अमृत 2.0 के अंतर्गत “एक पेड़ मां के नाम” अभियान शुरू, डूडा समूह की महिलाएं करेंगी 650 पौधों का पौधरोपण

Report By: श्रवण कुमार यादव
शहरी विकास और पर्यावरण संरक्षण को एक साथ जोड़ते हुए बाराबंकी नगर में एक सराहनीय पहल की गई है। दीन दयाल अंत्योदय राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन और अमृत 2.0 मिशन के संयुक्त तत्वावधान में “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के अंतर्गत डूडा (जिला नगरीय विकास अभिकरण) द्वारा संचालित स्वयं सहायता समूह (SHG) की महिलाओं को पौधारोपण की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस अभियान का उद्देश्य न केवल पर्यावरण संवर्धन है, बल्कि इसमें महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और समाज सेवा से जोड़ने की प्रेरणा भी निहित है।
डूडा समूह की महिलाएं निभाएंगी जिम्मेदारी
अभियान के प्रथम चरण की जानकारी देते हुए अधिशाषी अधिकारी एवं प्रभारी अधिकारी डूडा श्री संजय शुक्ला ने बताया कि नगर क्षेत्र में दो प्रमुख स्थलों—जेब्रा पार्क तथा मकदूमपुर-मोहरीपुर जलाशय क्षेत्र (वाटर बॉडीज)—का चयन किया गया है, जहां कुल 650 पौधे लगाए जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि पौधारोपण केवल एक दिन का कार्यक्रम नहीं होगा, बल्कि आगामी दो वर्षों तक इन पौधों की देखभाल का जिम्मा भी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के पास रहेगा।
प्रशिक्षण और स्थल भ्रमण के साथ शुरू हुई प्रक्रिया
इस अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के लिए डूडा की ओर से 21 मई को एक पूर्वाभ्यास और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें अभियान में भाग लेने वाली महिलाओं को चयनित स्थलों का भ्रमण कराया गया। इस अवसर पर उद्यान विभाग के निरीक्षक अनिल शुक्ला ने महिलाओं को पौधारोपण की विधि, पौधों की देखभाल, मिट्टी की गुणवत्ता और सिंचाई प्रणाली के बारे में विस्तार से प्रशिक्षण दिया।
शहर मिशन प्रबंधक गरिमा सिंह ने बताया कि यह अभियान पर्यावरण के प्रति महिलाओं की भागीदारी को सशक्त बनाएगा और शहर को हरियाली की ओर अग्रसर करेगा। उन्होंने कहा कि “एक पेड़ मां के नाम” केवल एक पौधरोपण अभियान नहीं है, बल्कि यह मातृ सम्मान और प्रकृति संरक्षण का एक सशक्त प्रतीक भी है।
महिलाओं को दी गई जरूरी सामग्री की किट
कार्यक्रम के अंत में परियोजना अधिकारी द्वारा सभी प्रतिभागी महिलाओं को पौधारोपण से संबंधित आवश्यक सामग्री की किट वितरित की गई, जिसमें गमछा, दस्ताने, पौधा संरक्षण जाली, खाद और पानी के छिड़काव की बोतल शामिल थीं। यह सुनिश्चित किया गया कि महिलाओं को पौधारोपण के लिए किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े।
समाज और प्रकृति के लिए एक साथ कदम
यह अभियान सामाजिक सहभागिता और पर्यावरण संरक्षण के समन्वय का एक बेहतरीन उदाहरण है। एक ओर जहां महिलाएं स्वावलंबन की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं, वहीं दूसरी ओर हरियाली बढ़ाकर वातावरण को शुद्ध और सुंदर बनाने का कार्य भी कर रही हैं।
“एक पेड़ मां के नाम” अभियान न केवल वृक्षारोपण की भावना को जन-जन तक पहुंचा रहा है, बल्कि मातृत्व के प्रति भावनात्मक सम्मान को भी प्रकृति से जोड़ रहा है। डूडा की यह पहल आने वाले समय में अन्य जिलों के लिए भी प्रेरणास्रोत बनेगी।