देहरादून में विकसित कृषि संकल्प अभियान का भव्य आयोजन केंद्रीय कृषि मंत्री बोले किसान से बड़ा वैज्ञानिक कोई और नहीं

Report By: उत्तराखंड डेस्क

देहरादून के कौलागढ़ स्थित हिमालयन कल्चरल सेंटर में शुक्रवार को ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में देश के केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और प्रदेश भर से आए किसानों को संबोधित किया।

किसानों से संवाद की अनूठी पहल
‘विकसित भारत’ की परिकल्पना को साकार करने के लिए शुरू किए गए इस अभियान का उद्देश्य देश के कोने-कोने में जाकर किसानों से सीधा संवाद स्थापित करना, उनकी समस्याओं को समझना और समाधान के लिए वैज्ञानिकों एवं नीतिगत संस्थाओं को साथ लेकर ठोस कदम उठाना है। इस क्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देहरादून में उत्तराखंड के किसानों से संवाद करते हुए कहा:
किसान से बड़ा वैज्ञानिक कोई और नहीं हो सकता। उसकी प्रयोगशाला उसका खेत है, उसके अनुभव से बेहतर शोध कहीं नहीं हो सकता।”
श्री चौहान ने आगे कहा कि “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के तहत ‘लैब टू लैंड’ की अवधारणा को अमल में लाया जा रहा है, जिसके तहत देशभर के 16,000 कृषि वैज्ञानिकों को गांव-गांव भेजा जा रहा है। ये टीमें स्थानीय जलवायु, मिट्टी, फसलों की विविधता और किसानों की जरूरतों का अध्ययन कर नीतिगत और तकनीकी सहयोग दे रही हैं।

उत्तराखंड में वैज्ञानिकों की 75 टीमें सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं और किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों, उन्नत बीजों, जैविक खेती और नवाचारों के बारे में जागरूक कर रही हैं।

राज्य सरकार की योजनाओं का उल्लेख
कार्यक्रम में उत्तराखंड सरकार की ओर से राज्य के कृषि मंत्री श्री गणेश जोशी ने भाग लिया। उन्होंने बताया कि राज्य की 670 न्याय पंचायतों में चल रहे अभियान के अंतर्गत अब तक 486 कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं, जिनमें 53,219 किसान और ग्रामीण भाग ले चुके हैं।
श्री जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार कृषि क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने राज्य की मिलेट्स पॉलिसी, कीवी नीति, ड्रैगन फ्रूट योजना और सेब उत्पादन योजना जैसे अभियानों की जानकारी दी और बताया कि इससे किसानों को आत्मनिर्भर बनने में सहायता मिलेगी।
विशेष रूप से सेब तुड़ाई उपरांत प्रबंधन योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2031-32 तक 129.97 करोड़ रुपये की धनराशि का प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत 22 सीए स्टोरेज और 180 सार्टिंग-ग्रेडिंग इकाइयों की स्थापना की जाएगी।

पहाड़ी कृषि की सराहना
उत्तराखंड की प्राकृतिक विशेषताओं और कृषि उत्पादों की सराहना करते हुए श्री चौहान ने कहा
यहां के सेब अब कश्मीर को भी टक्कर दे रहे हैं। यहां की जलवायु और मिट्टी की गुणवत्ता इस क्षेत्र को फलों की खेती के लिए आदर्श बनाती है।”
उन्होंने उत्तराखंड के परंपरागत फल ‘काफल’ और अनाज ‘मंडुवा’ की भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि काफल के औषधीय गुणों की वजह से इसकी अंतरराष्ट्रीय मांग बढ़ रही है। साथ ही मंडुवा जैसे मोटे अनाजों के प्रचार-प्रसार, बीज उत्पादन, ब्रांडिंग और मार्केटिंग को सरकार बढ़ावा दे रही है।

किसानों की मांगों को प्राथमिकता
किसानों से सीधे संवाद के दौरान श्री चौहान ने स्वीकार किया कि उत्तराखंड के कई किसानों ने जानवरों से फसल की रक्षा के लिए तारबाड़/घेराबंदी की मांग की है। उन्होंने आश्वासन दिया कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत उत्तराखंड को इसके लिए प्राथमिकता दी जाएगी।
श्री चौहान ने कीटनाशकों के संतुलित उपयोग पर भी बल दिया और कहा कि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार ही रसायनों का प्रयोग करना चाहिए, जिससे लागत घटेगी और उत्पादों की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।


आने वाले दिनों की योजनाएं
कार्यक्रम के अंत में केंद्रीय मंत्री ने घोषणा की कि वे 14 जून को पुनः उत्तराखंड आएंगे, जहां वे एक कृषि मेले में भाग लेंगे और किसानों से फिर संवाद करेंगे। उन्होंने सभी किसान भाइयों से मृदा स्वास्थ्य कार्ड का उपयोग करने और उर्वरकों के संतुलित उपयोग का आग्रह किया।

प्रमुख अधिकारी भी रहे मौजूद
इस अवसर पर सचिव कृषि डॉ. सुरेंद्र नारायण पांडेय, महानिदेशक कृषि रणवीर सिंह चौहान, पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान, आईवीआरआई के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त, सहित कई वरिष्ठ वैज्ञानिक, कृषि विशेषज्ञ, किसान नेता और स्थानीय जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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