आरा में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि समारोह

आरा से तारकेश्वर प्रसाद की रिपोर्ट
जेपी’ और ‘लोकनायक’ के नाम से विख्यात महान स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और जननेता **जयप्रकाश नारायण** की पुण्यतिथि आज आरा में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई। शहर के बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय नागरिकों ने मिलकर उनके योगदान को याद किया और उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।
कार्यक्रम की शुरुआत लोकनायक जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई। आरा के प्रमुख शिक्षाविदों, अधिवक्ताओं और समाजसेवियों ने फूल अर्पित कर उन्हें नमन किया। इस मौके पर उपस्थित लोगों ने कहा कि जेपी केवल एक नेता नहीं, बल्कि भारत के लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए संघर्ष करने वाले अद्वितीय व्यक्तित्व थे।
माल्यार्पण के बाद कई गणमान्य नागरिकों ने मीडिया से बातचीत करते हुए लोकनायक के जीवन और कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जेपी ने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और आज़ादी के बाद भी लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए निरंतर संघर्षरत रहे।
बुद्धिजीवियों ने स्मृति ताज़ा करते हुए बताया कि 1970 के दशक में उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री **इंदिरा गांधी** के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व किया। बिहार में विद्यार्थियों और युवाओं को साथ लेकर उन्होंने एक व्यापक जन आंदोलन खड़ा किया, जिसे **जेपी आंदोलन** के नाम से जाना जाता है। इस आंदोलन ने देश में राजनीतिक बदलाव की लहर पैदा की और अंततः 1977 में एकजुट विपक्ष के सामने इंदिरा गांधी को भारी पराजय झेलनी पड़ी।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि जयप्रकाश नारायण का जीवन और संघर्ष आज भी युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने सत्ता के बजाय सत्य और न्याय को प्राथमिकता दी, और अपने जीवनभर भ्रष्टाचार, अन्याय और निरंकुश शासन के खिलाफ आवाज़ उठाई।
इस पुण्यतिथि समारोह का उद्देश्य न केवल उनके संघर्ष और त्याग को याद करना था, बल्कि यह संदेश देना भी था कि लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए जनजागरण और आत्मबल आवश्यक है।