भारतीय युवा अनुभव सचान ने रचा इतिहास, बने यूके यूनिवर्सिटी पोलो चैंपियनशिप जीतने वाले पहले खिलाड़ी

Report By : स्पेशल डेस्क
भारत के युवा खिलाड़ी अनुभव सचान ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ वारविक की टीम के साथ इतिहास रचते हुए यूनाइटेड किंगडम यूनिवर्सिटी पोलो चैंपियनशिप (SUPA) जीत ली है। यह जीत केवल उनके लिए ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण है, क्योंकि वे वारविक की B3 टीम के साथ इस खिताब को जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने हैं। उनकी इस उपलब्धि को ब्रिटेन की प्रतिष्ठित पोलो टाइम्स मैगज़ीन ने भी सराहा है और 2025 संस्करण में विशेष रूप से दर्ज किया है।
कानपुर में जन्मे अनुभव सचान का घोड़ों और घुड़सवारी से रिश्ता किसी आलीशान पोलो ग्राउंड से नहीं, बल्कि लखनऊ रेसकोर्स से शुरू हुआ। यहीं उन्होंने पहली बार घुड़सवारी सीखी और धीरे-धीरे यह शौक उनके जीवन का अहम हिस्सा बन गया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा द सिंधिया स्कूल में हुई, जहाँ उन्होंने न सिर्फ पढ़ाई में उत्कृष्टता दिखाई बल्कि नेतृत्व और खेल-कूद में भी अपनी पहचान बनाई। वे स्कूल में डेप्युटी हेड बॉय रहे, डिबेटिंग सोसायटी के सचिव बने और फ़ुटबॉल टीम के सदस्य के तौर पर भी सक्रिय रहे।
वर्तमान में अनुभव यूनिवर्सिटी ऑफ़ वारविक में फ़िलॉसफ़ी, पॉलिटिक्स और इकोनॉमिक्स के विद्यार्थी हैं। वे वारविक कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में भी काम कर रहे हैं, जहां वे राजनीति, नीति निर्माण और वैश्विक विषयों पर छात्र-नेतृत्व वाले संवाद का संचालन करते हैं। यह उनकी बहुमुखी प्रतिभा और नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है।

पोलो की दुनिया में उनका प्रवेश बेहद अनोखा रहा। जब उन्होंने वारविक पोलो क्लब जॉइन किया, तब उनके पास पोलो का कोई अनुभव नहीं था। यह सफर आसान नहीं था। पढ़ाई के दबाव और कठिन प्रशिक्षण के बीच संतुलन बनाना उनके लिए चुनौतीपूर्ण रहा। लेकिन लगातार अभ्यास, मेहनत और खेल के प्रति जुनून ने उन्हें धीरे-धीरे इस खेल में निपुण बना दिया।
2025 के SUPA नेशनल्स में अनुभव और उनकी टीम ने शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने डर्हम, ऑक्सफ़ोर्ड और नॉटिंघम जैसी मज़बूत टीमों को हराकर खिताब अपने नाम किया। यह उपलब्धि केवल उनकी व्यक्तिगत मेहनत का नतीजा नहीं थी, बल्कि पूरी टीम की एकजुटता और तालमेल का परिणाम थी।
अनुभव सचान का कहना है कि पोलो उनके लिए सिर्फ एक खेल नहीं बल्कि धैर्य, टीमवर्क और नेतृत्व का विद्यालय है। उनके शब्दों में, “मेरे लिए यह हमेशा जीतने से ज़्यादा सीखने और बेहतर बनने की बात रही है। घोड़े के साथ जुड़ाव, टीम के साथ तालमेल और खेल का अनुशासन आपको धैर्य और आत्मविश्वास सिखाता है।”
उनका सपना है कि भारत में पोलो और घुड़सवारी को नई दिशा मिले। वे चाहते हैं कि अधिक से अधिक युवा इस खेल से जुड़ें और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाएं। उनका मानना है कि सही मार्गदर्शन और अवसर मिलने पर भारत के युवा वैश्विक स्तर पर हर खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं।
अनुभव सचान की यह ऐतिहासिक उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत समर्पण और जुनून का परिणाम है, बल्कि यह पूरे भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी कहानी यह साबित करती है कि अगर हिम्मत और मेहनत हो, तो शून्य अनुभव से भी कोई अंतरराष्ट्रीय चैंपियन बन सकता है।