बाढ़ से त्रस्त खवासपुर ने भरी हुंकार: अबकी बार जनसेवा वाला नेता चाहिए, रामबाबू सिंह ही विकल्प हैं fr

रिपोर्ट: तारकेश्वर प्रसाद

बड़हरा विधानसभा क्षेत्र की राजनीति इस समय निर्णायक मोड़ पर है। बाढ़ से बार-बार तबाही झेल चुके खवासपुर पंचायत के सैकड़ों ग्रामीणों ने इस बार आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। रविवार को खवासपुर के पूर्व मुखिया डी. एन. चौधरी उर्फ डी. एन. निषाद के नेतृत्व में ग्रामीणों का एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के युवा नेता रामबाबू सिंह के समर्थन में आरा पहुंचा और उनके आवास पर खुलकर समर्थन का ऐलान किया।

अबकी बार बातें नहीं, बाढ़ में साथ निभाने वाला चाहिए डी. एन. निषाद
हम गंगा मैया की बाढ़ से हर साल जूझते हैं। नेता आते हैं, वादे करते हैं, और चले जाते हैं। लेकिन रामबाबू सिंह ने कभी हमारा साथ नहीं छोड़ा। जब गांव जलमग्न था, जब घरों में चूल्हे नहीं जल रहे थे, तब यही बेटा हमारे बीच था। हमें भाषण नहीं, भावना समझने वाला जनप्रतिनिधि चाहिए।”

उन्होंने कहा कि खवासपुर की जनता अब पहले जैसी चुप नहीं बैठेगी। यदि पार्टी को जीत चाहिए, तो जनता की भावनाओं का सम्मान करना होगा।

रामबाबू सिंह के समर्थन में ग्रामीणों ने जोश-ओ-खरोश के साथ नारे लगाए। “जनता का नेता कैसा हो – रामबाबू जैसा हो” और “अबकी बार रामबाबू सरकार” जैसे नारों से आरा गूंज उठा।

स्थानीय निवासी राजेश निषाद ने कहा,
हमारा गांव बार-बार बर्बाद होता रहा, लेकिन कोई नहीं पूछता। रामबाबू जी ने हर साल हमारी सुध ली। जो संकट में साथ दे, वही असली नेता होता है।”

इस मौके पर उपस्थित दुर्गा पासवान, प्रधान महासचिव (SC-ST प्रकोष्ठ, बड़हरा) ने भी अपना पक्ष रखते हुए कहा,

रामबाबू सिंह ने दलित, पिछड़े और आम ग्रामीणों के बीच जमीन पर काम किया है। इनकी लड़ाई दिखावे की नहीं, असल बदलाव की है। अगर पार्टी सच्चे जनसेवक को टिकट देती है, तो हम पूरी ताकत से चुनाव लड़ेंगे।”

पार्टी नेतृत्व को सुभाष सिंह की चेतावनी – “गलत फैसला भारी पड़ेगा”
वार्ड अध्यक्ष सुभाष सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर पार्टी नेतृत्व किसी और को टिकट देता है तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। उन्होंने कहा:

यह कोई परंपरागत चुनाव नहीं है। जनता अब जाग चुकी है। पार्टी अगर गलती करती है, तो बड़हरा हाथ से निकल जाएगा। हम टिकट के लिए नहीं, जनसेवा के लिए लड़ रहे हैं – और उसमें रामबाबू सबसे आगे हैं।”

भविष्य की दिशा तय करेगा यह समर्थन
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो खवासपुर जैसे इलाकों में इस तरह का जनसमर्थन किसी लहर की शुरुआत का संकेत है। बड़हरा विधानसभा क्षेत्र में राजद की स्थिति मजबूत रही है, लेकिन इस बार टिकट वितरण में एक भी चूक पार्टी को भारी पड़ सकती है।

अब सबकी नजरें राजद नेतृत्व पर टिकी हैं – क्या पार्टी जमीनी जनसमर्थन को समझते हुए रामबाबू सिंह को टिकट देगी? या फिर राजनीतिक समीकरणों के फेर में बड़हरा की साख दांव पर लगेगी?

खवासपुर की आवाज़ अब केवल एक पंचायत की नहीं, बल्कि बाढ़ से त्रस्त लाखों लोगों की आवाज़ बन चुकी है – जो कह रहे हैं:
जनता की उम्मीदों और नेता के जमीनी संघर्ष का यह मेल, बिहार की राजनीति में एक नई लकीर खींचने को तैयार है। अब देखना यह है कि क्या राजद इस आवाज़ को सुन पाएगा या नहीं।

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