रात के अंधेरे में समिति से निकालकर स्कूल भवन में लगाई जा रही यूरिया

Report By: शिवराज यादव

सीतापुर: जनपद सीतापुर से एक चौंकाने वाला वीडियो सामने आया है जिसने यूरिया वितरण व्यवस्था की पोल खोल दी है। एक ओर किसान यूरिया की एक-एक बोरी के लिए समितियों के बाहर घंटों लाइन में खड़े होकर धूप और भीड़-भाड़ में परेशान हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वायरल वीडियो में समिति के जिम्मेदार कर्मचारियों पर गड़बड़ी और ब्लैक मार्केटिंग के गंभीर आरोप लग रहे हैं।

वीडियो के अनुसार, डण्डपुरवा स्थित साधन सहकारी समिति से रात के अंधेरे में ट्रॉली से यूरिया की बोरियाँ निकालकर पास के ही एक विद्यालय भवन के कमरे में रखवाई जा रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह कार्यवाही किसानों को धोखा देने और खाद की अवैध कालाबाजारी करने के उद्देश्य से की जा रही है।

स्थानीय किसानों ने बताया कि सरकार लगातार दावा करती है कि यूरिया की कोई कमी नहीं है, लेकिन वास्तविकता इसके उलट है। किसान सुबह से शाम तक समितियों के बाहर कतारों में खड़े रहते हैं, धूप और भीड़ में धक्के खाते हैं, और अंततः उन्हें निराश होकर लौटना पड़ता है। कई बार किसानों को बताया जाता है कि “यूरिया खत्म हो गया”, जबकि उसी रात बोरियाँ चुपचाप निकाल ली जाती हैं।

किसानों ने समिति सचिव प्रमोद कुमार पर सीधे तौर पर यूरिया की ब्लैक मार्केटिंग में शामिल होने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि किसानों का हक़ मारकर यूरिया को निजी लाभ के लिए बाजार में बेचा जा रहा है।

वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि रात में ट्रॉली से बोरी-बोरी यूरिया समिति भवन से निकालकर स्कूल भवन के कमरे में रखी जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि यह कार्यवाही किसान और सरकार दोनों के साथ छल है। किसानों की मेहनत की फसल के लिए जरूरी खाद उनकी पहुंच से बाहर की जा रही है।

मामले पर जब समिति सचिव प्रमोद कुमार से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका मोबाइल फोन स्विच ऑफ मिला। इससे ग्रामीणों का आक्रोश और बढ़ गया है।

अब बड़ा सवाल यह है कि जब सरकार नियमित आपूर्ति का दावा कर रही है तो आखिर यह यूरिया किसानों तक क्यों नहीं पहुंच रही? समिति के कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत के आरोप गंभीर हैं। किसानों का कहना है कि यदि प्रशासन सख्त कार्रवाई नहीं करता तो भविष्य में हालात और बिगड़ सकते हैं।

किसानों ने जिला प्रशासन और उच्च अधिकारियों से मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में किसान अपने हक़ के लिए इस तरह परेशान न हों।

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