मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कार्बेट नेशनल पार्क में जंगल सफारी का आनंद लिया

रामनगर: उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आज विश्वप्रसिद्ध कार्बेट नेशनल पार्क में जंगल सफारी के रोमांचकारी अनुभव का आनंद लिया। उन्होंने वन्यजीवों के बीच प्रकृति की अद्भुत और जीवंत झलक को नजदीक से देखा और जैव विविधता की इस अमूल्य विरासत को संजोने की प्रतिबद्धता दोहराई।
मुख्यमंत्री ने जंगल सफारी के दौरान कहा, “यह अनुभव केवल मनोरंजन या प्राकृतिक सुंदरता को देखने भर का नहीं है, बल्कि यह हमें हमारी प्रकृति, जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र से गहराई से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है। कार्बेट जैसे वन क्षेत्र सिर्फ पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक, पर्यावरणीय और पारिस्थितिक धरोहर के जीवंत प्रतीक हैं।”
सफारी पर्यटन को मिल रही नई पहचान
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि राज्य सरकार के निरंतर प्रयासों और योजनाओं के चलते जंगल सफारी पर्यटन को अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान मिली है। देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक हर साल उत्तराखण्ड के जंगलों, वन्यजीव अभयारण्यों और नेशनल पार्कों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसका सीधा लाभ राज्य की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को मिला है।
“पर्यटन के इस विकास से न केवल राज्य की आय में वृद्धि हुई है, बल्कि स्थानीय युवाओं और ग्रामीण समुदायों के लिए स्वरोजगार और आजीविका के नए अवसर भी उत्पन्न हुए हैं। उत्तराखण्ड के वन क्षेत्र अब आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक सशक्तिकरण का भी माध्यम बनते जा रहे हैं,” मुख्यमंत्री ने कहा।
‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत 1000 से अधिक पौधों का रोपण
मुख्यमंत्री धामी ने आज कार्बेट पार्क के समीप ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के अंतर्गत सामूहिक वृक्षारोपण कार्यक्रम में भी भाग लिया। इस अभियान में वन विभाग, स्थानीय समुदाय, स्वयंसेवी संस्थाएं और पर्यावरण प्रेमियों के सहयोग से 1000 से अधिक पौधे रोपे गए।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा, “यह केवल वृक्षारोपण कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह अभियान मातृत्व और प्रकृति के प्रति हमारे भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है। एक पौधा माँ के नाम लगाना, हमारे जीवन में माँ के योगदान को प्रकृति से जोड़ने का एक प्रयास है।”
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान वन विभाग की टीम से भी मुलाकात की और वनों तथा वन्यजीवों की सुरक्षा, संरक्षण और संवर्धन के लिए उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि वन विभाग का समर्पण, कर्मठता और पर्यावरणीय चेतना, उत्तराखण्ड की हरियाली को बनाए रखने में एक मजबूत स्तंभ की भूमिका निभा रहा है।
“हमारी सरकार वन एवं वन्यजीव संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। तकनीकी नवाचारों, आधुनिक निगरानी प्रणालियों और सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से हम इस दिशा में लगातार सुधार कर रहे हैं,” मुख्यमंत्री ने कहा।
हरियाली और जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में ठोस पहल
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पर्यावरण संरक्षण को केवल सरकारी योजना के रूप में नहीं, बल्कि जन आंदोलन के रूप में अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने आम नागरिकों, युवाओं, स्कूली छात्रों और स्थानीय समुदायों से अपील की कि वे इस कार्य में सक्रिय सहभागिता निभाएं।
“एक वृक्ष लगाना केवल पर्यावरण की सेवा नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ, हरित और सुरक्षित भविष्य की नींव रखना है,” मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा।