खरीफ सीजन में किसानों को राहत जिलाधिकारी ने किया नहर का निरीक्षण

रिपोर्ट: श्रवण कुमार यादव
बाराबंकी: खरीफ सीजन में धान की रोपाई का समय चल रहा है, और इस वक्त किसानों को सबसे ज़्यादा जरूरत सिंचाई जल की होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने बुधवार को बाराबंकी ब्रांच नहर का स्थलीय निरीक्षण कर सिंचाई व्यवस्था की स्थिति का जायज़ा लिया। उन्होंने किमी 09 से किमी 22 तक के खंड में नहर, रजबहे, माइनर और गूलों की कार्यप्रणाली की गहन समीक्षा की और जल आपूर्ति की निर्बाध व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी के साथ अधिशासी अभियंता सिंचाई, जिला कृषि अधिकारी, अवर अभियंता तथा फील्ड स्टाफ की टीम मौजूद रही। अधिशासी अभियंता ने बताया कि जनपद में कुल 128 क्रियाशील नहरें हैं, जिनकी संयुक्त लंबाई लगभग 1500 किलोमीटर है। इन नहरों के माध्यम से जिले के हजारों किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराया जाता है।
जिलाधिकारी त्रिपाठी ने अधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि नहरों की सफाई, नियमित मॉनिटरिंग और फील्ड कर्मचारियों की उपस्थिति हर हाल में सुनिश्चित की जाए ताकि पानी किसी भी दशा में बीच में बाधित न हो और अंतिम छोर यानी टेल तक पहुंच सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी किसान जल संकट का शिकार न हो, इसके लिए अधिकारियों को पूरी संवेदनशीलता और तत्परता से कार्य करना होगा।
निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने संवेदनशील स्थलों की पहले से पहचान करने, उनकी नियमित निगरानी रखने और किसी भी प्रकार की कटान या क्षति की स्थिति में समय रहते मरम्मत कराने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि कई बार जल रिसाव या नहरों की जर्जर स्थिति के कारण किसानों को समय पर सिंचाई जल नहीं मिल पाता, जिससे फसल उत्पादन पर असर पड़ता है। इस स्थिति से बचने के लिए निवारक उपायों को समय रहते लागू करना आवश्यक है।
जिलाधिकारी ने सिंचाई व्यवस्था से जुड़ी जनशिकायतों पर भी गंभीर रुख अपनाया। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया कि किसानों से प्राप्त होने वाली हर शिकायत का त्वरित निस्तारण किया जाए और उसकी निगरानी भी उच्च अधिकारियों द्वारा की जाए। किसी भी प्रकार की लापरवाही को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
निरीक्षण के अंत में जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने यह दोहराया कि किसानों के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से कहा कि आपसी समन्वय और ज़मीनी स्तर पर सक्रियता के साथ कार्य करते हुए किसानों को लाभ पहुंचाने का कार्य करें। खेत तक जल पहुंचाना सिर्फ तकनीकी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि यह किसानों की मेहनत और भविष्य से जुड़ा मामला है।