महिला परामर्श केंद्र की अनोखी पहल: चार दंपतियों ने फिर थामा एक-दूजे का हाथ, नई शुरुआत की तरफ बढ़ाया कदम

संवाददाता: श्रवण कुमार यादव, बाराबंकी


बाराबंकी: एक ओर जहां आधुनिक जीवनशैली और आपसी मतभेदों के चलते वैवाहिक जीवन में दरारें बढ़ती जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर बाराबंकी पुलिस ने एक सराहनीय मानवीय पहल कर समाज में नया संदेश दिया है। पुलिस अधीक्षक अर्पित विजयवर्गीय के निर्देशन में संचालित महिला थाना एवं महिला परामर्श केंद्र द्वारा पारिवारिक विवादों के समाधान हेतु चलाए जा रहे काउंसलिंग अभियान का असर अब धरातल पर साफ नजर आने लगा है।

शनिवार को महिला परामर्श केंद्र में आयोजित विशेष काउंसलिंग सत्र में चार ऐसे दंपति पहुंचे, जिनके बीच बीते कुछ महीनों से तीव्र मतभेद और मनमुटाव चल रहा था। इनमें से कुछ मामले घरेलू हिंसा और संदेह के थे तो कुछ गलतफहमी और पारिवारिक दबावों से उपजे थे। लेकिन महिला थाना की कुशल प्रभारी और प्रशिक्षित परामर्शदाताओं की सूझबूझ, संवेदनशीलता और निरंतर संवाद ने इन रिश्तों को फिर से जोड़ने का काम किया।

काउंसलिंग सत्र में पहले प्रत्येक पक्ष को अलग-अलग समझाया गया, फिर आमने-सामने बैठाकर शांतिपूर्वक संवाद कराया गया। घंटों चली बातचीत के दौरान परामर्शदाताओं ने न सिर्फ भावनात्मक स्तर पर मदद की, बल्कि व्यावहारिक समाधान भी सुझाए। उनकी कोशिशों का ही नतीजा रहा कि सभी चार दंपतियों ने पुराने मतभेद भुलाकर एक साथ रहने और अपने रिश्ते को एक नया मौका देने का संकल्प लिया।

काउंसलिंग के बाद जब सभी दंपति एक-दूसरे का हाथ थामे महिला थाना से बाहर निकले, तो वहां मौजूद हर आंख नम और हर चेहरा मुस्कुराता नजर आया। यह दृश्य न केवल मानवता की जीत थी, बल्कि पुलिस के सामाजिक दायित्व को भी दर्शाता था।

थाना प्रभारी ने दंपतियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा, “रिश्ते विश्वास और संवाद से ही मजबूत होते हैं। छोटी-छोटी बातों को अहम न बनाएं, बल्कि एक-दूसरे को समझकर आगे बढ़ें। यही सुखी दांपत्य जीवन की कुंजी है।”

यह तय किया गया कि इन चारों दंपतियों को 15 दिन बाद फिर से परामर्श केंद्र में बुलाया जाएगा, ताकि यह जाना जा सके कि उनके रिश्तों में अब किस तरह का बदलाव आया है और यदि कोई नई समस्या हो तो उसका समाधान समय रहते किया जा सके।

महिला परामर्श केंद्र की इस पहल को लेकर शहर भर में सराहना हो रही है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस तरह की पहल से न सिर्फ परिवार टूटने से बचते हैं, बल्कि समाज में प्रेम, समझ और सौहार्द भी बढ़ता है।

एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “अक्सर लोग पारिवारिक कलह को कानूनी लड़ाई में बदल देते हैं, जिससे रिश्ते पूरी तरह बिखर जाते हैं। लेकिन इस तरह की काउंसलिंग पहलें रिश्तों को बचाने का एक सुनहरा अवसर देती हैं।”

पुलिस अधीक्षक अर्पित विजयवर्गीय ने इस सफल काउंसलिंग सत्र के लिए महिला थाना टीम और परामर्शदाताओं की सराहना करते हुए कहा, “समाज में कानून व्यवस्था बनाए रखना ही नहीं, बल्कि सामाजिक सौहार्द और पारिवारिक समरसता को बनाए रखना भी पुलिस की जिम्मेदारी है। हर उस दंपति की मुस्कान जो टूटने की कगार पर था, हमारे कार्य की सार्थकता को दर्शाती है।”

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