संभल: स्टेट बैंक को सोना बेचना पड़ा महंगा, उपभोक्ता आयोग ने लगाया ₹25,000 जुर्माना, दो माह में देना होगा 9% ब्याज सहित पूरा भुगतान

रजत मल्होत्रा, संभल
संभल: भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) की एक शाखा को उपभोक्ता आयोग द्वारा कड़ी फटकार लगाते हुए आर्थिक दंड का सामना करना पड़ा है। मामला संभल निवासी नवी हसन से जुड़ा है, जिन्होंने फरवरी 2022 में भारतीय स्टेट बैंक, शाखा संभल में अपनी मां के 49.800 ग्राम वजन के 18 पीस सोने के आभूषण गिरवी रखकर ₹1,33,600 का गोल्ड लोन लिया था। यह ऋण तीन वर्ष की अवधि के लिए स्वीकृत किया गया था।
हालांकि, बैंक ने अनुबंध की तय अवधि पूरी होने से पहले ही, महज 10 महीने के भीतर, नवी हसन द्वारा किस्तों के भुगतान में देरी का हवाला देते हुए उनके आभूषणों को चुपचाप बेच दिया और उसकी राशि को ऋण खाते में समायोजित कर लिया। जब वर्ष 2024 में नवी हसन को अपने जेवर वापस लेने की जरूरत पड़ी और उन्होंने बैंक से संपर्क किया, तो उन्हें यह जानकर गहरा झटका लगा कि बैंक ने दिसंबर 2022 में ही उनका गिरवी रखा सोना बेचकर ऋण खाता बंद कर दिया था।
बिना पूर्व सूचना के सोना बेचा, उपभोक्ता ने जताई नाराजगी
नवी हसन ने बैंक से जब इस असामयिक कार्रवाई का कारण पूछा, तो कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया। इसके बाद उन्होंने अपने अधिवक्ता के माध्यम से बैंक को कानूनी नोटिस भेजा, लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं आया। थक-हारकर नवी हसन ने उपभोक्ता मामलों के विशेषज्ञ अधिवक्ता लव मोहन वार्ष्णेय की सहायता ली, जिन्होंने उपभोक्ता आयोग में परिवाद दायर किया।
बैंक ने खुद को सही ठहराने की कोशिश की
बैंक की ओर से आयोग में यह पक्ष रखा गया कि ऋण की राशि का मासिक भुगतान जरूरी था और नवी हसन द्वारा भुगतान नियमित नहीं किया जा रहा था। बैंक ने यह भी तर्क दिया कि ऋण की राशि आभूषणों की कीमत से अधिक न हो जाए, इसलिए उन्हें बेचकर ऋण चुकता करना जरूरी हो गया था।
आयोग ने माना—बैंक की सेवा में गंभीर लापरवाही
हालांकि, अधिवक्ता लव मोहन वार्ष्णेय ने इस दलील को खारिज करते हुए आयोग को बताया कि बैंक ने बिना किसी पूर्व सूचना के गिरवी रखे आभूषणों की बिक्री की, जो कि सेवा में घोर लापरवाही और अनुबंध उल्लंघन का स्पष्ट प्रमाण है।
आयोग का बड़ा फैसला: भुगतान के साथ ब्याज और जुर्माना
दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद उपभोक्ता आयोग ने भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष और शाखा प्रबंधक को आदेशित किया कि—
वे नवी हसन को उनके गिरवी रखे गए 49.800 ग्राम सोने के आभूषणों की बाज़ार कीमत ₹78,100 प्रति 10 ग्राम की दर से कुल ₹3,88,938 की राशि अदा करें।
उक्त राशि पर परिवाद दायर करने की तिथि से 9% वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान किया जाए।
आभूषणों की कुल कीमत में से ऋण खाते में पहले से जमा की गई राशि को समायोजित कर शेष धनराशि दी जाए।
इसके अतिरिक्त, मानसिक कष्ट और आर्थिक हानि के लिए ₹25,000 तथा वाद व्यय के लिए ₹5,000 की अतिरिक्त धनराशि भी नवी हसन को अदा की जाए।
देरी पर लगेगा 12% वार्षिक ब्याज
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि आदेश की तय समयसीमा—दो माह—में अनुपालन नहीं किया गया, तो बैंक को पूरी शेष राशि पर 12% वार्षिक ब्याज देना होगा।