जवइनिया गांव में फिर गंगा का कहर, पांच और घर नदी में समाए


रिपोर्ट: तारकेश्वर प्रसाद, आरा (बिहार)

आरा: बिहार में गंगा का कटाव एक बार फिर मानव जीवन पर कहर बनकर टूटा है। भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड अंतर्गत दामोदरपुर पंचायत स्थित जवइनिया गांव में शुक्रवार को गंगा के तेज कटाव की वजह से पांच और परिवारों के घर गंगा में समा गए। इन परिवारों में नन्हक यादव, लगन गोंड, अवधेश तिवारी और वीरेंद्र पाठक के घर के बचे-खुचे हिस्से भी अब गंगा की धारा में विलीन हो चुके हैं।

बीते वर्ष जब गंगा की लहरें उफान पर थीं तब इन परिवारों के अधिकांश मकान बह चुके थे, अब बचे हुए हिस्से भी कटाव की भेंट चढ़ गए हैं। इस दर्दनाक घटना के बाद गांव में दहशत और मायूसी का माहौल व्याप्त है।

पिछले साल भी इसी गांव में गंगा कटाव ने भयंकर तबाही मचाई थी। 64 परिवारों के आशियाने गंगा में समा गए थे। जिला प्रशासन द्वारा राहत योजना के तहत 59 परिवारों को सहायता उपलब्ध कराई गई थी, लेकिन पांच परिवार आज भी सरकारी सहायता से वंचित हैं। पीड़ित परिवारों का कहना है कि उनका नाम सरकारी सूची में दर्ज है, बावजूद इसके उन्हें अभी तक लाभ नहीं मिल पाया है।

कटाव की भयावह स्थिति को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग की टीम ने शुक्रवार को गांव का निरीक्षण किया। अधिकारियों ने कटाव रोधी कार्यों का जायजा लिया और कई जरूरी दिशा-निर्देश दिए। आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी राहुल भूषण ने शाहपुर अंचलाधिकारी (सीओ) रशिम सागर के साथ क्षेत्र का दौरा किया। उन्होंने बताया कि कटाव को रोकने के लिए बोरियों और बांस का व्यापक इस्तेमाल किया जाएगा ताकि तटबंधों की मजबूती बढ़ाई जा सके।

इस दौरान भाजपा नेता मुक्तेश्वर ओझा उर्फ भुअर ओझा, अरविंद पांडेय, वंटी पांडेय और विकास ओझा भी गांव पहुंचे और प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। नेताओं ने विस्थापितों के दुख-दर्द को सुना और सरकार से मिलकर राहत पैकेज और स्थायी पुनर्वास की मांग करने का आश्वासन दिया। भाजपा नेताओं ने कहा कि वे विस्थापित परिवारों के हक की लड़ाई लड़ेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि हर पीड़ित को सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिले।

सीओ रशिम सागर ने कहा कि प्रशासन द्वारा त्वरित कार्रवाई की जा रही है। गंगा कटाव की रफ्तार को रोकने के लिए विभिन्न उपाय अपनाए जा रहे हैं। वहीं आपदा प्रबंधन अधिकारी ने भरोसा दिलाया कि जिन परिवारों को अब तक सहायता नहीं मिली है, उन्हें जल्द ही लाभ पहुंचाया जाएगा।

जवइनिया गांव के पीड़ितों की आंखों में आंसू हैं और भविष्य को लेकर गहरी चिंता। जहां कभी उनके घर थे, वहां अब सिर्फ बहती गंगा की धारा दिखाई देती है। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं अस्थायी ठिकानों में रहकर जीवन गुजारने को मजबूर हैं।

ग्रामीणों की मांग है कि कटाव रोधी स्थायी समाधान निकाला जाए। सिर्फ अस्थायी राहत से उनके जीवन की समस्या हल नहीं होगी। वे चाहते हैं कि पुनर्वास की स्थायी योजना बने, ताकि वे एक बार फिर सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकें।

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