खाट पर सिस्टम सड़क के अभाव में मरीजों को ऐसे पहुंचाया जाता है अस्पताल, धमवल गांव की बदहाली की दर्दनाक तस्वीर

रिपोर्ट: तारकेश्वर प्रसाद
एक ओर देश डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटी और चांद पर बस्ती बसाने की बात कर रहा है, वहीं दूसरी ओर बिहार के भोजपुर जिले के शाहपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत बहोरनपुर पंचायत का धमवल गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर है। गांव की तस्वीर देखकर ऐसा लगता है मानो आज भी यह इलाका अंग्रेजों के जमाने में ही जी रहा हो।
यहां के ग्रामीणों के लिए सड़क आज भी एक सपना है। गांव से मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए लगभग आधा किलोमीटर की दूरी कीचड़, गड्ढों और पुरानी पगडंडियों से होकर तय करनी पड़ती है। बारिश के मौसम में यह रास्ता दलदल में तब्दील हो जाता है और लोगों का निकलना तक मुश्किल हो जाता है। ऐसे में सबसे बड़ी मार पड़ती है बीमार, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं पर।
खाट बनी एंबुलेंस, कांधे बना स्ट्रेचर:
गांव में सड़क न होने की वजह से एंबुलेंस तक पहुंचना नामुमकिन है। ऐसे में मरीजों को खाट या चारपाई पर लादकर, लोगों के कांधे पर उठाकर मुख्य सड़क तक लाया जाता है। फिर कहीं जाकर वाहन के जरिए अस्पताल पहुंचाने की कोशिश की जाती है। इस प्रक्रिया में कई बार देर हो जाने की वजह से मरीजों की जान तक चली जाती है।
तीन पीढ़ियों ने नहीं देखा पक्का रास्ता:
धमवल गांव के रहने वाले एक युवा रवि कुमार ने बताया, “मेरे दादा की उम्र 90 साल है और उन्होंने आज तक गांव तक कोई पक्की सड़क नहीं देखी। मैं खुद 26 साल का हो गया हूं, लेकिन आज तक हम भी वही पगडंडी वाले रास्ते पर ही चलते आए हैं। तीन पीढ़ियां बीत गईं, लेकिन सड़क का सपना आज भी अधूरा है।”
सरकार बनी रही मौन दर्शक:
ग्रामीणों का कहना है कि वे कई बार पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर पर आवेदन देकर सड़क निर्माण की मांग कर चुके हैं। नेताओं से लेकर अधिकारियों तक सबको इस समस्या से अवगत कराया गया है। यहां तक कि मीडिया ने भी कई बार इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया, लेकिन जिला प्रशासन की आंखें अब तक नहीं खुली हैं।
गांव की बदहाली पर ग्रामीणों का फूटा गुस्सा:
गांव के बुजुर्ग राजेंद्र चौधरी कहते हैं, “हर चुनाव में नेता लोग वादा करते हैं कि इस बार पक्की सड़क जरूर बनेगी। लेकिन चुनाव के बाद कोई पलट कर देखने नहीं आता। हमारे बच्चे पढ़ने बाहर जाते हैं क्योंकि यहां स्कूल तक पहुंचने का रास्ता भी नहीं है।”
एक गांव, कई परेशानियां:
धमवल गांव में सिर्फ सड़क की समस्या नहीं है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और जल आपूर्ति जैसी मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है। गांव में न कोई सरकारी अस्पताल है, न ही कोई हाईस्कूल। पीने का पानी भी गांव के एकमात्र हैंडपंप या कुंए पर निर्भर है।
प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल:
जिला प्रशासन की इस अनदेखी पर अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिर क्यों धमवल जैसे गांव अब तक विकास की मुख्यधारा से कटे हुए हैं। क्या यह प्रशासनिक लापरवाही है या राजनीतिक उपेक्षा?
अब उम्मीद किससे?
आज जब देश नई संसद, बुलेट ट्रेन और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की बात कर रहा है, तब बिहार के एक गांव के लोग इस इंतजार में हैं कि कब उन्हें पक्की सड़क नसीब होगी। सवाल उठता है कि आखिर इस लोकतंत्र में कुछ गांवों की किस्मत इतनी बदनसीब क्यों है?