राजस्थान के जोधपुर में शिक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल, देवातड़ा स्कूल में 10वीं के 30 छात्र फेल, नाराज ग्रामीणों ने स्कूल पर जड़ा ताला, कहा- बच्चों का भविष्य बर्बाद नहीं होने देंगे

Report By : नेशनल डेस्क
राजस्थान के जोधपुर जिले के भोपालगढ़ क्षेत्र स्थित देवातड़ा गांव का राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय इन दिनों जबरदस्त विरोध और नाराजगी का केंद्र बना हुआ है। वजह है स्कूल में 10वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम, जिसमें करीब 30 छात्र फेल हो गए। जैसे ही यह खबर गांव में फैली, ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया और दर्जनों लोगों ने एकत्र होकर स्कूल के मुख्य गेट पर ताला जड़ दिया।
गांववालों का आरोप है कि स्कूल में शैक्षणिक स्तर लगातार गिरता जा रहा है। विद्यार्थियों को ना तो समय पर पढ़ाई मिलती है, ना ही विषयों के शिक्षक नियमित रूप से स्कूल आते हैं। ग्रामीणों के अनुसार, शिक्षकों की गैरहाजिरी, लापरवाही और कक्षा में ध्यान न देना छात्रों के फेल होने का मुख्य कारण है। एक ग्रामीण ने कहा, “हमारे बच्चों ने मेहनत की, लेकिन जब उन्हें पढ़ाने वाला ही जिम्मेदारी नहीं निभाएगा तो नतीजा ऐसा ही आएगा।”
इस विरोध प्रदर्शन में ग्रामीण पुरुषों के साथ महिलाएं और बुजुर्ग भी शामिल हुए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जब तक शिक्षा विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठाएगा, तब तक स्कूल पर ताला बंद ही रहेगा। उन्होंने स्कूल प्रशासन पर लापरवाही, शिक्षा विभाग पर निष्क्रियता और सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया।
ग्रामीणों की मांग है कि –
1. स्कूल में नियमित शिक्षकों की नियुक्ति की जाए।
2. फेल छात्रों के लिए विशेष कक्षाएं चलाई जाएं।
3. जांच कराई जाए कि बच्चों को पास करने के लिए सही मूल्यांकन हुआ या नहीं।
4. जिम्मेदार शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई हो।
एक छात्र की मां ने रोते हुए कहा, “बेटा साल भर स्कूल गया, लेकिन जब वह सवाल पूछता तो शिक्षक कहते – पढ़ लो, मैं व्यस्त हूं। अब वो फेल हो गया। क्या गलती है उसकी?”
घटना की सूचना मिलते ही शिक्षा विभाग के स्थानीय अधिकारी मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारी ‘शिक्षा नहीं तो स्कूल नहीं’ का नारा लगाते रहे।
यह घटना सिर्फ देवातड़ा गांव की नहीं है, बल्कि यह राज्य की सरकारी शिक्षा व्यवस्था की उस हकीकत को उजागर करती है, जहां भवन तो हैं लेकिन गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई नहीं। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे जिला मुख्यालय पर जाकर प्रदर्शन करेंगे और मुख्यमंत्री तक अपनी बात पहुंचाएंगे।
इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिस पर लोग अलग-अलग प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कुछ लोग इसे शिक्षा की दुर्दशा का प्रमाण मान रहे हैं तो कुछ इसे राजनीतिक उपेक्षा का नतीजा बता रहे हैं।
इस मामले में अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकला है। स्कूल का ताला अब भी बंद है और ग्रामीण अगले कदम की तैयारी में हैं। बच्चों की पढ़ाई का भविष्य अधर में लटका हुआ है।