विदेशी मुद्रा भंडार: देश के फॉरेक्स रिजर्व में जबरदस्त इजाफा, 6.99 अरब डॉलर बढ़कर 692.72 अरब डॉलर पर पहुंचा भंडार

Report By: अर्थक्षेत्र डेस्क
भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत सामने आया है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) एक बार फिर तेजी से बढ़ा है और इसने नया मुकाम हासिल किया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए गए ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, 24 मई 2025 को समाप्त सप्ताह में फॉरेक्स रिजर्व 6.992 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 692.721 अरब डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। यह न सिर्फ साल 2025 का सर्वोच्च आंकड़ा है, बल्कि देश के आर्थिक आत्मविश्वास का भी प्रतीक है।
फॉरेक्स रिजर्व क्या है?
फॉरेक्स रिजर्व यानी विदेशी मुद्रा भंडार एक ऐसा आर्थिक संसाधन है जिसमें डॉलर, यूरो, पाउंड जैसी विदेशी मुद्राएं, गोल्ड रिजर्व, आईएमएफ से मिले विशेष आहरण अधिकार (SDRs) और अन्य विदेशी परिसंपत्तियां शामिल होती हैं। यह देश की वित्तीय स्थिरता और आपातकालीन आर्थिक सहायता के लिए बेहद जरूरी होता है।
RBI के आंकड़ों के अनुसार:
कुल फॉरेक्स रिजर्व: 692.721 अरब डॉलर
पिछले सप्ताह की तुलना में वृद्धि: 6.992 अरब डॉलर
यह लगातार दूसरा सप्ताह है जब फॉरेक्स रिजर्व में मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है।
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (Foreign Currency Assets – FCA):
RBI की रिपोर्ट के मुताबिक, कुल वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों का है।
FCA में 6.61 अरब डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है
अब FCA की कुल राशि 644.33 अरब डॉलर हो गई है
FCA में डॉलर के अलावा अन्य प्रमुख विदेशी मुद्राएं भी शामिल होती हैं, जिनकी अमेरिकी डॉलर में गणना की जाती है
स्वर्ण भंडार (Gold Reserves):
भारत के गोल्ड रिजर्व में भी इस सप्ताह मामूली बढ़ोतरी हुई है।
गोल्ड रिजर्व 37.2 करोड़ डॉलर बढ़कर 56.82 अरब डॉलर पर पहुंच गया
यह भारत की संपत्ति और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जाता है
SDR और IMF पोजीशन:
SDRs (Special Drawing Rights): 3.6 करोड़ डॉलर की वृद्धि के साथ 18.19 अरब डॉलर
IMF में भारत की पोजीशन: 4.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 3.38 अरब डॉलर
फॉरेक्स रिजर्व बढ़ने के क्या हैं फायदे?
1. रुपये को मिलती है मजबूती:
विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने से रुपए की विनिमय दर (Exchange Rate) पर सकारात्मक असर पड़ता है और डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होता है।
2. आर्थिक संकट में ढाल:
जब वैश्विक वित्तीय संकट या आयात महंगाई जैसी स्थिति आती है, तब फॉरेक्स रिजर्व देश की अर्थव्यवस्था को सुरक्षा देता है।
3. विदेशी निवेशकों को भरोसा:
अधिक रिजर्व होने से विदेशी निवेशकों को देश की आर्थिक मजबूती पर भरोसा बढ़ता है, जिससे FDI और FII में तेजी आती है।
4. सरकारी योजनाओं को बैकअप:
रिजर्व मजबूत होने से सरकार बड़ी योजनाओं और वित्तीय फैसलों में अधिक आत्मविश्वास से कदम उठा सकती है।
भारत की वैश्विक स्थिति
इस आंकड़े के साथ भारत दुनिया के टॉप फॉरेक्स होल्डिंग देशों की सूची में और भी मजबूत हुआ है। चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद भारत अब चौथे स्थान की ओर अग्रसर है।