लाइसेंस घोटाले से हिला गाजीपुर: तेज सिंह मोटर ट्रेनिंग स्कूल बना भ्रष्टाचार का अड्डा

Report By : आसिफ अंसारी
गाजीपुर से सामने आया एक गंभीर मामला आरटीओ व्यवस्था की सच्चाई उजागर कर रहा है। एआरटीओ कार्यालय और तेज सिंह मोटर ट्रेनिंग स्कूल मिलकर कैसे ड्राइविंग लाइसेंस को व्यापार बना चुके हैं, इसका खुलासा अब धीरे-धीरे हो रहा है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार तेज सिंह मोटर ट्रेनिंग स्कूल द्वारा बिना किसी टेस्ट के सैकड़ों लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस जारी कर दिया गया। शासन द्वारा इस स्कूल को लाइसेंस टेस्ट की जिम्मेदारी दी गई थी, जो एआरटीओ की निगरानी में संपन्न होनी चाहिए थी। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब जिले में एआरटीओ और आरआई दोनों के पद रिक्त थे, तब भी यह स्कूल पासिंग दिखाकर लाइसेंस जारी करता रहा।
सवाल यह उठता है कि जब कोई अधिकारी ही मौजूद नहीं था, तब टेस्ट किसने लिया? किसके आदेश से पासिंग प्रमाणित की गई? और क्या कोई वीडियो रिकॉर्डिंग या दस्तावेजी प्रक्रिया अपनाई गई?
सूत्रों का दावा है कि ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के नाम पर आवेदकों से ₹3000 से ₹6000 तक की वसूली की जा रही थी। इतना ही नहीं, स्कूल द्वारा आरआई को भी प्रति लाइसेंस 6000 रुपये की रिश्वत दी जा रही थी। जिनके पास पैसे नहीं थे, खासकर मजदूर वर्ग और छात्र, उनके लिए लाइसेंस बनवाना असंभव हो गया।
स्थानीय दलाल और दुकानदार भी इस गोरखधंधे में शामिल हैं। ये लोग आम जनता से लाइसेंस दिलाने का झांसा देकर पैसे ऐंठते हैं, जबकि असल में सिस्टम पहले ही बिक चुका होता है। कई युवा महीनों से आरटीओ दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही।
नए एआरटीओ धनवीर यादव से जब इस मामले पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने जांच और सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि अगर टेस्ट प्रक्रिया या आर्थिक लेन-देन में कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो दोषियों को नहीं बख्शा जाएगा।
यह मामला सिर्फ गाजीपुर जिले तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। बिना अधिकारी, बिना निगरानी और बिना प्रक्रिया के सैकड़ों ड्राइविंग लाइसेंस कैसे पास हो गए? यह सीधा संकेत है कि भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं।
तेज सिंह मोटर ट्रेनिंग स्कूल अब सिर्फ एक इंस्टीट्यूट नहीं, बल्कि ‘लाइसेंस माफिया’ का गढ़ बन चुका है। पैसे लेकर लाइसेंस देना कानून के साथ-साथ आम जनता की सुरक्षा से भी खिलवाड़ है।
शासन से मांग की जा रही है कि इस पूरे घोटाले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई संस्था या अधिकारी जनता की मजबूरी का फायदा न उठा सके।