गुरूकृपा से ही सम्भव है ज्ञान और ईश्वर प्राप्ति संत देवराहाशिवनाथ

रिपोर्ट: तारकेश्वर प्रसाद, आरा बिहार
बिहार : भोजपुर जिले के आरा में गुरुपूर्णिमा महोत्सव के अवसर पर एक भव्य धार्मिक आयोजन संपन्न हुआ। यह आयोजन परम पूज्य त्रिकालदर्शी संत, परम सिद्ध संतश्री देवराहाशिवनाथदास जी महाराज के पावन सान्निध्य में आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम बिहिया चौरास्ता के पास, रिलायंस पेट्रोल पंप के पीछे स्थित देवराहाशिवनाथधाम में हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्तों ने भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत संतश्री देवराहाशिवनाथदास जी महाराज के षोडशोपचार पूजन, अर्चन और भव्य महाआरती से हुई। इसके बाद श्रद्धालुओं ने संतश्री के आशीर्वचन ग्रहण किए। अपने उपदेश में संतश्री ने गुरु की महिमा का विस्तार से वर्णन किया और बताया कि गुरू के बिना आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि भगवान शिव सच्चे गुरु हैं और सावन मास में ही नहीं, बल्कि हर समय अपने गुरु की पूजा करना चाहिए।
संतश्री ने कहा कि इस संसार में बिना गुरु के कोई भी जीव ईश्वर प्राप्त नहीं कर सकता। गुरु और ईश्वर दोनों ब्रह्म तत्व के ही रूप हैं, लेकिन गुरुतत्व का स्थान अधिक ऊँचा है, क्योंकि वही ईश्वर तत्व से जीव को मिलाता है। उन्होंने एक सुंदर उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे लकड़ी के दरवाजे पर पेंट करने से पहले प्राइमर लगाना जरूरी होता है ताकि रंग टिकाऊ बना रहे, उसी प्रकार जीवन में भी ईश्वर प्राप्ति से पहले गुरु की कृपा रूपी प्राइमर जरूरी होता है।
उन्होंने यह भी कहा कि जो व्यक्ति गुरु के बताए मार्ग पर चलता है, वह केवल ईश्वर को पाता ही नहीं, बल्कि स्वयं शिवमय हो जाता है। गुरु से विमुख व्यक्ति जन्म-जन्मांतर तक भटकता रहता है और उसे सच्चा मार्ग नहीं मिल पाता। संतश्री ने कहा कि गुरु ही जीव को सद्कर्मों की ओर प्रेरित करता है और उसे ईश्वर के निकट लाता है।
आशीर्वचन के बाद संकीर्तन का आयोजन किया गया। इस संकीर्तन में चना केवटिया के प्रसिद्ध मंटु व्यास, सारंगपुर के जीतन व्यास सहित अन्य नामी-गिरामी संकीर्तन मंडलियों ने हिस्सा लिया। संकीर्तन मंडलियों ने अपने भावपूर्ण भजनों और कीर्तनों से श्रद्धालुओं को भक्ति के रस में सराबोर कर दिया। पूरे आयोजन स्थल पर एक भक्तिमय और दिव्य वातावरण बना रहा।
इस अवसर पर दूर-दराज़ से आए श्रद्धालुओं ने संतश्री के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। गुरुपूर्णिमा महोत्सव का यह आयोजन गुरु भक्ति, भजन और आत्मिक शांति का अद्भुत संगम बना, जिसने सभी श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।
इस कार्यक्रम से यह संदेश भी गया कि यदि जीवन में सच्चे मार्गदर्शक गुरु का साथ हो, तो आत्मिक उन्नति और ईश्वर प्राप्ति निश्चित है। गुरु की कृपा से ही मनुष्य के जीवन में सच्चा ज्ञान, शांति और मोक्ष की राह खुलती है।