VAT SAVITRI PUJA: बरगद के पेड़ पर सात बार क्यों लपेटा जाता है कच्चा सूत? जानिए धार्मिक महत्व

Report By: धर्मक्षेत्र डेस्क

वट सावित्री पूजा का महत्व
भारत में हर पर्व और पूजा का धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व होता है। इन त्योहारों में कुछ विशेष पूजा विधियाँ होती हैं, जो परिवार और समाज के सामूहिक उत्थान के प्रतीक मानी जाती हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण पूजा है वट सावित्री पूजा, जो खासकर हिंदू महिलाओं द्वारा अपने पतियों की लंबी उम्र और उनके सुखमय जीवन के लिए की जाती है। यह पूजा विशेष रूप से वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ के नीचे होती है। इस पूजा के दौरान एक खास परंपरा है – बरगद के पेड़ पर कच्चे सूत को सात बार लपेटने की। लेकिन सवाल यह उठता है कि यह परंपरा क्यों है और इसका धार्मिक महत्व क्या है?

कच्चे सूत का धार्मिक महत्व
कच्चा सूत हिंदू धर्म में शुद्धता और त्याग का प्रतीक माना जाता है। यह सूत न केवल पूजा का एक हिस्सा होता है, बल्कि यह प्रतीक है उस शुद्धता का, जो पूजा के प्रत्येक तत्व में निहित होती है। वट सावित्री पूजा के दौरान, महिलाएं कच्चे सूत को वट वृक्ष के चारों ओर सात बार लपेटती हैं। यह सात बार लपेटने की परंपरा गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं से जुड़ी हुई है।

सात बार सूत लपेटने का महत्व
सात बार कच्चा सूत लपेटने का मुख्य उद्देश्य यह है कि यह सात जन्मों के लिए एक साथ रहने का संकल्प है। भारतीय संस्कृति में सात जन्मों का विश्वास किया जाता है, और वट सावित्री पूजा में यह सात बार सूत लपेटना इस बात का प्रतीक है कि महिलाएं अपने पतियों के साथ सात जन्मों तक सुखी, समृद्ध और सशक्त जीवन जीने का संकल्प लेती हैं।

वट वृक्ष का महत्व
वट वृक्ष का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है। इसे आध्यात्मिकता, दीर्घायु, और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस पेड़ की जड़ें पृथ्वी से जुड़ी होती हैं, जबकि उसकी शाखाएं आकाश तक फैलती हैं। यह जीवन के दोनों पहलुओं – पृथ्वी (जन्म) और आकाश (मृत्यु) का संतुलन दर्शाता है। वट वृक्ष के नीचे पूजा करने से यह विश्वास किया जाता है कि जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और भगवान के आशीर्वाद से हर मुश्किल आसान हो जाती है।

पूजा विधि
वट सावित्री पूजा की विधि में महिलाएं व्रत करती हैं और दिनभर उपवासी रहकर पूजा करती हैं। पूजा के दौरान, वे वट वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा का आयोजन करती हैं और इस वृक्ष के चारों ओर कच्चे सूत को सात बार लपेटकर उसकी परिक्रमा करती हैं। साथ ही वे सावित्री और सत्यवान की कहानी का पाठ करती हैं, जिसमें सावित्री अपने पति सत्यवान की जीवन रक्षा के लिए यमराज से भी लड़ जाती हैं। यह कहानी पतियों के जीवन की रक्षा की प्रेरणा देती है।

वट सावित्री पूजा का संदेश
यह पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण संदेश भी देती है। यह हमें यह सिखाती है कि जीवन में प्रेम, विश्वास और संकल्प के साथ हर समस्या का सामना किया जा सकता है। वट सावित्री पूजा के माध्यम से महिलाएं न केवल अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना करती हैं, बल्कि यह परिवार और समाज में समृद्धि, शांति और सामंजस्य बनाए रखने का भी एक प्रयास है।

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