और तनाव का माहौल है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, घटना देर रात की बताई जा रही है, जब हमलावरों ने सुनियोजित तरीके से हिंदू परिवारों के घरों के बाहर ताले लगाकर उन्हें आग लगा दी। गनीमत रही कि समय रहते कुछ लोगों को बाहर निकलने में मदद मिली, जिससे किसी के हताहत होने की तत्काल सूचना नहीं है। हालांकि, घरों को भारी नुकसान पहुंचा है और पीड़ित परिवार बेघर हो गए हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि आग इतनी तेजी से फैली कि आसपास के लोग भी दहशत में आ गए। घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन और दमकल (Fire Services) की टीम मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाया। पुलिस ने क्षेत्र में अतिरिक्त बल तैनात कर दिया है और जांच (Investigation) शुरू कर दी गई है।
यह घटना ऐसे समय सामने आई है, जब बांग्लादेश में ईशनिंदा (Blasphemy) के आरोपों के नाम पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के मामलों में वृद्धि की रिपोर्टें सामने आ रही हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बीते 6 महीनों में 71 मामले ईशनिंदा के नाम पर दर्ज किए गए हैं, जिनमें कई मामलों में सामाजिक तनाव और हिंसा की स्थिति बनी।
मानवाधिकार संगठनों (Human Rights Organizations) ने इस घटना पर गहरी चिंता जताई है और बांग्लादेश सरकार से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। संगठनों का कहना है कि अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करना राज्य की जिम्मेदारी है और ऐसे मामलों में त्वरित न्याय (Swift Justice) आवश्यक है।
स्थानीय प्रशासन का कहना है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेष जांच टीम गठित की गई है। दोषियों की पहचान कर उन्हें कानून के दायरे में लाया जाएगा। साथ ही, पीड़ित परिवारों को राहत और पुनर्वास (Relief & Rehabilitation) देने की प्रक्रिया शुरू करने की बात भी कही गई है।
इस घटना ने एक बार फिर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द (Social Harmony) को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें भी इस मामले पर टिकी हैं, जहां निष्पक्ष जांच और ठोस कार्रवाई की अपेक्षा की जा रही है।





