मनरेगा में भ्रष्टाचार: बेहटा ब्लॉक की ग्राम पंचायत अकबरपुर में फर्जी हाजिरी का मामला उजागर

Report By : शिवराज सिंह
सीतापुर जनपद के बेहटा विकास खंड अंतर्गत ग्राम पंचायत अकबरपुर में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के अंतर्गत फर्जीवाड़े का गंभीर मामला सामने आया है। सरकार की इस महत्त्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य ग्रामीणों को 100 दिन का रोजगार मुहैया कराना है, लेकिन यहां यह योजना ग्राम प्रधान, सचिव, रोजगार सेवक और तकनीकी सहायक के लिए कमाई का जरिया बनती जा रही है।
3 अगस्त को दिनभर लगातार बारिश होती रही, इसके बावजूद सरकारी कागज़ों में दिखाया गया कि 79 श्रमिकों ने मनरेगा के तहत कार्य किया। मौके पर न तो कोई काम हुआ और न ही मजदूरों की उपस्थिति दर्ज की गई, फिर भी मास्टर रोल (एमबी) में सभी की हाजिरी भर दी गई। यह पूरी प्रक्रिया तकनीकी सहायक, रोजगार सेवक और ग्राम प्रधान की आपसी मिलीभगत का नतीजा बताई जा रही है।

जब इस मामले पर तकनीकी सहायक अर्चना मौर्या से संपर्क किया गया तो उन्होंने पहले जाँच का आश्वासन दिया, लेकिन बाद में जवाब देने से बचते हुए फोन किसी सहयोगी को पकड़ा दिया। दूसरी ओर, खंड विकास अधिकारी अरुण कुमार वर्मा ने मामले की पुष्टि करते हुए जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है।
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि पुराने कार्यों की तस्वीरें अपलोड कर नए कार्य दर्शाए जा रहे हैं, जिससे न सिर्फ सरकारी धन की हानि हो रही है बल्कि वास्तविक मजदूरों का हक भी छीना जा रहा है। ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों ने इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
योगी सरकार जहां प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के दावे कर रही है, वहीं ग्राम पंचायत स्तर पर ही इस तरह की लूट-खसोट उन दावों पर सवाल खड़े करती है। सवाल यह है कि जब गांव के स्तर पर ही इस तरह का फर्जीवाड़ा हो रहा है, तो जिला और राज्य स्तर पर इसकी निगरानी और जवाबदेही किसकी है?