जिला और प्रखंड स्तर पर ‘युवा विकास पदाधिकारी’ की नियुक्ति: समय की मांग :सद्दाम बादशाह।

रिपोर्ट तारकेश्वर प्रसाद आरा बिहार

बिहार की 14 करोड़ से अधिक आबादी में लगभग 60% हिस्सा युवाओं का है। यह युवा शक्ति यदि सही दिशा और अवसरों के साथ जुड़ जाए, तो राज्य को सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी रूप से सशक्त बना सकती है। लेकिन आज भी बिहार के अधिकतर युवाओं को न शिक्षा में गुणवत्ता मिल पा रही है, न ही रोज़गार, खेल, स्टार्टअप या समाज सेवा के अवसर।
इन चुनौतियों के समाधान के लिए सरकार को ‘बिहार युवा नीति 2025’ की दिशा में कार्य शुरू करना चाहिए, जो एक स्वागत योग्य कदम हो सकता है। लेकिन यह भी उतना ही ज़रूरी होगा कि इस नीति को स्थानीय स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।

इसलिए अब समय आ गया है कि हर जिले और प्रखंड में ‘युवा विकास पदाधिकारी (Youth Development Officer)’ की नियुक्ति की जाए, जो सीधे तौर पर युवाओं से जुड़ी योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू करें।

युवा विकास पदाधिकारी की आवश्यकता क्यों?
1. नीतियों का स्थानीय क्रियान्वयन कमजोर है – केंद्र और राज्य सरकारें कई योजनाएं चलाती हैं (जैसे कौशल विकास, स्टार्टअप इंडिया, खेलो इंडिया), लेकिन ये योजनाएं गाँव और कस्बों के युवाओं तक सही ढंग से नहीं पहुंच पा रहीं।

2. युवा विभाग की पहुँच सीमित है – वर्तमान में युवा कार्यक्रमों को संचालित करने वाले अधिकारियों की संख्या बहुत कम है, जिससे योजनाओं का धरातल पर असर सीमित रह जाता है।

3. स्थानीय नेतृत्व का अभाव – जिले और प्रखंड स्तर पर कोई ऐसा पद नहीं है जो केवल युवाओं के लिए काम करता हो।

4. रोज़गार, खेल, शिक्षा, नशामुक्ति, समाजसेवा आदि से युवाओं को जोड़ने वाला कोई संपर्क अधिकारी नहीं है।

5. राजनीतिक और सामाजिक असंतोष के मूल में बेरोजगार और दिशाहीन युवा हैं। यदि उन्हें सही मंच और मार्गदर्शन मिले, तो ये शक्ति बन सकते हैं।

प्रस्ताव: ‘युवा विकास पदाधिकारी’ का ढांचा।

स्तर पद का नाम कार्यक्षेत्र योग्यता नियुक्ति प्रक्रिया।

जिला जिला युवा विकास पदाधिकारी (DYDO) पूरे जिले के युवा कार्यक्रमों की निगरानी और संचालन स्नातक/स्नातकोत्तर + समाजसेवी/प्रशासनिक अनुभव बीपीएससी/राज्य सेवा या संविदा नियुक्ति
प्रखंड प्रखंड युवा विकास पदाधिकारी (BYDO) स्थानीय युवा योजनाओं का संचालन और निगरानी स्नातक, स्थानीय युवा गतिविधियों का अनुभव प्रखंड/पंचायत चयन समिति या संविदा।

मुख्य कार्य और दायित्व।
1. युवाओं की समस्याओं की पहचान करना और जिला/राज्य को रिपोर्ट देना।

2. योजना संचालन: कौशल विकास, खेल, महिला सशक्तिकरण, नशामुक्ति, स्टार्टअप, तकनीकी शिक्षा, करियर मार्गदर्शन आदि।

3. युवा क्लबों का गठन और निगरानी — हर पंचायत और वार्ड स्तर पर।

4. स्पोर्ट्स, स्टार्टअप और स्किल डेवलपमेंट हब को स्थापित कराना।

5. सेमिनार, वर्कशॉप, कैंप का आयोजन — करियर, रोजगार, सरकारी योजनाएं आदि विषयों पर।

6. शिक्षा छोड़ चुके या हाशिए पर खड़े युवाओं तक पहुँच।

7. युवा नीति 2025 के अंतर्गत हर जिले के लिए वार्षिक रिपोर्ट तैयार करना।

संभावित लाभ।
योजनाओं की पहुँच ज़मीन तक होगी, और युवाओं में जागरूकता बढ़ेगी।

बेरोजगारी, पलायन और अपराध में कमी आएगी।

स्थानीय प्रतिभाओं को अवसर मिलेगा और वे राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ पाएंगे।

युवा वर्ग सरकारी योजनाओं से अधिक जुड़ाव महसूस करेगा।

महिला, दलित, अल्पसंख्यक, विकलांग, LGBTQ+ जैसे वर्गों को भी समावेशी मंच मिलेगा।

राज्य सरकार से मांग।
1. युवा विकास पदाधिकारी की नियुक्ति को बिहार युवा नीति 2025 में शामिल किया जाए।

2. एक समर्पित “युवा सचिवालय” की स्थापना हो, जो इन पदाधिकारियों का संचालन और प्रशिक्षण करे।

3. हर जिले में एक “युवा भवन” और हर प्रखंड में “युवा सहायता केंद्र” का निर्माण कराया जाए।

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