पाकिस्तान को भारत का करारा जवाब, MEA बोला– अल्पसंख्यकों पर उसका रिकॉर्ड बेहद शर्मनाक
भारत में क्रिसमस के दौरान कथित तोड़फोड़ को लेकर पाकिस्तान की टिप्पणी पर विदेश मंत्रालय ने सख्त प्रतिक्रिया दी है। MEA ने कहा कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर सवाल उठाने से पहले पाकिस्तान को अपने हालात देखने चाहिए।

Report By : कर्मक्षेत्र टीवी डेस्क टीम
नई दिल्ली: भारत में क्रिसमस के दौरान कुछ जगहों पर हुई तोड़फोड़ को लेकर पाकिस्तान द्वारा उठाए गए सवालों पर भारत सरकार ने तीखा पलटवार किया है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने पाकिस्तान की टिप्पणी को खारिज करते हुए साफ कहा है कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सुरक्षा पर बोलने का उसे कोई नैतिक अधिकार नहीं है, क्योंकि उसका खुद का रिकॉर्ड बेहद शर्मनाक (Abysmal) रहा है।
MEA के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहां सभी धर्मों और समुदायों के लोगों को संविधान द्वारा समान अधिकार प्राप्त हैं। भारत में किसी भी प्रकार की घटना को कानून के तहत देखा जाता है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। इसके विपरीत, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ होने वाली हिंसा, जबरन धर्मांतरण और भेदभाव जगजाहिर है।
विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को आईना दिखाते हुए कहा कि वहां हिंदू, सिख, ईसाई और अहमदिया समुदाय लंबे समय से उत्पीड़न (Persecution) का सामना कर रहे हैं। धार्मिक स्थलों पर हमले, जबरन शादी और धर्म परिवर्तन जैसी घटनाएं पाकिस्तान में लगातार सामने आती रही हैं, जिन पर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों (Human Rights Organizations) ने भी चिंता जताई है।
MEA ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत में क्रिसमस या किसी भी धार्मिक पर्व के दौरान यदि कहीं कानून व्यवस्था से जुड़ी घटना होती है, तो उसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना या राजनीतिक रंग देना गलत है। भारत की कानून व्यवस्था (Law & Order System) ऐसी घटनाओं से निपटने में सक्षम है और सरकार सभी नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है।
पाकिस्तान द्वारा भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर सवाल उठाए जाने को विदेश मंत्रालय ने दोहरे मापदंड (Double Standards) करार दिया। MEA ने कहा कि पाकिस्तान को पहले अपने देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति सुधारने पर ध्यान देना चाहिए, बजाय इसके कि वह भारत को उपदेश दे।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान ऐसे समय आया है, जब पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बार-बार भारत को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश करता रहा है। भारत का यह कड़ा रुख यह संदेश देता है कि अब बेबुनियाद आरोपों का जवाब तथ्यों और सख्त शब्दों में दिया जाएगा।
कुल मिलाकर, विदेश मंत्रालय का यह बयान भारत की उस नीति को दर्शाता है, जिसमें वह अपने आंतरिक मामलों पर बाहरी टिप्पणी को स्वीकार नहीं करता और तथ्यों के साथ जवाब देना जरूरी समझता है।





