देहरादून में डेरा कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन, प्रख्यात कवि डॉ. कुमार विश्वास सहित देशभर के कवियों ने किया शिरकत

Report By: उत्तराखंड डेस्क


देहरादून: हिमालयन सांस्कृतिक केंद्र, देहरादून में आयोजित डेरा कवि सम्मेलन में देशभर से पधारे अनेक प्रसिद्ध कवियों की उपस्थिति में साहित्य, संस्कृति और चिंतन का अद्वितीय संगम देखने को मिला। इस अवसर पर प्रख्यात कवि, वक्ता और समाजचिंतक डॉ. कुमार विश्वास की उपस्थिति ने समारोह की गरिमा को और अधिक बढ़ा दिया।
उत्तराखंड की देवभूमि में आयोजित इस भव्य कवि सम्मेलन का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। मंच पर उपस्थित गणमान्य अतिथियों ने साहित्य और संस्कृति की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कविता केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि समाज के उत्थान और दिशा-निर्देशन का माध्यम भी है।

राज्य सरकार द्वारा संस्कृति और साहित्य को दिया जा रहा संरक्षण
सम्मेलन में राज्य सरकार की ओर से आए प्रतिनिधियों ने यह स्पष्ट किया कि वर्तमान सरकार न केवल प्रदेश की भौतिक प्रगति पर कार्य कर रही है, बल्कि सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन को भी उतना ही महत्वपूर्ण मानती है। उन्होंने बताया कि राज्य में विभिन्न साहित्यिक आयोजनों, सांस्कृतिक महोत्सवों और पारंपरिक लोककलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष योजनाएँ चलाई जा रही हैं।

डॉ. कुमार विश्वास ने बांधा समां
डॉ. कुमार विश्वास ने जब मंच से अपने चिर-परिचित अंदाज़ में कविता पाठ शुरू किया, तो श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया। उनकी रचनाएँ न केवल रोमांटिक भावनाओं को छूती हैं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक चेतना को भी स्वर देती हैं। उन्होंने कहा, “कवि केवल कविता करने वाला नहीं होता, वह समय की नब्ज़ पकड़ने वाला चिंतक होता है। जब समाज दिशाहीन होता है, तब कविता उसकी दिशा बनती है।”

अन्य कवियों ने भी किया शानदार प्रदर्शन
इस आयोजन में अन्य प्रसिद्ध कवियों – जैसे कि डॉ. सरिता शर्मा, अशोक चक्रधर, डाॅ. रमेश मुस्कान, और राजेश चेतन ने भी शिरकत की और अपनी कालजयी कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। हास्य, व्यंग्य, वीर रस और श्रंगार रस की रचनाओं से मंच पर विविधता की झलक देखने को मिली।

देवभूमि की मिट्टी में बसी है रचनात्मकता
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड की पावन भूमि सदियों से साहित्य, संगीत और दर्शन का केंद्र रही है। ऋषियों-मुनियों की तपोभूमि रही यह धरती आज भी विचारों की ऊर्जा से संपन्न है। यहाँ की घाटियाँ, नदियाँ, पर्वत और लोकजीवन कवियों को आत्मिक प्रेरणा देते हैं।

नवोदित कवियों को मिला मंच
इस सम्मेलन में नवोदित कवियों को भी मंच प्रदान किया गया, जिससे युवा रचनाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिला। राज्य सरकार द्वारा संचालित युवा साहित्य प्रतिभा प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत कई युवाओं को सम्मानित भी किया गया।

समाप्ति पर समर्पित हुआ ‘कविता संकल्प’
कार्यक्रम के अंत में सभी कवियों और उपस्थित साहित्यप्रेमियों ने यह संकल्प लिया कि वे कविता और साहित्य के माध्यम से सामाजिक सौहार्द, राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक मूल्यों के संवर्धन हेतु सतत प्रयास करते रहेंगे।

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